Here are the top 21 tourist attractions to see in Kurukshetr
Kurukshetra Tour Guide – हरियाणा को घूमने के लिहाज से कम आकर्षक माना जाता है. हालांकि सच इसके विपरीत है. अगर देखें तो चंडीगढ़ यहां की राजधानी है, वहां एक से बढ़कर एक टूरिस्ट प्लेस हैं. इसके साथ ही फरीदाबाद, गुड़गांव सहित हरियाणा के कई जिलों में एक से बढ़कर एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं. इस आर्टिकल में हम बात करेंगे ऐतिहासिक नगरी कुरुक्षेत्र की. ये तो सबको पता है कि गीता का उपदेश श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में ही दिया था, जहां महाभारत का युद्ध हुआ था. वहीं आज हम आपको बताएंगे कुरुक्षेत्र के 21 जगहों के बारे में विस्तार से बताएंगे.
बह्मा सरोवर थानेसर, कुरुक्षेत्र हरियाणा में स्थित एक पवित्र सरोवर है. ऐसा हिन्दू धर्म में माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से बहारी और आन्तरिक शरीर पवित्र होता है. ब्रह्मा सरोरव का नाम भगवान ब्रह्मा के नाम से लिया गया है जो कि पूरे ब्रह्मांड के रचनाकार है. ऐसा माना जाता है कि इस कुण्ड की खुदाई राजा कुरू ने करवाई थी जोकि पांडव और कौरवों के पूर्वज थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने कुरुक्षेत्र को विशाल यज्ञ से निर्मित किया गया था. ब्रह्मा सरोवर स्नान करने के लिए भारत के सभी राज्यों से श्रद्धालु आते हैं.
स्थानीय परंपरा के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय इस सरोवर में स्नान करने से ग्रहण का असर व्याक्ति के जीवन में कम हो जाता है और सूर्य ग्रहण के समय इस सरोवर में लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते है. गीता जयंती के अवसर पर भी लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते है.
ऐसा भी माना जाता है कि ब्रह्मा सरोवर में स्नान करने से उतना पुण्य मिलता है जितना कि अश्वमेघ यज्ञ करने के बाद मिलता है. यह कुण्ड 1800 फीट लम्बा और 1400 फीट चौड़ा है. ब्रह्मा सरोवर भारत का सबसे बडा मानव निर्मित सरोवर है. यह सरोवर दो भागों में बाटा हुआ है, सरोवर के बीच में भगवान शिव और मां काली का मंदिर भी है और शिव मंदिर में एक पुल के माध्यम से जाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव लिंग की स्थापना खुद भगवान ब्रह्मा द्वारा किया गया था.
कहां है महाभारत काल का लाक्षागृह, जहां दुर्योधन-शकुनी ने रची थी पांडवों को मारने की साजिश
ज्योतिसर महाभारत की कथा से जुड़ा है और कुरुक्षेत्र में एक पवित्र स्थल है. यहां पर अक्षय वट वृक्ष के पास एक ज्योतिसर लिंग के नाम पर हजारों साल पहले पड़ा. तब महाभारत का युद्ध शुरू होना था और अर्जुन अपने सामने सगे संबंधियों को देखकर मोह में पड़ गए तो कृष्ण ने उन्हें विराट रूप दिखाकर गीता का संदेश दिया था. उन्होंने गुण, प्रभाव, स्वरूप, तत्व, रहस्य, उपासना और कर्म व ज्ञान को विस्तार से समझाया था ज्योतिसर सरोवर के आसपास मंदिरों की श्रंखला है.
लेकिन श्रीकृष्ण का विराटस्वरूपधारी मंदिर और शंक्राचार्य मंदिर प्रमुख हैं। मंदिरों की दीवारों पर गीता के श्लोक अंकित हैं. यहीं पर हजारों साल पुराने अक्षय वट वृक्ष के दर्शन होते हैं जो महाभारत युद्ध और गीता संदेश का एकमात्र साक्षी माना जाता है. माना जाता है कि यह पेड़ वही पेड़ है जो आज भी कस्बे में मौजूद है.
जब पितामह भीष्म शरशैय्या पर थे, तब सभी कौरव और पाण्डव उन्हें घेरकर खड़े थे. ऐसे में भीष्म ने जल पीने का इच्छा व्यक्त की. दुर्योधन ने सिपाहियों को आदेश देकर जल लाने के लिए कहा. इस पर भीष्म बोले जिसने मुझे ये शरशैय्या दी है, वही मुझे जल पिलाये. इस पर अर्जुन ने गांडीव धनुष पर बाण चढ़ाकर धरती में मारा और वहाd से जल धारा फूट पड़ी. इसी जल से पितामह भीष्म ने अपनी प्यास बुझाई. इसीलिए इसे भीष्म कुंड भी कहा जाता है.
