Categories: Teerth Yatra

Kumbh 2019: महास्नान करने से पहले जान लें ये महत्वपूर्ण बातें

Kumbh 2019: दोस्तों कुंभ का मतलब होता है “अमृत”. कुम्भ का एक और मतलब होता है जिसका अर्थ होता है “मटका” यानी घड़ा,  तो देखा जाए तो  “अमृत का घड़ा” इसका पूरा-पूरा अर्थ माना जाता है। कहा जाता है की कुम्भ मेले का इतिहास लगभग 800 साल से भी ज्यादा पुराना है। जिसकी पुष्टि अलग-अलग ज्योतिषियों ने अलग-अलग काल चक्र से की है. कहा जाता है कि कुम्भ की शुरुआत आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही कर दी गई थी। जब समुंद्र मंथन में अमृत और विष के दो कुम्भ निकले थे। जिसमे देवताओं की चालाकी से अमृत देवताओं के पास पहुंचा और विष को भगवान शंकर ने अपने कंठ में रोक लिया सृष्टि के सृजन के लिए। वही कुछ बातें इस और इशारा करती है की ‘कुम्भ के मेले की शुरुआत 525 ईसा पूर्व से ही हो चुकी थी।

दोस्तों अगर हम भारत देश की बात करें तो पुरे विश्व भर में आज भारत को यहां की संस्कृति और यहां की सभ्यता के लिए सबसे पहले जाना जाता है। परन्तु यहां होने वाले धार्मिक मेले और कुम्भ का मेला इस देश को और भी रंगीन बनता है जहां आस्था और प्रेम को एक साथ देखा जाता है। और वही अगर बात करें तो भारत का नाम सबसे पहले यहां होने वाले त्योहारों की वहह से ही पूरे विश्व भर में लिया जाता है.

वहीं अगर त्योहारों की बात करें तो हर त्योहार भारत प्रांत में हर साल मनाया जाता है जैसे कि दिवाली, होली, रक्षाबंधन, इत्यादि लेकिन यहां होने वाला कुम्भ का मेला प्रत्येक तीन साल के बाद ही मनाया जाता है। यह भारत की सभ्यता और संस्कृति का सबसे प्रखर उदहारण भी साबित होता है। और यह पूरे विश्व का सबसे बड़ा मेला होता है. जिसको कुम्भ का मेला कहा जाता है. इसमें पूरी दुनिया के लोग शामिल होते हैं. यहां पूरे भारत के साधु संत एकत्रित होते हैं. और यह एक ऐसा मेला होता है जहां पर एक साथ एक ही समय में दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी मौजूद होती है। यह कुम्भ का मेला तीन साल में एक बार होता है जिसको देश भर की चार अलग-अलग राज्यों में आयोजित किया जाता है। जो है हरिद्धार, उज्जैन, प्रयाग और नासिक, वही सबसे रोचक बात यह है की कुम्भ का मेला एक जगह में होने के बाद दोबारा उसी जगह पर लौट कर 12 साल बाद आता है।

तो चलिए बात करतें है कुम्भ से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।

  • महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण जब इंद्र और देवता कमजोर पड़ गए थे तब राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया था। तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास जा पहुंचे। तब भगवान विष्णु ने देवताओं को दैत्यों के साथ मिलकर पवित्र अमृत की प्राप्ति के लिए समुन्द्र मंथन की युक्ति सुझाई तब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। इस मंथन के दौरान अनेक वस्तुओं की उत्पत्ति हुई। वही अमृत की भी उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से ही हुई थी। समुन्द्र  से जब अमृत निकला तब ही देवताओं के इशारे पर इंद्र के पुत्र ‘जयंत’ अमृत कलश को लेकर आकाश में उड़ गए। जयंत के अमृत लेकर उड़ जाने के बाद दैत्य गुरु शुक्राचार्य के आदेश पर राक्षसों ने अमृत लाने के लिए जयंत का पीछा किया, उसी के उपरांत काफी मेहनत के बाद राक्षसो ने जयंत को पकड़ा लिया। देवता और राक्षस दोनों उस कुंभ को पाने के लिए आगे बढ़े। वही इस अमृत कुम्भ की प्राप्ति के लिए 12 दिन तक देवता और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। जो पृथ्वी के 12 साल के बराबर था।
  • मान्यता के अनुसार कुंभ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं। मनुष्य जाति को अन्य आठ कुंभ मनाने का अधिकार नहीं है। यह कुंभ वही मना सकता है जिसमें देवताओं के समान शक्ति एवं यश प्राप्त हो। यही कारण है कि शेष आठ कुंभ केवल देवलोक में ही मनाए जाते हैं।
  • कुंभ मेला किस स्थान पर लगेगा यह ग्रहों की चाल और ज्योतिशास्त्र द्वारा राशि परिवर्तन के साथ ही तय किया जाता है। वर्ष 2013 में कुंभ मेला प्रयाग इलाहाबाद में लगा था। इसका कारण भी राशियों की विशेष स्थिति ही मानी जाती है। कुंभ नियमों के आधार पर प्रयाग में कुंभ तब लगता है जब माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरू मेष राशि में होता है। यही संयोग वर्ष 2013 में 20 फरवरी को हुआ था। और पिछले इन सालों में यही सयोंग हुआ था 1989, 2001, 2013. इस कुम्भ के मेले में 10 करोड़ लोगो का आगमन एक साथ हुआ था। 10 करोड़ लोगो को एक साथ एक ही जगह पर देखना मतलब किसी भी देश की भूगोलिक और इकोनॉमि पर बदलाव  के लिए कॉफी होगा।
  • कुंभ योग के विषय में विष्णु पुराण में उल्लेख मिलता है कि जब गुरु कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब हरिद्वार में कुंभ लगता है। इस तरह के पक्ष को साल 1986, 1998, 2010 के बाद 2021 में देखा जएगा। वही अगला महाकुंभ मेला हरिद्वार में 2021 में आयोजित किया जएगा।
  • वही इस वर्ष कुम्भ का मेला प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। जब माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरू मेष राशि में होता है तब इस अवस्था में कुम्भ प्रयाग में लगाया जाता है। इस राशि परिवर्तन के चलते ही इस बार कुम्भ का मेला 14 जनवरी 2019 से लेकर 10 मार्च 2019 तक चलेगा।
  • हज़ारों वर्षों से भी ज्यादा समय से इस कुम्भ के मेले को हमेशा से ही गंगा नदी के किनारे ही मनाया जाता है। यह तीन प्रकार के कुम्भ मनाये जाते हैं पहला अर्ध-कुम्भ दूसरा पूर्ण-कुम्भ और तीसरा जिसको कहते हैं महा-कुम्भ, वही अर्ध-कुम्भ को प्रतेक 6 वर्षों में आयोजित किया जाता है, पूर्ण-कुम्भ को प्रतेक 12 वर्षों में आयोजित किया जाता है वही महा-कुम्भ को 144 वर्षों में आयोजित किया जाता है।
  • शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि पृथ्वी का एक वर्ष देवताओं का एक दिन होता है, इसलिए हर बारह वर्ष पर एक स्थान पर पुनः कुंभ का आयोजन होता है। वही अगर देवताओं का बारह वर्ष पृथ्वी के 144 वर्ष के बाद आता है तो वह महा-कुम्भ कहलाता है। कहा जाता है कि 144 वर्ष के बाद स्वर्ग में भी कुंभ का आयोजन किया जाता है इसलिए उसी साल पृथ्वी पर भी महाकुंभ का अयोजन किया जाता है। महाकुंभ के लिए सबसे बेहतर स्थान प्रयाग को माना जाता है। और प्रयाग में 12 साल में एक बार ही कुम्भ मनाया जाता है।
  • कुम्भ के मेले में पिछली बार 100 मिलियन लोग पूरी दुनिया भर से एकत्रित हुए थे। ये एक साथ एक पूरी विरासत बसाने के बराबर लोगों का समूह था। यही कारण है की कुम्भ को विश्व का सबसे बड़ा मेला माना जाता है जो की भारत में आयोजित होता है.
  • हिंदू धर्म के मुताबिक मान्‍यता है कि किसी भी कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्‍नान या तीन डुबकी लगाने से सभी पुराने पाप धुल जाते हैं। महाकुंभ का आयोजन केवल चार शहरों में किया जाता है। प्रयागराज कुंभ मेला, को दूसरे कुंभ मेले की तुलना में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है की  यह कुंभ प्रकाश की ओर ले जाता है। प्रयाग एक ऐसा स्थान है जहां पर प्रतीक सूर्य का उदय होता है। जिस स्थान पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है उसे ब्रह्माण्ड का उद्गम और पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्माण्ड की रचना से पहले ब्रम्हा ने स्वयं यहीं अश्वमेघ यज्ञ किया था। इस यज्ञ के प्रतीक स्वरुप के तौर पर दश्वमेघ घाट और ब्रम्हेश्वर मंदिर अभी भी यहां पर मौजूद हैं। इनके कारण भी कुम्भ मेले का विशेष महत्व आज भी माना जाता है।
  • कुम्भ मेले के आगमन से पहले और बाद में, हज़ारों की तादात में लोगो को यह मेला, रोजगार उपलब्ध करवाता है। साल 2013 इलाहबाद में हुए कुम्भ की बदौलत लगभग 6 लाख 50,000 लोगों को रोजगार मिला। वहीं इन लोगों के द्वारा करी गई कमाई 12,000 करोड़ रुपयों दर्ज की गई। वही इस मेले में 14 अस्पतालों का निर्माण किया गया था. जो कि तम्बू में अस्थायी लगाये गये थे। जिसमे 243 कर्मचारी कार्यरत थे। चलित 40,000 शौचालय और वही 50,000 पुलिस कर्मचारी निर्धारित किए गए थे।
  • वही कुम्भ के मेले में साधु और संत-महात्मा भी आपको देखने को मिल जाएंगे जिसमे सबसे ज्यादा संख्या नागा-बाबाओं की होती है। आम तौर पर नागा बाबा पुरुष ही होते हैं। जो सभ्य समाज का हिस्सा नहीं होते। और निर्वस्त्र ही रहते है। जिन के तन पर किसी भी प्रकार का कोई भी वस्त्र नहीं होता किसी भी अंग पर। ये पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में ही रहते है जो शिव भक्ति में लीन रहना पसंद करते है। जिनका वास शमशान में रहता है और ये अपने आप को सामाजिक जीवन का हिस्सा नहीं मानते। वही कुम्भ के मेले के दौरान ये नागा बाबा आपको आम लोगो के बीच में घूमते फिरते नज़र आ जाएंगे।

