Lotus Temple Delhi : कहते हैं जगह को खूबसूरत वहां की ऐतिहासिक जगह बनाती है. वहां का इतिहास किसी भी धरोहर को बेहद खूबसूरत बनता है। और आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ आपको कोई न कोई कहानी किस्सा वहां के ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा हुआ सुनने को ज़रूर मिल ही जाएगा। या फिर वहां की अहमियत, कि आखिर कोई जगह इतनी लोकप्रिय क्यों है।
वैसे भी कहते है न ज़िन्दगी एक सफर है और इसको जितना ज़्यादा explore किया जाये ये उतनी ही खूबसूरत होती जाती है। और अगर बात हो घूमने फिरने की तो चलिए आज आपको ले चलते हैं दिल्ली में स्थित “लोटस टेम्पल” में, जो की दिल्ली में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पर्यटक स्थल में से एक है। जी हाँ ये बात बिलकुल सही है। वो इसलिए की दिल्ली का ये लोटस टेम्पल अपनी बनावट और कारीगरी की वजह से भारत ही नहीं बल्कि दुनियाँ भर में जाना जाता है। तो चलिए जानते है की आखिर क्या खासियत छुपी हुई है भारत के दिल यानि राजधानी दिल्ली के इस कमल मंदिर में,
अगर आपके दिल में दिल्ली घूमने की चाहत हैं तो लाल किला और इण्डिया गेट वही चांदनी चौक की गलियों के अलावा एक और जगह है जो दिल्ली के प्रमुख पर्यटक जगहों में से एक मानी जाती है। और वह है लोटस टेंपल। दिल्ली के नेहरू प्लेस में स्थित ये “लोटस टेंपल” एक बहाई उपासना मंदिर है। ऐसा कहा जाता है, क्योकि यहां पर कोई भी मूर्ति नहीं है और न ही किसी प्रकार की पूजा की जाती है। लोग यहां आते हैं तो बस मन की शांति का अनुभव करने। इसका स्वरुप कमल के समान दिखता है जिसके कारन इसको लोटस टेम्पल यानि की “कमल मंदिर” कहा जाता है. साल 2001 की एक रिपोर्ट के अनुसार इसे दुनिया भर में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगह बताया गया था।
वही अगर बात करें तो इसको सन 1986 में बनाया गया था। और इसको 20वीं सदी का ताजमहल भी कहा जाता है। वही इस मंदिर के भीतर 2400 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात तो यह है की यहां इस पूरे मंदिर में दिखाई देना वाला सफ़ेद रंग का मार्बल लगा हुआ है जिसको ग्रीस से मंगवाया गया था इस लोटस टेम्पल को बनवाने के लिए। आप को बता दें की यह लोटस टेम्पल के चारों तरफ 9 दरवाज़े हैं. और चारों तरफ खूबसूरत बगीचे भी बनाये गए हैं। जो लगभग 26 एकड़ ज़मीं में फैला हुआ है। मंदिर आधे खिले कमल की आकृति में संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बनाया गया है, जो कि 3 चक्रों में में दिखाई पडता हैं. मंदिर को वस्तु की दृष्टि द्वारा तैयार किया गया है जिसका आर्किटेक्ट “फरीबर्ज सहबा” द्वारा तैयार किया गया था। दुनिया भर में आधुनिक वास्तु कला के नमूनों में से एक लोटस टेंपल को भी गिना जाता है। इसका निर्माण “बहा उल्लाह” ने करवाया था, जो कि बहाई धर्म के संस्थापक थे। इसलिए इस मंदिर को बहाई मंदिर भी कहा जाता है। इसी के साथ यह मंदिर किसी एक धर्म के दायरे में नहीं जोड़ा गया है। यहां सभी धर्म के लोग आते-जाते हैं।
लोटस टेम्पल में अलग-अलग धर्मों की प्रार्थना भी की जाती है जिसका समय सुबह 10 बजे, दोपहर 12 बजे, वहीं शाम के वक़्त 3 बजे और आखिरी बार 5 बजे प्रति दिन की जाती है। और हर प्रार्थना को पांच मिनट तक चलाया जाता है। जो अलग-अलग धर्मों पर आधारित होती है। वही मंदिर के भीतर लघु-फिल्म भी चलाई जाती है जो सुबह 10:30 से प्रारम्भ होती हैं वही संध्या 5:30 पर बंद कर दी जाती है। यह अजग अलग तरह की लघु-नाटिका और फिल्म होती हैं जिनका समय अधिक से अधिक 20 मिनट का मात्र होता हैं। और यह निरंतर एक के बाद एक चलती रहती हैं।
यहां पहुंचने के लिए आप मेट्रो से भी आ सकते हैं। नेहरू प्लेस या कालका जी मेट्रो स्टेशन आपका आखरी स्टॉप होगा। इसके बाद 5 मिनट में पैदल चलकर या फिर कोई रिक्शा करके आप लोटस टेम्पल तक पहुंच सकते हैं।
लोटस टेम्पल को मंगलवार से रविवार प्रातः 9:30 से संध्या 5:30 तक खोला जाता है। इस बेच आप कभी भी यहां आज जा सकते हो। वही सर्दियों और गर्मियों के समय में अक्टूबर से मार्च और अप्रैल से सितंबर तक मंदिर को प्रातः 9:30 से रात्रि 7 खोला जाता है। वही इसको पूरा का पूरा घूमने में लगभग 1 से 1:30 घंटा से ज्यादा का टाइम नहीं लगता।
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