Govardhan Parvat Parikrama – कृष्ण खुद देकर गए जिसकी पूजा का संदेश
श्रीकृष्ण म्यूजियम की स्थापना वर्ष 1987 में की गई थी. साल 1995 में नया ब्लॉक जोड़ा गया था. आगे 2012 में तीसरे म्यूजियम भवन में एक मल्टीमीडिया महाभारत गीता गैलरी बनाई गई थी. म्यूजियम का विषय कृष्ण, कुरुक्षेत्र और महाभारत है.
गैलरी में प्रदर्शनों में उत्तम लकड़ी की नक्काशी, लकड़ी के पैनल, कांस्य कास्टिंग, हाथी दांत के काम, ताड़ के पत्ते की नक्काशी, पत्थर की मूर्तियां, पुरातात्विक कलाकृतियां (Archaeological artefacts) और लघु चित्र शामिल हैं. भागवत और महाभारत पर आधारित मिट्टी से बनी एक झांकी भी है.
550 फीट तक की चौड़ाई और 1500 फीट की ऊंचाई में स्थित, सान्निहित सरोवर को सरस्वती नदी की सात सहायक नदियों और भगवान विष्णु का घर माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन या ग्रहण के दिन स्नान करने से एक अश्वमेध यज्ञ का सौभाग्य प्राप्त होता है. सरोवर परिसर में ध्रुव नारायण, श्री हनुमान, भगवान विष्णु, ध्रुव भगत, लक्ष्मी नारायण और देवी दुर्गा के मंदिर भी हैं.
शेख चेली समाधि या शेख चिल्ली का मकबरा राजकुमार ने शिकोह के सूफी गुरू की याद में बनाया गया था. इस परिसर में शेख चिल्ली और उसकी पत्नी की कब्र, लाल बलुआ पत्थर से बनी एक मस्जिद, मदरसा, खूबसूरती से बनाए गए लॉन और एक पुरातत्व म्यूजियम है जो इसे एकपर्यटक आकर्षण बनाता है.
स्थनेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसमें एक प्राचीन शिवलिंग है. भक्तों का मानना है कि भगवान कृष्ण और पांडवों ने महाभारत की पौराणिक लड़ाई से पहले भगवान शिव से आशीर्वाद लिया था. मंदिर में एक पवित्र जल कुंड है और इससे प्राप्त जल को किसी भी बीमारी का इलाज माना जाता है. माना यह भी जाता है कि यहा नहाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है.
मंदिर की छत को आंवले के गुंबद के आकार का देखा जा सकता है, जिसमें ऊंचे शिखर हैं. मंदिर में शिव लिंग की एक प्राचीन मूर्ति है जिसे माना जाता है कि यह शिव की पहली मूर्ति है.
भद्रकाली मंदिर वह जगह है जहां पांडवों को कौरवों के खिलाफ अंतिम लड़ाई से पहले प्रार्थना और अनुष्ठान करने के लिए माना जाता था. शक्ति पीठों में से एक, देवी काली और उनके अवतारों का घर है.
विज्ञान और धर्म का एक अनूठा संयोजन, विज्ञान केंद्र का केंद्रीय आकर्षण कुरुक्षेत्र के युद्ध का लाइव-चित्रण है. प्रदर्शनी में यात्रियों को लड़ाई की विभिन्न घटनाओं की वैकल्पिक और वैज्ञानिक व्याख्या मिलती है. बेलनाकार आकार में निर्मित, केंद्र पदार्थ के गुणों, परमाणुओं की संरचना, ज्यामिति, अंकगणितीय नियम, खगोल विज्ञान, चिकित्सा और शल्य चिकित्सा की प्राचीन भारतीय अवधारणाओं पर कई दिलचस्प प्रदर्शनों का प्रमुख केंद्र है.
संस्थान की ऊपरी मंजिल पर प्रदर्शित कुरुक्षेत्र की लड़ाई के पैनोरमा को देखने से किसी को चूकना नहीं चाहिए. यह महाभारत की लड़ाई को 3डी मॉडलिंग में प्रदर्शित करता है और लड़ाई के प्रत्येक एपिसोड का वैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत करता है. कई ऐसी पेंटिंग हैं जो प्रदर्शनी का हिस्सा हैं, कुछ 34 फीट की ऊंचाई पर हैं, जिन्हें देखना जीवन से बड़ा अनुभव है.
कल्पना चावला की याद में कल्पना चावला मेमोरियल तारामंडल की स्थापना की गई. यह पूर्व-ऐतिहासिक काल से भारतीय सभ्यता में Astronomy विज्ञान और इसके अध्ययन पर आधारित है. तारामंडल में दिलचस्प प्रदर्शन और शॅार्ट फिल्में हैं जो पर्यटकों को ज्ञान प्राप्त करने में मदद करती हैं और छात्र के मन में विषय के बारे में अधिक रुचि पैदा करती हैं.
लक्ष्मी नारायण मंदिर एक 18 वीं शताब्दी का मंदिर है जो चोल राजवंश के शासनकाल के दौरान भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी को समर्पित है. मंदिर का बड़ा धार्मिक महत्व है. यह माना जाता है कि यदि भक्त इस मंदिर में जाते हैं और मंदिर के चारों ओर सात परिक्रमाएं पूरी करते हैं, तो उन्हें चार धाम यात्रा के बराबर होती है.
