मलूटी : एक ऐसा गांव, जहां किसान ने बनवाए थे 108 मंदिर
Maluti Village- क्या आप जानते हैं की हमारे देश में एक ऐसा भी गांव है जहां घरों से अधिक मंदिर हैं और इन्हें बनवाने वाला कोई सेठ,महाजन या राजा नहीं, बल्कि एक किसान था. मलूटी गांव-भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्म, संस्कृति और परंपराओं के बीच अनूठा संगम देखने को मिलता है. विविधता में एकता की मिसाल पेश करनेवाले इस देश में एक बहुत ही छोटा सा गांव ऐसा भी हैं जो मंदिरों से घिरा हुआ है.
झारखंड के दुमका जिले में स्थित इस गांव में आप जहां अपनी नजरों को दौड़ाएंगे आपको प्राचीन मंदिर ही नजर आएंगे. अधिक संख्या में मंदिरों के होने की वजह से इस गांव को गुप्त काशी और मंदिरों का गांव भी कहा जाता है.
Interesting story related to Maluti village
मलूटी गांव में अगर आज भी इतने सारे मंदिर मौजूद हैं तो उससे एक दिलचस्प कहानी भी जुड़ी हुई है. मलूटी गांव के राजा यहां आलिशान महल बनाने के बजाय मंदिर बनाना पसंद करते थे और यहां के राजाओं में अच्छे से अच्छा मंदिर बनाने की होड़ मच गई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि यहां हर जगह पर खूबसूरत मंदिर ही मंदिर बन गए और तब से यह गांव मंदिरों के गांव के रूप में प्रसिद्ध हो गया.
मलूटी गांव में स्थित मंदिरों को अलग-अलग समूहों में निर्मित किया गया है. यहां भगवान शिव के मंदिरों के अलावा दुर्गा, काली, धर्मराज, मनसा, विष्णु जैसे कई देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं. इतना ही नहीं यहां मौलिक्षा माता का एक जाग्रत और भव्य मंदिर भी है.
108 grand temples were built here
कहा जाता है कि इस गांव का राजा कभी एक किसान हुआ करता था और उसी के वंशजों ने यहां करीब 108 भव्य मंदिरों को निर्माण करवाया था.
मलूटी गांव में मौजूद ये सभी मंदिर बाज बसंत राजवंशों के काल में बनाए गए थे. शुरूआत में यहां कुल 108 मंदिर थे लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 72 हो गई है.
आपको बता दें कि इन मंदिरों का निर्माण सन 1720 से लेकर 1840 के बीच हुआ था. इन मंदिरों का निर्माण सुप्रसिद्ध चाला रीति से किया गया है. छोटे-छोटे लाल सुर्ख ईटों से निर्मित इन मंदिरों की ऊंचाई 15 फीट से लेकर 60 फीट तक है.
Chatra tour- झारखंड के चतरा में है घूमने के लिए कई बेहतरीन जगहें, यहां लें पूरी जानकारी
इन मंदिरों को बनाने में बंगाल की वास्तुकला का प्रमुखता से इस्तेमाल किया गया है इसके साथ ही इनकी दीवारों पर रामायण-महाभारत के दृ़श्यों का चित्रण भी बेहद खूबसूरती से किया गया है.
Famer Basant Roy was rewarded with this village
मान्यताओं के अनुसार इस गांव का नाम सबसे पहले ननकर राजवंश के समय प्रकाश में आया था. उसके बाद गौर के सुल्तान अलाउद्दीन हसन शाह के कारण यह गांव फिर से प्रकाश में आया था. बताया जाता है कि अलाउद्दीन ने खुश होकर इस गांव को बाज बसंत रॉय को ईनाम स्वरुप दे दिया था. राजा बाज बसंत शुरुआत में एक अनाथ किसान थे.
बाज बसंत रॉय के नाम के आगे बाज शब्द लगने के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल एक दिन सुल्तान अलाउद्दीन की बेगम का पालतू पक्षी बाज उड़ गया और बाज को उड़ता देख किसान बसंत ने उसे पकड़ लिया और रानी को वापस लौटा दिया. बसंत के इस काम से खुश होकर सुल्तान ने उन्हें मलूटी गांव ईनाम में दे दिया और तब से बसंत राजा बाज बसंत के नाम से पहचाने जाने लगे.
Pakur tour : पाकुड़ घूमने के लिहाज से है एकदम परफेक्ट Place
गौरतलब है कि मलूटी गांव पशुओं की बलि के लिए भी जाना जाता है. इसके साथ ही यह गांव एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित भी हो रहा है लेकिन मूलभूत सुविधाएं के अभाव के चलते पर्यटक रात में यहां रुकने से कतराते हैं.
मलूटी के अतिरिक्त और क्या ?
यहां मलूटी के अतिरिक्त देखने के लिए बहुत कुछ है. जैसे मसनजोर बांध, बाबा बासुकीनाथ धाम, कुमराबाद, बाबा सुमेश्वर नाथ मंदिर और मयूराक्षी नदी.
Masanjore Dam: मयूराक्षी नदी पर बना यह बांध और झील पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है.
Baba Basukinath Dham : महादेव को समर्पित यह धाम देवघर- दुमका मार्ग पर स्थित है. श्रावण माह में यहां. विशाल मेले का आयोजन होता है.
Kumarabad : ऊंची पहाड़ियों से घिरा और मयूराक्षी नदी के किनारे पर बसा कुमराबाद एक खूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में उभरा है.
बाबा सुमेश्वर नाथ मंदिर: यह मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित है.
Best time to visit
झारखण्ड एक गर्म प्रदेश है. इसलिये यहां जाने के लिए अक्टूबर से मार्च की बीच का मौसम सबसे अच्छा है.
Saputara Hill Station : गुजरात का वो Hill Station, जहां रहे थे भगवान श्रीराम
How to reach
वैसे तो दुमका में भी रेलवे स्टेशन है लेकिन वहां के लिए देश के अधिकतर शहरों से रेल उपलब्ध नहीं हैं. इसलिये आप जसीडीह तक देश के किसी भी भाग रेल द्वारा पहुँच सकते हैं. जसीडीह से एक छोटी रेलवे लाइन है जिस पर दुमका के लिए पैसेंजर रेल चलती हैं. इसके अतिरिक्त आप जसीडीह से बस द्वारा भी पहुँच सकते हैं.
हवाई यात्रीयों के लिये नज़दीकी हवाई अड्डा दुर्गापुर में है जो की यहाँ से 72 किलोमीटर दूर है.
where to stay
दुमका में रुकने की कोई समस्या नहीं हैं. ज़्यादा नहीं तो कम भी नहीं हैं यहां होटल. आपके बजट में आपको अच्छे-अच्छे होटल मिल जाएंगे . यदि आप भी इतिहास और धर्म में रूचि रखते हैं तो एक बार यहां अवश्य पधारें.