Lalbaugcha Raja Ganpati : गणेशोत्सव घर-घर में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है. घरों के अलावा कई स्थानों पर गणेशजी की बड़ी-बड़ी मूर्ति भी स्थापित गई हैं. इस उत्सव के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में मुंबई में बिठाए जाने वाले गणपति लाल बाग के राजा होते हैं. कहा जाता है कि मुंबई में सबसे ज्यादा श्रद्धालु लाल बाग के राजा के पंडाल में जुटते हैं.
मुंबई में गणेश भगवान मराठा शासकों के प्रिय रहे हैं. इतिहास में मराठा शासकों द्वारा गणपति पूजा का ब्यौरा मिलता है. हालांकि समय के साथ और विदेशियों के आगमन के बाद इस पूजा पर भी असर पड़ा. आधुनिक दौर में, गणेश उत्सव की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक द्वारा की गई थी.
ये वो वक्त था, जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था. उस दौर में सभी भारतीयों को एक साथ इकट्ठा करने के लिए गणेश उत्सव शुरू किया गया था.
सार्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते थे, जहां सभी भारतीय एकत्र होकर स्वतंत्रता संग्राम के लिए चर्चा किया करते थे. सन् 1934 से हर वर्ष मुंबई के लाल बाग इलाके में लाल बाग के राजा की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाती है.
लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की प्रसिद्ध गणेश प्रतिमा का नाम लालबागचा राजा है. मंडल की स्थापना 1934 में लालबाग मार्केट में कोली मछुआरों द्वारा “सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल, लालबाग” नाम से की गई थी.
वर्तमान लालबाग बाजार को अपने वर्तमान स्थान पर बनाने के लिए एक प्रतिबद्धता (नवास) के परिणामस्वरूप “मंडल” की स्थापना की गई थी. 1932 में पेरू चॉल बाजार को बंद कर दिया गया था. नतीजतन, खुली हवा में मछुआरों ने गणेश को अपने बाजार में बिठाने का निश्चय किया.
जमींदार राजाबाई तय्यबली ने कुवरजी जेठाभाई शाह, श्यामराव विष्णु बोधे, वीबी कोरगांवकर, रामचंद्र तवाटे, नखावा कोकम मामा, भाऊसाहेब शिंदे, यूए राव और स्थानीय लोगों की मदद से समुदाय को एक भूखंड देने का फैसला किया. 12 सितंबर, 1934 को मछुआरों और व्यापारियों ने गणेश की मूर्ति का निर्माण किया.
मंडल का गठन तब हुआ जब स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था. 1934 के बाद पहली बार लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल ने 2020 में COVID-19 महामारी के कारण अपने पारंपरिक समारोहों को रद्द कर दिया गया.
1934 से लेकर अब तक की इन सारी मूर्तियों में एक खास समानता है. इन्हें लालबाग में रहने वाले एक ही परिवार के मूर्तिकारों ने बनाया है. पिछले 8 दशकों से इलाके का कांबली परिवार ही लालबाग के राजा की मूर्ति बना रहा है. करीब 20 फीट ऊंची गणपति की मूर्ति बनाने का ये हुनर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच रहा है.
फिलहाल इस परिवार की तीसरी पीढ़ी ये काम कर रही है.कांबली परिवार के सबसे बुजुर्ग शख्स 73 साल के रत्नाकर कांबली हैं, जिन्होंने अपने पिता से ये हुनर सीखा था. रत्नाकर कांबली के पिता पहले महाराष्ट्र में घूम-घूमकर मूर्तियां बनाते थे, लेकिन एक बार वो लालबाग पहुंचे तो फिर यहीं के होकर रह गए. आज इस परिवार के सहयोग के बिना लालबागचा राजा के दरबार की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
इस जगह पर मिट्टियां भरकर इसे समतल इसलिए बनाया गया था क्योंकि यहां पर शहर बसाया जा सके, लेकिन इस स्थान को जिस मिट्टी से समतल किया गया था उसका रंग लाल था जिस कारण से इसका नाम लालवाड़ी पड़ गया था और यहां पर कटहल, सुपारी और आम का के पौधे लगाए गए थे जो की आगे चलकर बाग बन गए. कुछ समय के बाद लालवाड़ी को लालबाग और फिर लालबागचा राजा के नाम से जाना जाने लगा.
लालबागचा राजा के दर्शन के लिए आपको पहले मुंबई पहुंचना होगा. यहां से आप कैब, बस या लोकल ट्रेन के जरिए लालबागचा राजा के पंडाल तक पहुंच सकते हैं. पता है- लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल, श्री गणेश नगर, डॉ बाबा साहेब आंबेडकर रोड, लाल बाग मार्केट, मुंबई 400012
यह पंडाल मुंबई की लाल बाग मार्केट में जीडी आंबेडकर रोड पर लगता है. यहां आने के लिए आप चिंचपोकली, करी रोड या लोअर परेल स्टेशन उतर सकते हैं. दादर रेलवे स्टेशन से लालबागचा राजा की दूरी केवल 4 किलोमीटर है अगर आप कैब से आते हैं तो दादर से इस पंडाल तक पहुंचने में आपको 4-5 मिनट लगेंगे.
यहां दर्शन के लिए दो लाइन लगी हैं एक मुख्य दर्शन और दूसरी नवस या चरण स्पर्श दर्शन. यहां दर्शन के लिए हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है. दर्शन 24 घंटे चलते रहते हैं. मुख दर्शन में आप भगवान गणेश की मूर्ति को दूर से देख सकते हैं.
इसमें करीब 6-7 घंटे का समय लगता है जबकि चरण स्पर्श दर्शन में भगवान के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ले सकते हैं. इस लाइन में ज्यादा भीड़ होती है और दर्शन करने में करीब 15-16 घंटे का समय लगता है.
लालबागचा राजा को इच्छाएं पूरी करने वाला कहा जाता है इसलिए यहां मूर्ति विसर्जन तक भीड़ होती है लेकिन अगर आप यहां दर्शन का सबसे अच्छा समय जानना चाहते हैं तो मंगलवार को छोड़कर आप वीक डे पर रात के समय दर्शन करें उस समय यहां भीड़ थोड़ी कम होती है. जबकि वीकेंड और मंगलवार के दिन यहं काफी भीड़ होती है इसलिए वीकडेज में जाने की कोशिश करें.
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