Recent Posts

क्या शाम होते ही आपको बेचैनी होने लगती है? यह सनसेट एंग्जायटी का लक्षण हो सकता है

क्या आप भी शाम ढलते ही नर्वस, बेचैन और बेचैन महसूस करते हैं? एक अनजाना… Read More

1 day ago

Amrit Udyan Open : अमृत उद्यान आम जनता के लिए खुला, जानें समय और ऑनलाइन कैसे करें

Amrit Udyan Open : राष्ट्रपति भवन में स्थित प्रसिद्ध अमृत उद्यान (जिसे पहले मुगल गार्डन… Read More

2 days ago

Pushkar Full Travel Guide : पुष्कर आएं तो जरूर करें यह 18 चीजें, झूम उठेंगे

Pushkar Full Travel Guide - राजस्थान के अजमेर में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर-पुष्कर… Read More

5 days ago

Artificial Jewellery Vastu Tips : आर्टिफिशियल ज्वैलरी रखते समय रखें इन बातों का ध्यान

Artificial Jewellery Vastu Tips : आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ गया है.  यह… Read More

6 days ago

Prayagraj Travel Blog : प्रयागराज में घूमने की ये जगहे हैं बहुत फेमस

Prayagraj Travel Blog :  क्या आप प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रियों के जमावड़े,… Read More

1 week ago

10 Best Hill Stations In India : भारत के 10 बेस्ट हिल स्टेशन जिन्हें आपको अपनी लाइफ में एक बार जरूर देखना चाहिए

10 Best Hill Stations In India : भारत, विविध लैंडस्कैप का देश, ढेर सारे शानदार… Read More

2 weeks ago