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Kinnaur Kailash Yatra Guide: क्यों किन्नर कैलाश में शिवलिंग का बार-बार रंग बदलता है

Kinnaur Kailash Yatra Guide: हिमालय की बर्फीली चोटियों में कई ऐसे देव स्थान छिपे हैं जिनकी धार्मिक मान्यताएं बेहद अधिक हैं. ऐसा ही एक स्थान है हिमाचल में मौजूद किन्नर कैलाश पर्वत जो किन्नौर जिले में स्थित है. हम आपको इसी पर्वत और यहां मौजूद 79 फिट के शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं. Kinnaur Kailash Yatra के लिए हर साल हजारों टूरिस्ट इस जगह आते हैं. पहाड़ की चोटी पर स्थित ये शिवलिंग बहुत ही खास है. इस शिवलिंग की खूबसूरती की बात की जाए तो किन्नर कैलाश का ये शिवलिंग बादलों से घिरा रहता है और आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं. आइए जानते हैं Kinnaur Kailash Yatra Guide

ये शिवलिंग समुद्र तल से 17200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है. क्योंकि ये हिमाचल के दुर्गम स्थान पर स्थित है इसलिए यहां आपको बहुत भीड़ नहीं मिलेगी.

क्यों खास है किन्नर कैलाश का शिवलिंग || Why is the Shivling of Kinnar Kailash Special

जैसा कि हमने पहले कहा है कि ये शिवलिंग 79 फीट ऊंचा है. दरअसल, ये एक शिला है जो शिवलिंग और त्रिशूल जैसी दिखती है. पहाड़ की चोटी पर ये बहुत अच्छी तरह से बैलेंस्ड है. Kinnaur Kailash Yatra Guide की एक और खास बात ये है कि शिवलिंग बार-बार रंग बदलता रहता है. मान्यता है कि इस शिवलिंग का रंग हर पहर में बदलता है.

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ये सुबह किसी और रंग का दिखता है, दोपहर को सूरज की रोशनी में इसका रंग अलग दिखता है और शाम होते होते ये रंग फिर से अलग दिखने लगता है. Kinnaur Kailash Yatra Guide के लेख में हम बता दें कि ये पार्वती कुंड के नजदीक स्थित है और इसलिए भी इसकी मान्यता ज्यादा है.

क्या हैं किन्नर कैलाश से जुड़ी मान्यताएं || What are the beliefs Related to Kinnaur Kailash Yatra

किन्नर कैलाश पर्वत से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि इसके पास स्थित कुंड देवी पार्वती ने खुद बनाया था. ये पार्वती और शिव भगवान के मिलने का स्थान था. मान्यता ये भी कहती है कि सर्दियों में यहां सभी देवताओं का वास होता है इसलिए यहां अक्टूबर के बाद नहीं जाते हैं.

ट्रेक है बहुत मुश्किल || Kinnaur Kailas Trek is very Difficult

किन्नर कैलाश पर्वत का ट्रेक काफी मुश्किल माना है. दरअसल, 14 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक के आस-पास बर्फीली चोटियां हौ सेब के बागान भी. खूबसूरती की बात करें तो यहां आपको सांग्ला और हंगरंग वैली के नजारे देखने को मिलेंगे. इस ट्रेक का शुरुआती प्वाइंट है तांगलिंग गांव. सतलुज नदी के किनारे बसा ये गांव बहुत ही खास है.

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यहां से 8 किलोमीटर दूर मलिंग खटा तक ट्रेक कर जाना होता है. इसके बाद 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड तक, वहां के दर्शन करने के बाद 1 किलोमीटर और ट्रेक करने पर किन्नर शिवलिंग आता है.

क्योंकि ये ट्रेक बहुत मुश्किल है इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वो पूरी तैयारी के साथ यहां आएं और स्थानीय गाइड्स से मदद लें. साथ ही साथ, गर्म कपड़ों की जरूरत यहां हर मौसम में होती है. Kinnaur Kailash Yatra Guide में ये भी ध्यान रखें कि इस ट्रेक के लिए पहाड़ चढ़ते और उतरते दोनों समय खतरा होता है इसलिए जूते ऐसे ही चुनें जिनमें ग्रिप अच्छी हो.

ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय || Best Time to Trek Kinnaur Kailash

ये खूबसूरत ट्रेक मई से अक्टूबर तक ही रहता है. सर्दियों के महीने में यहां बर्फ बहुत ज्यादा होती है और लोग यहां आ नहीं पाते. क्योंकि ये ट्रेक मुश्किल है और इस इलाके में बारिश की काफी समस्या होती है इसलिए यहां मिड मानसून में आने को भी मना किया जाता है.

किन्नर कैलाश कैसे पहुंचे।| How To Reach Kinnaur Kailash

ट्रेन से कैसे पहुंचे || How To Reach Kinnaur Kailash by Train

किन्नौर कैलाश के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका का है. कालका से शिमला तक आपको टॉय ट्रेन मिल जायेगी उसके बाद आप शिमला से किन्नर कैलाश तक का सफर आप टैक्सी से पूरा कर सकते हैं.

सड़क के रास्ते  कैसे पहुंचे || How To Reach Kinnaur Kailash by Road

किन्नर कैलाश तक जाने वाले सभी राजमार्ग देश के कई बड़े शहर अच्छी तरह से जुड़े हुए है और दिल्ली से शिमला की दूरी लगभग 350 किमी की है. जिसकी मदद से आप किसी भी टूर एंड ट्रैवल की कंपनी या फिर आप अपने प्राइवेट गाड़ी से भी आसानी से जा सकते है.

फ्लाइट से कैसे कैसे पहुंचे || How To Reach Kinnaur Kailash by Flight

यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा शिमला का है. जोकि लगभग 250 किमी की दूरी है.  इसके बाद आपको यहां से टैक्सी आसानी से जायेगी. जिनकी मदद से आप किन्नर कैलाश तक आसानी से पहुंच जायेंगे.

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