Kaitha Shiv Temple : झारखंड के रामगढ़ जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां के जल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं. कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है. मंदिर में एक साथ दो शिवलिंग की पूजा की जाती है. कैथा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर गोला रोड के एनएच 23 पर रामगढ़ शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है. मंदिर का निर्माण 1670 इस्वी में किया गया था.
मंदिर में चढ़ाए गए जल से ठीक हो जाते हैं कान के रोग || Water offered in the temple cures ear diseases
लोगों का मानना है कि कैथा मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद उसके जल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं.आस्था यह भी है कि पुराने से पुराने बहते कान में मंदिर में चढ़ाए जाने वाले जल को डालने से कान का बहना बंद हो जाता है.
क्यों पड़ा कैथा नाम || Why was the name Kaitha
हजारीबाग के राजा दलेर सिंह ने रामगढ़ को अपनी राजधानी बनाया. इसके बाद ही उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया.मंदिर के नीचे गुफा है, जहां कैथेश्वरी मां की शक्ति विद्यमान है। इसी कारण इस शिव मंदिर का नाम कैथा शिव मंदिर पड़ा.
स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना || Amazing example of architecture
सन 1670 में बना यह शिव मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। मंदिर की बनावट मुगल, बंगाली, राजपूत शैलियों का मिश्रण है. मंदिर का निर्माण लखौरी ईंटों को सुर्खी, चूना, दाल के मिश्रण की जुड़ाई से बनाया गया है. दो मंजिलें मंदिर में ऊपर जाने और नीचे उतरने के लिए 2 सीढ़ियां बनी हैं. सीढ़ियों के बगल में बेलनाकार गुंबज है, संभवता इस पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते होंगे. मंदिर के पहले तल्ले पर शिवलिंग स्थापित है. मंदिर के ऊपरी गुंबज के ठीक बीच में बजरंगबली की मूर्ति स्थापित है, जो मंदिर के निर्माण के समय की बताई जाती है.
एक साथ दो शिवलिंग की होती है पूजा || Two Shivalingas are worshiped together
इस मंदिर की एक और खूबी है कि यहां एक साथ दो शिवलिंग की पूजा होती है. माना जाता है कि एक शिवलिंग स्थापना काल से ही मंदिर में मौजूद है और दूसरा बाद में स्थापित किया गया. यहां पूरे सावन मास में जलाभिषेक करने श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. शिवरात्रि के दिन भव्य पूजा और जागरण किया जाता है. इस समय यहां दो दिनों का मेला लगता है.
एक ही रात में बनकर तैयार हुआ था मंदिर || the temple was completed in a single night
मंदिर के ठीक नीचे एक गुफा मौजूद है. इस गुफा का गुफा का रहस्य कोई नहीं जानता. किदवंती यह भी है कि मंदिर एक ही रात में बन कर तैयार हो गया था. मंदिर के नीचे बने तहखाने (गुफा) का रहस्य आज भी कायम है. कोई भी गुफा के अंदर नही जाता है. कहा जाता है कि उस समय के राजा और रानी पास के तालाब से स्नान कर इसी गुफा के रास्ते मंदिर तक आते थे औऱ पूजा करते थे.लोगों का मानना है कि गुफा में काले नाग का भी निवास है.
गुफा में काले नाग का निवास || Black snake resides in the cave
माना जाता है कि मंदिर की गुफा में काला नाग का निवास स्थान है, जो मिट्टी के प्याले में दूध-लावा और बताशा ग्रहण करने आता है. कई बार स्थानीय लोगों ने इसे देखा है. मंदिर के बगल में एक बड़ा तालाब है. इसी तालाब में राजा-रानी स्नान कर सुरंग के रास्ते होते हुए मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते थे. अब यह सुरंग बंद है. फिलहाल इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है.
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