धरोहर म्यूजियम राज्य की समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक और स्थापत्य विरासत को प्रदर्शित करता है. इसकी स्थापना कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान की गई थी. म्यूजियम में 23 गैलरी हैं जो चित्रों, चित्रों, कलाकृतियों और पांडुलिपियों के माध्यम से क्षेत्र की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करती हैं. म्यूजियम परिसर में एक ओपन-एयर एम्फीथिएटर भी है जहां लोक प्रदर्शन अक्सर आयोजित किए जाते हैं.
राजा हर्ष का टीला क्षेत्र में एक पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है. खुदाई के बाद 1 वर्ग किलोमीटर के विस्तार वाली प्राचीन बस्ती का पता चला. रिसर्च से पता चला है कि बस्तियां छह शताब्दी से 19 वीं शताब्दी ईस्वी तक की सांस्कृतिक अवधियों से संबंधित हैं. जिनमें गुप्त, कुषाण, वर्धमान, पोस्ट गुप्त और मुगल काल शामिल हैं.
एक विशाल किला जो भारतीय इतिहास के कम से कम तीन अलग-अलग सांस्कृतिक अवधियों के रहस्य को उजागर करता है, राजा कर्ण का किला शहर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक पसंदीदा स्थान है, यह उन लोगों की अलग-अलग समय की कहानियों और अनकही कहानियों को बताता है. जिन्होंने इस स्थान पर अपनी छाप छोड़ी है.
हालांकि यह खंडहर की स्थिति में है, लेकिन फिर भी यह ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से तीसरी शताब्दी तक की अवधि की एक झलक देता है. ऐसा माना जाता है कि इस स्थल का पहली बार अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा सर्वेक्षण किया गया था और बाद में 1920 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा खुदाई की गई थी.
फल्गु तीर्थ देश में एक धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, खासकर पितृ पक्ष के दौरान, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मृत पूर्वजों को सम्मान देने की अवधि है. यह माना जाता है कि मृत पूर्वजों के नाम पर पिंडदान की रस्म से उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है.
निष्ठा मछली म्यूजियम एक छोटा मछली म्यूजियम है, जहां पर कई रंगीन मछलियां देखने को मिलती है. बच्चों के लिए आकर्षण एक दिन के लिए पिकनिक के साथ-साथ आसपास के अन्य आकर्षणों का पता लगाने के लिए परफेक्ट जगह है.
ऋषि जमदग्नि, रेणुका की पत्नी के नाम पर, रंटुका यक्ष तीर्थ कुरुक्षेत्र में मुख्य जगह है और इस क्षेत्र में मौजूद चार यक्षों में से एक है. शांत तीर्थ पवित्र सरस्वती नदी के तट पर स्थित है, जहां क्षेत्र में अपनी यात्रा शुरू करने से पहले डुबकी लेना शुभ माना जाता है.
ओपी जिंदल पार्क और म्यूजिकल फाउंटेन राज्य के ऊर्जा मंत्री ओ पी जिंदल की याद में बनाया गया था. आकर्षण एक विशाल पार्क है जो लगभग 14 एकड़ भूमि को कवर करता है, जिसमें फव्वारे के साथ हरे-भरे लॉन, एक जॉगिंग पार्क, पूरी तरह से काम करने वाले बच्चों का खेल क्षेत्र, एक शांत ध्यान केंद्र और एक सुगंधित गुलाब का बगीचा है.
1982 में स्थापित, पिपली चिड़ियाघर में 25 एकड़ भूमि के क्षेत्र में जानवरों की विभिन्न प्रजातियां हैं.चिड़ियाघर में एक काले हिरन का प्रजनन केंद्र भी है और यह पशु प्रेमियों के लिए एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॅाट है.
भोर सैदन क्रोकोडाइल फार्म को मगरमच्छों से भरे एक टैंक के आसपास के क्षेत्र में स्थापित किया गया था. 1982 में, फार्म को वन विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया और परिधि को निकाल दिया गया. खेत की वर्तमान आबादी 25 है और इन राजसी सरीसृपों को खेत के अंदर बने एक ऊंचे टीले से करीब से देखा जा सकता है.
नूर महल, एक सुंदर करनाल शहर में स्थित 5-सितारा लक्जरी होटल, रॉयल्टी का एक प्रतीक है. हेरिटेज शैली का होटल आपको शाही अनुभव प्रदान करता है. नूर महल हरियाली के बीच खड़ी ये खूबसूरत इमारत पश्चिमी और इस्लामी शैली का एक दिलकश मिश्रण है. इसका आकर्षण और शांति आपको दूर से ही अपनी तरफ खींचता है. महल के चारों तरफ़ हरियाली की चादर बिछी हुई है. इसके ठीक सामने घेराव की शक्ल में बने लॉन में बैठकर इस हल्के लाल और सफ़ेद रंग की इमारत को देखते ही आप इसके जादू में खो जाएंगे. लगभग डेढ़ सौ साल पुराना ये महल उन बहुत से महलों में से एक है.
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