Lateshwar Mahadev Mandir – जहां बहती है गुप्त गंगा, हकलाना होता है बंद, चर्म रोगों का हो जाता है नाश
सुमन जोशी, पिथौरागढ़. पहाड़ हर कदम पर सुंदरता और रहस्यमयी कथाओं से पटा पड़ा है. यहां आपको मंदिर मिलेंगे और मिलेंगी उनसे जुड़ी कहानियां. पिथौरागढ़ ( Pithoragarh Travel ) में भी एक ऐसा ही ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा मंदिर है. यहां थलकेदार से लगभग 2500 फीट की ढलान पर दुर्गम मार्ग को पार करने के बाद आप बड़ाबे ( Barabey or Badabe Village ) के पास लटेश्वर मंदिर ( Lateshwar Mahadev Mandir ) पहुंचते हैं. यहां पर एक सम्पूर्ण विशाल शिला खण्डित होकर गुफा रूप में बदल गई थी, यहीं पर “लाटा” देव की स्थापना हुई. श्री लटेश्वर ( Lateshwar Mahadev Mandir ) एक प्राचीन पूज्य स्थल है. कहा जाता है कि बड़ाबे ( Barabey or Badabe Village ) के वर्तमान निवासी जब अन्यत्र से आकर यहां बसे तो उन्हीं के साथ उनके ईष्ट देवता “लाटा” लटेश्वर भी यहां आये. इस सन्दर्भ में स्थानीय किवंदन्तियां भी प्रचलित है.
How to Reach Lateshwar Mahadev Mandir
बड़ाबे गांव ( Barabey or Badabe Village ) को लेकर जो जानकारी है, वो ये कि ये गांव पिथौरागढ़ ( Pithoragarh Travel ) से 25 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां पर पहुंचने के लिए आपको पिथौरागढ़ ( Pithoragarh Travel ) से लोकल टैक्सी मिल जाएगी. बड़ाबे गांव ( Barabey or Badabe Village ), प्रकृति की गोद में बसा हुआ है, यहां चारों तरफ हरियाली है और इसने नीले आसमान का अद्भुत रंग समेटा हुआ है.
Gupt Ganga in Lateshwar Mahadev Mandir
लटेश्वर मंदिर ( Lateshwar Mahadev Mandir ) गुफा बेहद संकरी है. यहां पहुंचना इसी वजह से दुष्कर कार्य है. गुफा के भीतर एक स्वच्छ जल का स्त्रोत है. स्थनीय लोग इसे गुप्त गंगा ( Gupt Ganga ) मानते हैं और इसके जल को गंगा के समान पवित्र. कहा जाता है कि इस जल के इस्तेमाल से चर्म रोग समाप्त हो जाते हैं और बच्चों का हकलाना बंद हो जाता है. पहले पूजा-अर्चना गुफा मंदिर में ही होती थी. वर्तमान में ग्रामवासियों के प्रयास से एक मंदिर और एक धर्मशाला का निर्माण यहां हो गया है.
लटेश्वर देवता ( Lateshwar Mahadev Mandir ) जिन्हें नंदीगण कहा जाता है, अपने अधीनस्थ 52 गणों के अग्रपति हैं. शरद पूर्णिमा को लगभग 2000 श्रद्धालुजन यहां आकर रात्रि में निराहार रहकर पूजा, भजन-कीर्तन करते हैं. प्रातः स्नान कर पुनः देव दर्शन करते हैं. फिर दोपहर को मेला लगता है.
Story of Lateshwar Mahadev Mandir
कहते हैं कि बड़ाबे गांव ( Barabey or Badabe Village ) के पास हल्दू नामक जगह पर लटेश्वर देवता ( Lateshwar Mahadev Mandir ) और एक दैत्य के बीच लड़ाई हो गयी. 22 हाथ लम्बी शिखा वाले दैत्य ने यहां खूब आतंक मचाया था. लटेश्वर देवता ( Lateshwar Mahadev Mandir ) ने उसकी शिखा उखाड़ फैंकी और दैत्य वहां से भाग गया. लोगों का विश्वास है कि लटेश्वर देवता ( Lateshwar Mahadev Mandir ) की कृपा से यहां अब कभी भूत-पिशाच नहीं आते.
कुमाऊँ मंडल के पूर्वोतरी क्षेत्रों का ‘लाटा’ एक बहुमान्य लोक देवता है. चम्पावत जनपद में चमलदेव के बहुपूजित देवता ‘चौमू’ का यह एक गण था. चौमू के देवगाथाओं में कहा गया है कि जब एक दुष्ट राक्षस का वध करने के लिए चौमू ने अपने एक अन्य गण के साथ उसे (लाटा) भेजा था तो शक्तिशाली दैत्य ने दोनों को परास्त कर एक की जीभ तथा दूसरे की टांग तोड़ डाली थी. फलतः जीभ काटने से गूंगा (लाटा) हो जाने से वह लाटा कहा जाने लगा और इसी नाम से पूजा भी जाने लगा.
थलकेदार क्षेत्र में इन्हें यहाँ के क्षेत्रपाल/भूमि रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है. इसकी मान्यता सोर पिथौरागढ़ ( Pithoragarh Travel ) के अनेक गाँवों में भी एक भूमि रक्षक लोकदेवता के रूप में पायी जाती है.