वैष्णो देवी (Maa Vaishno Devi) की यात्रा भारत में एक तीर्थ की तरह है. देवी देवताओं के दर्शनीय स्थलों का नाम लेते ही, वैष्णों देवी का जिक्र जहन में केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, बालाजी जैसे धामों के साथ ही सबसे पहले आता है. मैं हमेशा से इस यात्रा पर जाने की तमन्ना रखता था लेकिन हम लोग कहते हैं न, जब तक मां नहीं बुलाती, आप वहां जा नहीं सकते. मेरे साथ भी शायद कुछ ऐसा ही था. कई दोस्त वहां जाते रहे, मुझे साथ चलने को कहते रहे. एक दोस्त का परिवार तो लगभग साल में दो बार वहां जाता है लेकिन संयोग ऐसा, कि मैं हर बार इसे टाल दिया करता था. लेकिन अक्टूबर 2019 में 12-15 की तारीख ऐसी तारीख बनी, जब मां ने मुझे अपने दर पर बुला ही लिया.
मैं अपने परिवार, मैं, मेरी पत्नी प्रीति, दोनों बच्चे, बड़े भाई, भाभी, उनके दोनों बच्चे और माता-पिता के साथ इस यात्रा पर गया था. इस यात्रा के लिए हमने नई दिल्ली से चलने वाली श्रीशक्ति एक्सप्रेस से अपनी टिकट कराई. ये ट्रेन मेरे हिसाब से टाइमिंग, बजट को लेकर एकदम परफेक्ट ट्रेन है मां वैष्णों देवी की यात्रा के लिए. ट्रेन शाम को साढ़े 5 बजे नई दिल्ली से चलती है और सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर आपको कटरा उतार देती है. ट्रेन की व्यवस्था भी अच्छी है. इस ट्रेन में अधिकतर यात्री कटरा तक के लिए ही होते हैं.
कटरा स्टेशन
ट्रेन ने हमें 13 अक्टूबर के दिन सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर कटरा उतार दिया. कटरा स्टेशन की चमक धमक देखकर मैं मंत्रमुग्ध रह गया. क्या स्टेशन बनाया है भाईयों. इसकी तुलना में मुझे दिल्ली में आनंद विहार का स्टेशन ही दिखाई दिया. चूंकि मैं आनंद विहार वाले सर्वोदय विद्यालय में पढ़ा हूं और वहां के स्टेशन को मैंने जंगलों को काटकर बनते देखा है. इसलिए वहां की अत्याधुनिकता मेरे जहन में रहती है. लेकिन वैष्णो देवी यात्रा के लिए कटरा में बना स्टेशन आनंद विहार स्टेशन से 21 ही था. एकदम साफ, भीड़ कम, चमकता संगमरमर आपको मंत्रमुग्ध कर देता है.
हम इस स्टेशन से बाहर आए. चूंकि हमने ऑनलाइन बुकिंग नहीं कराई थी और जिस वक्त हम वहां पहुंचे, पूरे जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद थी इसलिए एक नई मुसीबत हमारे सामने थी. मैंने परिवार को स्टेशन पर ही बैठाया और वहीं पर आईआरसीटीसी के गेस्ट हाउस में पता करने गया. आईआरसीटीसी के रूम्स बेहद शानदार थे. मैंने बुकिंग का मन बना ही लिया था कि भाई ने कहा एक बार बाहर भी पता कर लेते हैं. बाहर आकर हम स्टेशन परिसर के ठीक सामने बने कुछ होटेल्स में गए.
ऐसे मिला होटेल
मैं और मेरे भाई ने 2-3 जगह जाकर पता किया. फिर हम एक और होटेल में गए. यहां हमें बताया गया कि 24 घंटे के लिए 1400 रुपये का चार्ज देना होगा. होटेल में फूड का कॉस्ट अलग से था. रूम बेहद साफ सुथरे थे. गीजर लगा था, एसी की भी सुविधा थी. ऐसे रूम का 1400 कॉस्ट कहीं से भी गैर वाजिब नहीं था. इसलिए हमने उसे बुक करा दिया. एक बात और निकलते वक्त फुल बिलिंग पर मैंने तीन रूम्स के 4000 रुपए दिए. होटल में फ्रेश होकर हमने वहीं पर नाश्ता किया. नाश्ते के बाद होटल की ही गाड़ी हमें यात्रा मार्ग तक ले गई. हमने तय किया था कि हम यात्रा को नए मार्ग ताराकोट से पूरा करेंगे, इसलिए गाड़ी ने हमें वहीं पहुंचाया.
