Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog – अप्रैल 2021 में हम पार्वती वैली के सफर (Parvati Valley Tour) पर थे. इस सफर में हमने कसौल (Kasaul Village), मलाणा (Malana Village), तोष (Tosh Village), मणिकर्ण (Manikaran Sahib), खीरगंगा (Kheerganga) का टूर किया. अपने सफर के अद्भुत अनुभव को हम चरणबद्ध तरीके से आप तक पहुंचा भी रहे हैं. आपने अभी तक हमारी कसौल यात्रा (Kasaul Tour Blog), मलाणा के सफर (Malana Village Tour Blog), वहां से लौटकर तोष (Tosh Tour Blog) पहुंचने, तोष गांव (Tosh Village) में बिताई गई रात और अगले दिन के अनुभव को पढ़ा है. अगर आप www.traveljunoon.com पर पहली बार आए हैं तो Tour Blog सेक्शन में जाकर इन सभी ब्लॉग्स को पढ़ सकते हैं या फिर इसी आर्टिकल के बॉटम में दिए गए लिंक पर भी जा सकते हैं. इस ब्लॉग में हम आपको तोष गांव से मणिकर्ण साहिब ( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog ) तक पहुंचने के अपने सफर और मणिकर्ण ( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog ) के दर्शन तक का पूरा अनुभव देंगे. आइए, इस सफर ( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog ) की शुरुआत करते हैं.
( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog ) के लिए तोष गांव (Tosh Village) का भ्रमण पूरा करके और सुबह का नाश्ता करके हम वहां से प्रस्थान कर चुके थे. बरशैणी (Barshaini) से सरकारी बस मिली. इस बस में टिकट कटाई और बैठ गए मणिकर्ण ( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog ) जाने के लिए. आप अगर तोष आते हैं तो ध्यान रखें पूरी पार्वती वैली में बस की सुविधा है. बस बरशैणी (Barshaini) से आगे तोष के लिए आपको वॉक करने पड़ता है जिसकी दूरी बेहद कम है. बस में ट्रैवल करके आप बेहद कम खर्च में पार्वती वैली घूम सकते हैं. मणिकर्ण (Manikaran Sahib) के लिए जाने वाली बस में हमें सीट मिल गई थी, इसलिए कोई टेंशन नहीं थी. हमारे वहां पहुंचते ही ये बस लग ही रही थी और आगे एक बस जा रही थी इसलिए हमने खाली बस को ही चुना. हम यहां बैठे ही थे कि 10 मिनट में खूब सारे यंग टूरिस्ट इसमें चढ़ने लगे और देखते ही देखते बस भर चुकी थी. अब शुरू हो चला था हमारा Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog.
Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog के दौरान भी विपिन भाई और वासु का कॉल अब भी नहीं लग रहा था. मैं उन्हें लगातार कॉल किए जा रहा था. बस में हमारी सीट वही थी जो दिल्ली में कंडक्टर की सीट होती है. हमारे आगे ही पिछला दरवाजा था. टूरिस्टों से खचाखच भरी बस में दो मुसाफिर अपनी दिल्ली के भी मिल गए. ये हमारे बगल में ही खड़े थे. वह थके हुए थे, नीचे बैठने लगे. मैंने कहा, लगता है बेहद थक चुके हैं. उन्होंने हां कहा और बोले कि तीन दिन में हमने पूरी पार्वती वैली कवर कर ली और मनाली भी होकर आ गए. मैं चौंका, तीन दिन में? फिर पूछा तो वे बोले कि हम झटपट टूर करते हैं. कल शाम को खीरगंगा पहुंचे थे और आज देखिए लौट आए हैं. मैंने सोचा कि ये तो कमाल के बंदे हैं. लेकिन जैसे जैसे बात बढ़ी, हमें पता चला कि ये दोनों सिर्फ जगहों पर जाकर तुरंत ही लौट आते हैं. मैंने सोचा, ऐसा नहीं करना चाहिए, भले ही कम जगह जाओ लेकिन अच्छी तरीके से जाओ.
खैर, सबका अपना प्लान होता है, और सभी उसे के अकॉर्डिंग काम करते हैं. अब उनसे बात हुई तो दिल्ली कनेक्शन भी निकल आया. इनमें से एक दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़ा हुआ था. हालांकि इसका नाम अब बदल चुका है लेकिन मेरा इस कॉलेज से जुड़ाव इसलिए है क्योंकि यहां कॉलेज के दौर में हमने कई प्ले किए थे. मैंने ये बात उनसे शेयर की. बात होती रही और मणिकर्ण आ गया. मणिकर्ण के लिए बस मुख्य मार्ग से नीचे की तरफ आती है और वहां आपको छोड़ती है. यह मणिकर्ण का बस स्टैंड कहलाता है. मैं और संजय यहां उतरे और साथ ही वे दोनों दोस्त भी. वे उतरते ही ऐसे भागे जैसे उन्हें कोई टास्क पूरा करना हो. मैं और संजू एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे थे. अब हमने मणिकर्ण ( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog ) जाने के लिए पार्वती नदी पर बनाए गए एक ब्रिज को पार किया.
Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog के लिए पुल पार करते ही हम मणिकर्ण मार्केट में पहुंच चुके थे. मार्केट में चलते-चलते हम आसपास की चीज़ों को दिखाते जा रहे थे. इसके बाद हमारी दाहिनी तरफ ज्वाला देवी का मंदिर आया. हम मां के सामने नतमस्तक हुए और आगे बढ़ चले. ज्वाला देवी के मंदिर के पास हमें एक बुजुर्ग शख्स मिले. इन शख्स से मैंने मंदिर की कहानी और मणिकर्ण का इतिहास जानने की कोशिश की. दोस्तों सच कह रहा हूं. इन बुजुर्ग शख्स ने मुझे सबकुछ बताया और एक पल तो उनकी आंखों में आंसू भी आ गए. ये आंसू सच्चाई से भरे थे, भक्ति से सराबोर जिस्म से निकले थे. मुझे वहां यही अहसास हुआ कि ईश्वर को तो मैंने नहीं देखा लेकिन ऐसे आज ऐसे शख्स से मिल गया जिसके अंदर सचमुच ईश्वर है. आनंद आ गया. आप इनकी दी गई पूरी जानकारी को हमारे वीडियो में देख सकते हैं.
Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog की कड़ी में, इसके बाद शिव जी का एक मंदिर आया. इस मंदिर में गर्म पानी का स्रोत है. कमाल की बात ये है कि इसी मंदिर के पानी में लंगर का भोजन बनता है. सिर्फ रोटियां यहां नहीं बनती हैं, बाकि हर चीज़, चावल, दाल, सब्जियां यहीं बनती है. ये देखकर मुझे अहसास हुआ कि हिंदू और सिख धर्म आपस में गुंथे हुए धर्म हैं और रिश्ते की ये डोर कभी नहीं टूट सकती है. मंदिर के बाहर मुझे पगड़ी की दुकान दिखी. यहां मैंने सिख धर्म में पहनी जाने वाली पगड़ी बंधवाई. हम ये सब कर ही रहे थे कि वे दोनों दोस्त लौटते दिखाई दिए. मैं हैरान रह गया. अब मन में आया कि गजब नमूने हो यार, आए थे तो घूम तो लेते थोड़ा सा. भागे जा रहे हो. वे दोनों ऐसे भाग रहे थे जैसे ट्रेन छूट रही हो.
Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog के लिए हम चलते चलते मणिकर्ण गुरुद्वारे में दाखिल हो गए थे. इस गुरुद्वारे के प्रमुख के पास पहुंचे. हमने उनके साथी से कहा कि हमें मणिकर्ण के इतिहास को लेकर बात करनी है. उन्होंने बिना लाग लपेट हमें भीतर जाने दिया. भीतर वह चढ़ावे में मिले धन को गिन रहे थे. मैंने गुरुद्वारे के प्रमुख से बात करनी चाही तो उन्होंने साथी से यूट्यूब पर मौजूद उनके एक वीडियो को निकलवा दिया और कहने लगे कि ये है वीडियो. यहां से आपको हर तरह की जानकारी मिल जाएगी. मैंने अनुरोध किया और कहा कि देखिए हम आपसे मिलने आए हैं और आपसे ही जानकारी लेंगे. अगर ऐसा होता तो विकीपीडिया ही न पढ़ लें. वह प्रभावित हो गए और सहर्ष ही बात करने को तैयार हो गए. उन्होंने पूरा इतिहास बता डाला. वही इतिहास जो बाहर बाबाजी ने बताया था. आखिर में उन्होंने जो सबसे काम की बात कही वो ये कि मणिकर्ण गुरुद्वारे में कोई भी आकर रह सकता है, भोजन देसी घी से बनता है, किसी भी तरह से प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता है. दवाई, कपड़े, आने जने का खर्च भी मिलता है. खैर, जो बात टूरिस्टों के काम की है वह रहना हो सकता है. अगर आपको कभी दिक्कत हो तो आप मणिकर्ण में भी रह सकते हैं और पार्वती वैली का सफर कर सकते हैं. लंगर चखना चाहें तो मोस्ट वैलकम.
Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog के दौरान बाबा राम जी से बात करने के बाद, बारी थी लंगर की. हम लंगर हॉल की तरफ बढ़ चले. यहां हमें वही सेवादार मिले जो राम जी के साथ बैठे थे. उन्होंने हमें गले से लगा लिया और कहा कि बेटा सिख धर्म बना ही हिंदुओं की रक्षा के लिए था. ये दोनों तो एक ही धर्म है. कुछ अलग है ही नहीं. देखो यहां हिंदू देवी-देवताओं की फोटो, सिख गुरुओं के साथ लगी दिख जाएगी आपको. बेहद खुशी हुई ये विचार जानकर. अब हम लंगर के लिए बैठे. थाली ले ली थी. सेवादार थोड़ा विलंब से आए लेकिन दोस्तों, कढ़ी, रोटी, चावल में क्या गजब का स्वाद था. एक देसी भोजन और उत्तम भोजन. मज़ा दोगुना हो गया. लंगर के बाद यहां आपको अपने बर्तन खुद धोने होते हैं. मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारे में ऐसा करने से पहले वैष्णों देवी की अपनी यात्रा में भी मैं ऐसा कर चुका हूं. हां, वहां इसके लिए क्योंकि काफी वॉश बेसिन हैं तो दिक्कत नहीं हुआ लेकिन यहां आपको इसके लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ सकता है, जैसा हमने किया.
बर्तन धोने के बाद हम मणिकर्ण में आगे चले. यहां अंदर भी एक छोटा सा पुल है जिसके नीचे से पार्वती नदी बहती है. यहां से आपको गर्म पानी के कुछ और भी स्रोत दिखते हैं. कमाल की संरचना है कुदरत की. यहां हमने तस्वीरें क्लिक की, वीडियो का इंट्रो शूट किया. अब हम निकल चले बाहर की तरफ. बाहर आकर हमने फिर से वीडियो शूट किया. गजब का गुरुद्वारा है दोस्तों. यहां आपको हिंदू धर्म और सिख धर्म के पवित्र स्थल एक साथ मिल जाते हैं. ज़रूर घूमने आइए यहां. गुरुद्वारे से निकलकर हमने फिर से विपिन भाई और वासु को कॉल किया. यहां उनका नंबर मिल गया. वे दोनों बड़ी चुनौतियों को पार करके खीरगंगा पहुंचे थे. हम तो ज़रा सी तोष की चढ़ाई में ही थक गए थे. खीरगंगा में ही उनके फोन, पावरबैंक सभी की बैटरियां खत्म हो चुकी थी. नीचे आकर किसी तरह उन्होंने फोन चार्ज किए थे. वे तोष जा रहे थे लेकिन मैंने अनुरोध किया कि कसौल मिलिए, हम सभी साथ निकलेंगे दिल्ली.
Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog के अलावा हमारे इस टूर में कुलगा ( Kulga Village ) और पुलगा गांव ( Pulga Village ) भी था जो इस बार कवर नहीं हो सका. विपिन और वासु ने बरशैणी से टैक्सी की. हम मणिकर्ण से कसौल के लिए पैदल ही चल दिए. कसौल बस स्टैंड पर एक बस ऑपरेटर से दिल्ली की बस के बारे में पूछा. बुकिंग में जो बस 1300 की मिली थी वह यहां 900 में. लेकिन फर्क तो होता ही है दोस्तों. ऑनलाइन बुकिंग वाली बस में हर चीज़ सिस्टैटिक थी और इस बस में हर चीड़ अनसिस्टमैटिक. इस बस का समय रात के 8 बजे था. वासु और विपिन भाई के आने पर हमने साथ में डिनर किया और फिर बस में बैठे. इस बस ने पता नहीं कौन सा रूट लिया. एक अकेले सरदार जी के भरोसे पर, न कोई सहयोगी, न स्टाफ. कभी अंबाला, कभी कुरुक्षेत्र, कभी पंचकूला. पूरा हरियाणा घुमाकर बस ने हमें 11 बजे दिल्ली उतारा. मेरी रिकमंडेशन यही है दोस्तों की प्राइवेट बस कभी भी ऑफलाइन बुक न करें. कोई हिसाब-किताब नहीं होता यहां. क्या रूट है, कब पहुंचेगी, सिक्योरिटी, कुछ अता-पता नहीं.
खैर, दिल्ली के उसी मजनूं का टीला पर बस ने हमें उतारा जहां से हमने जाते वक्त बस ली थी. यहां उतरे, फिर ई-रिक्शा से मेट्रो तक आए. मेट्रो से हम सभी अपने अपने रास्ते निकल लिए. यहां हमारी पार्वती वैली ट्रिप और Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog का समापन होता है. इस ट्रिप में खीरगंगा ऐसी जगह रही जहां मैं नहीं गया था, वहां विपिन भाई और वासु गए थे. कोशिश करूंगा कि उसका व्लॉग और जानकारी से भरा आर्टिकल भी आप तक लेकर आउं. जुड़े रहिए Travel Junoon के साथ, हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब ज़रूर करें. धन्यवाद
( Manikaran Sahib Gurudwara Tour Blog )
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