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ISKCON मंदिर : आपकी सोच से बहुत अलग है इस्कॉन की कहानी

नई दिल्ली. ISKCON temple हिन्दू धर्म में पहला स्थान भगवान को दिया जाता है। इस धर्म में कई सारे देवी-देवता की पूजा की जाती है। उन्हीं में से एक हैं भगवान कृष्ण। महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने धर्मं की रक्षा करने के लिए और अधर्मियों का नाश करने लिए अर्जुन का सारथी बनकर मार्गदर्शन किया था। इसी भगवान कृष्ण के मंदिर को इस्कॉन ISKCON मंदिर भी कहा जाता है।

मंदिर की स्थापना 1998 में हुई (The temple was established in 1998)

प्रसिद्ध इस्कॉन ISKCON मंदिर को हरे रामा हरे कृष्णा मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1998 में अच्युत कन्विदे ने की थी और यह मंदिर दिल्ली के पूर्व में स्थित है। इस मंदिर को अन्दर से और बाहर से पूरी तरह से पत्थरों से बनवाया गया है मगर इसे बनाते वक्त पत्थरों को काफी सुन्दरता से तराशा गया है।

इस्कॉन ISKCON के मंदिर सारी दुनिया में है। इस मंदिर का नाम एक विशेष अंग्रेजी भाषा के शब्दों को बनाकर किया गया -इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कांशसनेस (इस्कॉन)। इस अध्यात्मिक संस्थान की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपद ने 1966 में न्यूयॉर्क में की थी।

इस्कॉन के जो तत्त्व है उनका आधार 5000 साल पहले हुए भगवद्गीता पर आधारित है।

इस्कॉन ISKCON के जितने भी भक्त है वो भगवान कृष्ण को सबसे बड़ा भगवान मानते हैं और देवता के जितने भी अवतार हुए वो सभी भगवान कृष्ण के है ऐसा उनका मानना है। इसीलिए वो सभी भगवान कृष्ण को मुख्य देवता मानते है।

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सभी लोगों ने भक्ति मार्ग का स्वीकार करना चाहिए और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करनी चाहिए इसीलिए इस्कॉन मंदिरों की स्थापना की गयी है।

इस्कॉन का सम्बन्ध गौडीय वैष्णव संप्रदाय से है। यहा पर वैष्णव का अर्थ होता है भगवान विष्णु की पूजा और गौड़ का सम्बन्ध पश्चिम बंगाल के गौड़ प्रदेश से है और इसी जगह से वैष्णव संप्रदाय की शुरुआत हुई थी।

इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपद पुरे भारत में भगवान श्री कृष्ण के मंदिर बनवाना चाहते थे। इसीलिए दिल्ली में जो इस्कॉन का मंदिर बनाया गया उसका असली नाम श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर है और इसकी स्थापना 1995 में की गयी थी ताकी भक्त को सीधा भगवान कृष्ण के साथ जोड़ा जा सके।

प्रभुपद ने ऐसा भी कहा था की, ‘ये सभी मंदिरे अध्यात्मिक अस्तपाल है’। बीमारी को ठीक करने के लिए जिस तरह एक मरीज अस्पताल जाता है उसी तरह एक भक्त ने भगवान के दर्शन के लिए मंदिर आना चाहिए और भगवान के कीर्तन सुनने चाहिए जिससे उसके विचार अच्छे हो जाते है वो भगवान की भक्ति में लीन हो जाता है।

इस्कॉन मंदिर की वास्तुकला (ISKCON Temple Architecture)

यह मंदिर नई दिल्ली के दक्षिण में स्थित है। इस इस्कॉन मंदिर में कृष्ण भगवान के मंदिर अलावा भी तीनऔर मंदिरे है और वो करीब 90 फीट उचे है। वो तीन मंदिर राधा-कृष्ण, सीता-राम और गौरा-निताई के मंदिर है।

मंदिर को बाहर के हिस्से में बड़ी सुन्दरता से बनाया गया है साथ ही मंदिर के भीतर भगवान कृष्ण के जीवन की घटनाओ को बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया है।

इस मंदिर के परिक्रमा परिसर में इस्कॉन मंदिर की अलग अलग चित्र लगाये हुए है। इस परिक्रमा परिसर में भगवान कृष्ण और राधा की भी मुर्तिया है।

यहां के परिसर में केवल यही सबसे बड़ा मंदिर है और यहां के सभी लोग श्रीला प्रभुपद को ही मनाते है, उनकी पूजा करते हैं। इस मंदिर लोग बहुत दूर दूर से आते है कुछ लोग बाहर के देश से भी आते है और यहापर वेदों का अभ्यास करते है।

मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को बड़ी खूबसूरती से सजाया गया है। भगवान को काफी सुन्दर वस्त्र और आभूषणों से सजाया गया है। इस मंदिर में हमेशा केवल हरे रामा हरे कृष्णा के स्वर गूंजते रहते है। दिल्ली के इस मंदिर में हमेशा यही मंत्र का जप किया जाता है।

इस मंदिर में भक्तों के लिए सत्संग और पारायण का आयोजन किया जाता है। मंदिर के बाहरी हिस्से में बड़ी सुन्दरता से नक्काशी का काम किया गया है और साथ ही इस मंदिर में बाहर की जगह पर कई सारी दुकाने है।

इस मंदिर में प्रवेश करते समय ही एक बडासा और सुन्दर फव्वारा देखने को मिलता है। इस मंदिर में अलग अलग जगह पर अलग अलग देवता के मंदिर भी है।

इस मंदिर में एक बहुत बड़ा संग्रहालय भी है जहापर रामायण और महाभारत के ग्रंथ रखे गए है। हर रविवार के दिन इस मंदिर में भगवान की विशेष पूजा की जाती और सभी लोग भगवान को प्रार्थना करते है और जब जन्माष्टमी का त्यौहार होता है तो भक्त बड़े उल्लास के साथ इसे मनाते है।

इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी का त्यौहार (Janmashtami festival in ISKCON temple)

इस मंदिर के सबसे अहम देवता भगवान श्री कृष्ण है इसीलिए इस मंदिर में उनका जन्म दिन जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

हर साल करीब 8 लाख भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते है और अपने मन की बात भगवान से साझा करते है।

त्यौहार के दिन सुबह 4:30 बजे से उत्साह की शुरुआत होती है और देर रात तक शुरू रहता है। इस मौके पर बड़ी शोभायात्रा निकाली जाती है, लोग भगवान की विशेष के पूजा करवाते है, कई सारे सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता। इस त्यौहार के दिन भगवान कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है।

इस्कॉन मंदिर में देखने जैसी बाते 

वैदिक संस्कृति का संग्रहालय: इस मंदिर में एक सग्रहालय है जिसमे वैदिक संस्कृति के बारे में सारी जानकारी मिल सकती है। इस संग्रहालय में सभी देवी और देवता की पीतल की बनी हुई मुर्तिया रखी गयी है। जिन्हें विडियो देखने हो, तो उसकी भी व्यवस्था यहापर की गयी है।

वैदिक कला को प्रदर्शित करनेवाला भवन: इस मंदिर में एक बहुत ही बड़ा भवन है। इस भवन में दुनिया के सभी कोने से लोग आते है और हिन्दू धर्मं पर आधारित कार्यक्रम करके अपने अन्दर की कला को बेहतर करने का काम करते है।

रामायण आर्ट गैलरी: इस जगह पर रामायण के सभी महत्वपूर्ण घटनाओ की जानकारी दी गयी है इस जानकारी को मल्टीमीडिया में दिखाने की कोशिश की गयी है।

भगवद्गीता अनिमत्रोनिक्स रोबोट शो: इस शो को देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते है क्यों की इस शो में कुछ अलग देखने को मिलता है। इस शो में भगवद्गीता में जो भगवान श्रीकृष्ण ने सिख दी है उसे दिखाया जाता है और सबसे खास बात यह है की इसमें जो रोबोट दिखाए गए है वो मिटटी से बनाये हुए है।

इस भगवान श्री कृष्ण मंदिर में साल भर कुछ ना कुछ कार्यक्रम शुरू ही रहते है। कभी भक्तों के लिए सत्संग का आयोजन किया जाता। किसी अच्छे मुहूर्त पर भक्तों के लिए कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।

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इस हरे कृष्ण हरे रामा मंदिर में भगवान का जन्मदिन बड़े आनंद से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर के बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर सभी भक्त बड़ी संख्या में मौजूद रहते है।

सूरज की तरह ही, इस्कॉन के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग नाम हैं। आप भगवान कृष्ण की चेतना का अभ्यास भी कर सकते हैं और इस्कॉन का हिस्सा बन सकते हैं। इसके लिए, आपको अपना धर्म नहीं छोड़ना होगा। आपको बस प्रथाओं को अपनाने की जरूरत है। भले ही, यह नैतिक रूप से हिंदू धर्म के भीतर गौड़ीय वैष्णव ’संस्था का एक हिस्सा है, कृष्ण चेतना सभी भौतिक निकायों की सीमाओं से परे जाने के बारे में है और संबंधित पदनाम से संबंधित है।

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