ताराकोट मार्ग
ताराकोट मार्ग, वैष्णो देवी यात्रा के लिए नया मार्ग है. पुराना मार्ग भी अभी कार्य में हैं. वहां यात्रा बाणगंगा से शुरू होती है. और इस यात्रा में अनेक स्थल भी आते हैं. हालांकि, अर्धकुंवारी पर दोनों मार्ग एक हो जाते हैं और यहां से आगे की यात्रा एक ही रास्ते से पूरी की जाती है. हमने चूंकि यात्रा को ताराकोट मार्ग से शुरू किया था इसलिए हमने इस यात्रा में ढेरों अनुभव बंटोरे. 4 बच्चों को लेकर हमने ये यात्रा शुरू की थी. और हमें चिंता इसी बात की थी कि इस वजह से यात्रा मुश्किल न हो जाए. लेकिन वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा किए गए प्रयासों ने यात्रा को न सिर्फ सुगम बनाया बल्कि यादगार भी बना दिया.
रास्ते में टीन शेड, जगह जगह वाटर एटीएम, बेहतरीन शौचालय व्यवस्था, जलपान और एक लंगर ने यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया. वैष्णो देवी यात्रा पर लंगर ताराकोट मार्ग पर जो लंगर है वहां दाल, चावल और एक चटनीनुमा सब्जी मिलती है. इस लंगर में में आपको एक भवन में प्रवेश करना होता है जो एक फव्वारे के पास बनाया गया है. भवन की साफ सफाई बेहतरीन है. थाली और चम्मच लेने के बाद आपकी प्लेट में भोजन परोसा जाता है. आप जितना चाहे उतना ले सकते हैं, दोबारा भी ले सकते हैं लेकिन ध्यान रहे, लें उतना ही जिसमें भोजन व्यर्थ न हो.
इस लंगर की स्पेशल बात ये है कि आपको प्लेटें स्वयं साफ करनी पड़ती है. ये सफाई चार चरणों में होकर गुजरती है. आप चाहें तो कुछ दान भी कर सकते हैं. ये धनराशि आपकी इच्छानुसार होती है.
अर्धकुंवारी
अर्धकुंवारी गुफा को ‘गर्भ गुफा’ के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां वैष्णो 9 महीने इस गुफा में इस तरह रहीं थी जैसे कोई शिशु अपने मां के घर में रहा हो. कोई भी व्यक्ति इस गुफा में केवल एक बार ही जा सकता है. क्योंकि यदि कोई शिशु अपने मां के गर्भ से बाहर निकल जाता हैं तो वह दोबारा गर्भ में नहीं जा सकता हैं. हम जब अर्धकुंवारी पहुंचे तो शाम ढल चुकी थी. रात को सर्दी भी थोड़ी बढ़ गई थी.
अर्धकुंवारी पर दर्शन के लिए आपको पर्ची पर नंबर डलवाना होता है. हमारी पर्ची पर जो नंबर मिला उसके हिसाब से हमारा नंबर अगली शाम को आना था. हमारे लिए ऐसा संभव नहीं था. हालांकि, वहां भक्तों के लिए कंबल की भी व्यवस्था थी. हमने तय किया कि मां को बाहर से ही प्रणाम करके आगे बढ़ेंगे. सो हम अर्धकुंवारी के परिसर से बाहर मुख्य मार्ग पर आ गए.
अर्थकुंवारी से आप पालकी, खच्चर, और इलेक्ट्रिक वाहन भी मुख्य मंदिर तक के लिए ले सकते हैं. इलेक्ट्रिक वाहन की बुकिंग के लिए समय निश्चित है सो आपको या तो लाइन में लगकर ऑफलाइन बुकिंग करानी होती है या फिर यात्रा के लिए पहले से होने वाली ऑनलाइन बुकिंग. हमने अर्धकुंवारी पर बच्चों के लिए स्ट्रोलर लिया.
4 स्ट्रोलर मां वैष्णों देवी परिसर तक बुक करने के बाद हम थोड़ा बेफिक्र हो गए. हमें अब चिंता न रही. स्ट्रोलर लेकर एक शख्स चलता रहता है. अगर आप चाहें तो उसकी रफ्तार से मैच कर सकते हैं, या फिर आराम से भी चल सकते हैं.
