Ishwara Mahadev Morena : मुरैना में पहाड़गढ़ के घने जंगल में स्थित है ईश्वरा महादेव मंदिर, आइए जानते हैं इसके बारे में
Ishwara Mahadev Morena : भारत में चमत्कार और रहस्यमयी कई मंदिर है जिनका रहस्य कोई नहीं जानता और ना ही कोई इन रहस्यों की जड़ तक पहुंच पाता है. कहा जाता है कि इस तरह के सभी मंदिरों में चमत्कार के पीछे ईश्वर की शक्ति होती है. चमत्कारों की सूची में एक मंदिर मुरैना का भी है. इसे ईश्वरा महादेव मंदिर (Ishwara Mahadev Morena) के नाम से जाना जाता है.
ईश्वरा महादेव मंदिर मुरैना शहर से लगभग 66 किलोमीटर की दूरी पर है. यह कुनो नेशनल पार्क के पास है. पहाड़गढ़ के घने जंगलों में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां सावन के महीने में अपने आप शिवलिंग की पूजा हो जाती है.
ईश्वरा महादेव मंदिर जिस पहाड़गढ़ के जंगल में हैं, यहां 5 मुखी, 7 मुखी, 9 मुखी और 11 मुखी बेलपत्र पाए जाते हैं. ये बेलपत्र देश में कहीं और नहीं पाए जाते हैं. देश में अमूमन 3 मुखी बेलपत्र ही दिखाई देते हैं.
मंदिर, मुरैना की तहसील कैलारस से 25 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ के जंगल में है. यहां आप निजी वाहन से या साधन बुक करके ही पहुंच सकते हैं. मुख्य मार्ग से लगभग 5 किलोमीटर अंदर ये मंदिर है. 2-3 किलोमीटर का रास्ता एकदम पथरीला है.
पहाड़गढ़ के इस घने जंगल की कंदरा में स्थित प्राचीन शिविलंग का अपना विशेष महत्व है. मान्यता है कि मंदिर में चार बजे ब्रह्म मुहूर्त के समय कोई शक्ति स्वयं पूजा-अर्चना करने आती हैं. हालांकि अब ऐसा सिर्फ सावन के महीने में होता है.
पुजारी द्वारा मंदिर के पट खोलने पर शिवलिंग 21 मुखी, 11 मुखी 7 मुखी बेलपत्रों, फूलों, चावल से अभिषेक हुआ मिलता है. इस अद्भुत शिवलिंग पर साल के 365 दिन कुदरती तौर पर पानी की बूंदें टपकती रहती हैं.
प्राकृतिक खूबसूरती के बीच बसे ईश्वरा महादेव का रहस्य वर्षों बाद भी नहीं सुलझ सका है. बताया जाता है कि इस रहस्य को जानने के कई प्रयास किए गए लेकिन सभी नाकाम रहे. गुफानुमा पहाड़ के नीचे शिवलिंग पर प्राकृतिक झरने से शिवलिंग के शीर्ष पर जलाभिषेक हर क्षण होता रहता है और ब्रह्ममुहूर्त में कोई सिद्ध शक्ति उपासना करती है.
पहाडगढ़ के जंगलों में ईश्वरा महादेव का सिद्ध मंदिर बना हुआ है. बारिश के मौसम में यहां प्राकृतिक छटा देखने लायक होती है इसलिए यह धार्मिक स्थल के साथ अच्छा पिकनिक स्पॉट है.
ग्रामीण बताते हैं की यहां सिद्ध बाबा ने इन पहाड़ों के बीच शिवलिंग स्थापित कर तपस्या की थी, तभी से शिवलिंग के शीर्ष पर प्राकृतिक झरना अविरल जलाभिषेक कर रहा है. यहां पुजारी ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोलते हैं, लेकिन तब तक कोई शिवलिंग का अभिषेक कर चुका होता है.
लोगों का कहना है कि इस मंदिर के गर्व गृह में रहस्यमयी पूजा को जानने के लिए किसी ने शिवलिंग के ऊपर हाथ रख लिया था लेकिन तभी अचानक तेज आंधी चली और फिर कुछ देर के लिए हाथ हटाया और अदृश्य भक्त शिव का पूजन कर गई, लेकिन जिस व्यक्ति ने शिवलिंग पर हाथ रखा था वो कोढ़ी हो गया.
