Makhauda Dham Basti : सनातन धर्म में यज्ञ को काफी अहमियत दी जाती है. युद्ध जीतना हो या कोई मनोकामना की अर्जी भगवान तक पहुंचानी हो राजा-महाराज और ऋषि-मुनि यज्ञ करावाया करते थे. अयोध्या के राजा दशरथ ने भी अपने पुत्रों के लिए यज्ञ करवाया था. यज्ञ के अपने कई महत्व होते हैं. अलग-अलग काज के लिए अलग-अलग यज्ञ करवाए जाते थे. यह भी एक ऐसा ही यज्ञ था, जिसे राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए करवाया था. आइए आपको बताते हैं क्या था वो यज्ञ और इसे किस ऋषि ने सम्पन्न करवाया था
ऐसे में राजा दशरथ को बताया गया कि वो पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रकामेष्टी यज्ञ करवाएं. उन्हें ये भी बताया गया कि ये यज्ञ सिर्फ और सिर्फ अथर्वेद के पूर्ण ज्ञाता ऋषि श्रृंग मुनि ही करवा सकते हैं.
राजा दशरथ ऋषि श्रृंग के आश्रम में अयोध्या के राजा नहीं बल्कि एक साधारण व्यक्ति बनकर गए थे. उनका मानना था कि वो ऋषि से भिक्षा मांगने जा रहे हैं. इसीलिए राजा दशरथ नंगे पांव, साधारण कपड़ों में ऋषि के आश्रम गए और उनके यज्ञ करवाने का आग्रह किया.
कई दिनों तक चले इस यज्ञ के फलस्वरूप नवमी तिथि को राजा की तीनों रानियों कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा ने पुत्रों को जन्म दिया. जिनका नामकरण राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रखा गया.
अयोध्या की बार्डर से सटे जिले के मखौड़ा धाम में अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था. मखौड़ा धाम बस्ती जिले में हर्रैया तहसील में है. यहां पर रामरेखा मंदिर भी है. ट
ऐसा कहा जाता है कि यज्ञ के बाद खीर लेकर राजा दशरथ अपनी तीनों रानियों के पास गए. उन्होंने उस खीर को दो आधे-आधे भागों में बांटा व एक भाग रानी कौशल्या को खाने को दे दिया. बाकि बची हुई खीर को उन्होंने फिर से दो भागों में बांटा व एक भाग रानी कैकेयी को खाने को दिया. अब बाकि बची खीर को दो भागों में बांटकर उन्होंने रानी कौशल्या व कैकेयी को अपने हाथों से रानी सुमित्रा को खिलाने को कहा.
खीर खाने के फलस्वरूप कुछ ही समय में तीनों रानियां गर्भवती हो गयी. समय यूँ ही बीता व एक दिन तीनों रानियों के यहां पुत्रों का जन्म हुआ. रानी कौशल्या को स्वयं भगवान श्रीराम का जन्म हुआ जो सबसे बड़े पुत्र व अयोध्या के राज सिंहासन के उत्तराधिकारी थे. रानी कैकेयी को पुत्र रूप में भरत मिले व रानी सुमित्रा के दो पुत्र हुए जिनका नाम लक्ष्मण व शत्रुघ्न था.
कहते हैं कि चूँकि रानी कौशल्या ने खीर का अधिकांश भाग खाया था इसलिये उन्हें पुत्र रूप में राम की प्राप्ति हुई थी. सुमित्रा ने रानी कौशल्या के हाथ से जो खीर खाई थी उससे उन्हें लक्ष्मण पुत्र रूप में मिलें जो हमेशा भगवान श्रीराम के साथ ही रहें.
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर निकलती है. गोंडा जिले से बहते हुए यह नदी बस्ती जिले के परशुरामपुर इलाके में प्रवेश करती है. बस्ती जिले में महुली के पास यह नदी सरयू में समा जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मनोरमा नदी के जल से कभी मखौड़ा धाम में अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठी यज्ञ किया था, जिसके फलस्वरूप राम का जन्म हुआ था.
हवाई मार्ग कैसे पहुंचे || how to reach by road
बस्ती जिला सीधे एरोप्लेन सेवा से जुड़ा नहीं है, नजदीकी हवाई अड्डा गोरखपुर है. आप फैजाबाद हवाईअड्डे और वाराणसी हवाईअड्डे से भी यहां पहुंच सकते हैं.
ट्रेन से कैसे पहुंचे || how to reach by Train
बस्ती शहर मुख्य रेलवे लाइन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. मुख्य रेल लाइन लखनऊ को गोरखपुर से जोड़ती है. यह लखनऊ से 214 किलोमीटर पर स्थित है और गोरखपुर से 72 किलोमीटर पर स्थित है. निम्नलिखित रेलगाड़ियां बस्ती के माध्यम से गुजरती हैं: वैशाली एक्सप्रेस, गोरखधम एक्सप्रेस, इंटरसिटी एक्सप्रेस, बाग एक्सप्रेस, शहीद एक्सप्रेस, अवध-असॉम एक्सप्रेस इत्यादि.
सड़क से कैसे पहुंचे || how to reach by road
चार लेन एनएच -28 बस्ती शहर से जुड़ा हुआ है. लखनऊ से बस्ती वाया फैजाबाद 210 किलोमीटर दूर है. बस सेवाएं UPSRTC द्वारा प्रदान की जाती हैं.
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