भोजन कहां करें
चूंकि, यात्रा मार्ग में मुफ्त लंगर एक ही जगह है और यह पूरी यात्रा पैदल करें तो बहुत लंबा समय लग जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि खाना कहां खाया जाए. यात्रा के पूरे मार्ग पर जगह जगह वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के रेस्टोरेंट्स बने हुए हैं. आप यहां बेहद अच्छी कीमत पर ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर कर सकते हैं. खाने की क्वालिटी भी उत्तम होती है. वैष्णो देवी मंदिर आप जैसे ही मां वैष्णो देवी मंदिर के करीब पहुंचते हैं, दूर से दिखाई देने वाला मंदिर परिसर आपको मंत्रमुग्ध कर देता है. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ. मैं इसे दूर से देखकर भावविभोर हो गया. रोशनी से जगमगाता परिसर आपके दिल को छू लेता है.
प्रसाद और लॉकर
मंदिर में दर्शन से पहले आपको प्रसाद के लिए लाइन में लगना पड़ता है. यह प्रसाद आप श्रद्धानुसार खरीद सकते हैं. माता की चुनरी भी यहीं पर मिलती है. प्रसाद काउंटर के ही सामने लॉकर रूम है जिसमें आप फ्री में अपने सामान रख सकते हैं. प्रसाद काउंटर के सामने कई भवन हैं जहां आप पहले से ऑनलाइन बुकिंग कराकर कमरे बुक भी कर सकते हैं. प्रसाद लेने के बाद आप मां के दर्शन के लिए आगे बढ़ सकते हैं. आपको यात्रा के लिए एक गुफा से होकर आगे बढ़ना पड़ता है जहां जल आपके चरणों को छूता है.
मां के भवन में मां की एक सुंदर प्रतिमा भी आपको दिखाई देती है. तीन पिंडियां, जिसके दर्शन के लिए भक्त हजारों किलोमीटर दूर से चले आते हैं, उस छोटे से स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा के भंडार को आप साफ महसूस कर पाते हैं. यहां पर आपसे प्रसाद ले लिया जाता है और फिर बाहर आकर एक काउंटर से पर्ची दिखाकर प्रसाद मिलता है, जिसमें नारियल होता है. इसे आप घर पर लाकर फोड़ सकते हैं.
भैरो बाबा के दर्शन
वैष्णो देवी यात्रा, भैरो बाबा के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है. आप भैरों बाबा के दर्शन के लिए पैदल भी जा सकते हैं और केबल कार से भी. केबल कार की सुविधा दिन में मिलती है जिसका किराया 100 रुपये प्रति व्यक्ति है. रास्ते में खरीदारी में सावधानी भी जरूरी है मैं वापसी के रास्ते में था, पिताजी ने मुझसे कहा कि प्रसाद और अखरोट जरूर खरीदते चलना. पिताजी की बात सुनने के बाद मैंने बाणगंगा से पहले एक दुकान से अखरोट लिए. अखरोट वाले ने मुझे अखरोट फोड़कर दिखाए. वह अपने हाथों से उन्हें फोड़ ले रहा था. मैंने आंख मूंदकर उसपर भरोसा तो नहीं किया लेकिन जब उसने साढ़े तीन सौ बोलकर वही अखरोट दो सौ रुपये किलो पर आ गया तो मैंने सोचा, चलो ले ही लेते हैं. और मैंने यहीं गलती कर दी.
थकावट की वजह से शायद मैं ज्यादा सोच भी नहीं सका और अखरोट खरीद लिए. वापस आकर जब मैंने उन्हें फोड़ना शुरू किया तो यकीन मानिए, पत्थर माकर भी वो अखरोट नहीं फूटे. ये अनुभव वाकई तकलीफदेह था. बात न पैसों की थी, न अखरोट वाले प्रसाद की, बात मां के मंदिर में मौजूद उस धोखेबाजी की थी, जो उस दुकानदार ने मेरे साथ की थी. खैर, मैं भी आगे से सावधानी रखूंगा, आप भी रखिएगा. दो दोस्तों ये तो रही मेरी मां वैष्णों देवी की यात्रा. आप इसका वाडियो मेरे यूट्यूब पेज www.youtube.com/traveljunoon पर जाकर भी देख सकते हैं.
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