कई बार संत महात्माओं द्वारा भी इस रहस्य को जनने की कोशिश की गई लेकिन इसके बावजूद पूजा का समय होते ही साधुओं की झपकी लग गई और पलभर में कोई शक्ति ईश्वरा महादेव शिवलिंग का अभिषेक कर गई.
जब संतों की आंखे खुली तब शिवलिंग की पूजा हुई नज़र आई. लोगों का कहना है की शिवलिंग की स्थापना रावण के भाई विभीषण द्वारा की गई थी और उन्हें सप्त चिरंजीवियों में से एक माना गया है. इसलिए राजा विभीषण ही यहां पूजा करने आते हैं.
ईशुरा महादेव मंदिर पर गुप्त पूजा-अर्चना के रहस्य को जानने का प्रयास पहाडग़ढ़ रियासत के राजा पंचम सिंह भी कर चुके हैं. उन्होंने रात में हो जाने वाली पूजा का रहस्य जानने के लिए अपनी सेना को मंदिर के इर्द-गिर्द लगा दिया था. चौकसी में लगी सेना सुबह चार बजे से पहले अचेतन अवस्था में चली गई. जब आंख खुली तो वहां पूजा-अर्चना हो चुकी थी.
बताया जाता है की यहां ईश्वरा महादेव मंदिर के आसपास अनोखे बेलपत्र के पेड़ हैं. सामान्य तौर पर बेल की पत्तियां तीन-तीन के समूह में होती है, लेकिन यहां पांच, सात तक हैं. बताया तो यह भी जाता है कि कई बार शिवलिंग पर 21 के समूह वाली बेल पत्तियां भी देखी गई हैं.
ईश्वरा महादेव मंदिर के बारे में कई जगह उल्लिखित है कि लंकानरेश रावण के भाई विभीषण ने यह शिवलिंग बनवाया था. हालांकि अभी भी ये निश्चित नहीं है कि मंदिर को किसने बनवाया था?
मुरैना रेल के माध्यम से शेष भारत से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. यह सीधे तौर पर मुंबई दिल्ली कोलकाता बंगलुरु जैसे कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है यदि आप फ्लाइट के माध्यम से यात्रा करना चुनते हैं, तो आपको ग्वालियर हवाई अड्डे के लिए एक उड़ान लेनी होगी, जो नजदीकी है मुरैना से हवाई अड्डा. ग्वालियर शहर मुरैना से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है. दोनों शहर बसों और निजी टैक्सी सेवा के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं.
नजदीकी एयर पोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट है जो लगभग 50 किलोमीटर दूर है. यहां से आप गाड़ी बुक करके आसानी से ईश्वरा महादेव मंदिर पहुंच सकते हैं.
मुरैना जिले का एक मुख्य रेलवे स्टेशन उत्तर मध्य क्षेत्र के तहत है. इसका कोड एनसीआर है. स्टेशन में दो प्लेटफार्म हैं. कई बड़े शहरों के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं. यहां से आप गाड़ी बुक करके आसानी से ईश्वरा महादेव मंदिर पहुंच सकते हैं. आपको 2 से 3 घंटे लगेंगे पहुंचने में.
मुरैना एनएच-3 हाईवे पर एनएच-3 आगरा-बॉम्बे रोड पर स्थित है. यह ग्वालियर से लगभग 40 किलोमीटर और धौलपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है.
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More
Trek With Friends : फरवरी दोस्तों के साथ रोमांचक सर्दियों की यात्रा पर निकलने का… Read More
Who is Ranveer Allahbadia : जाने-माने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर और पॉडकास्ट होस्ट अनवीर अल्लाहबादिया कॉमेडियन… Read More
Rashtrapati Bhavan first wedding : भारत के राष्ट्रपति का निवास, राष्ट्रपति भवन, देश की ताकत,… Read More
Valentine's Day 2025 : फरवरी की शुरुआत और वैलेंटाइन डे के करीब आते ही, क्या… Read More
Valentine Week 2025 : फरवरी को प्यार का महीना भी कहा जाता है क्योंकि लोग… Read More