Holi 2019 : होली रंगो का त्योहार है और होली का त्योहार आने में बहुत ही कम वक्त बाकी रह गया है, ऐसे में लोगों ने होली की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। भारत में होली का त्योहार बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही भारत के अलग-अलग शहरों में होली का त्योहार अलग तरीकों के साथ मनाया जाता है। तो अगर आप भी हर साल होली का त्योहार घर पर ही रहकर दोस्तों और परिवारवालों के साथ मनाते हैं तो इस बार कुछ अलग करें। इस बार की होली अपने शहर से बाहर निकलकर कहीं और जाकर मनाएं और ऐसे में आपके लिए ट्रेवल जुनून पर हम लेकर आए हैं 10 ऐसी जगह जहां पर जाकर होली के रंगों का मजा दोगुना हो जाता है।
मथुरा-वृंदावन की फूलों की होली दुनियाभर में बहुत ज्यादा मशहूर है। यहां होली का उत्सव पूरे एक हफ्ते तक मनाया जाता है। इस दौरान आप यहां के खाने पीने का लुत्फ भी उठा सकते हैं। मथुरा वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर इस जगह पर काफी मशहूर है। कथाओें में ऐसा कहा गया है कि स्वयं भगवान कृष्ण इस मंदिर में सफेद पोशाक पहन कर आए थे और उन्होंने वहां से अपने सभी भक्तों के ऊपर गुलाल और फूलों की वर्षा की थी। इसी प्रथा को आगे बढ़ाते हुए बांके बिहारी के पुजारी मंदिर में आए सभी श्रद्धालुओं पर फूल और गुलाल फेंकते हैं। होली के वक्त मंदिर का माहौल ऐसा होता है कि वहां पर आए श्रद्धालु भी किसी दूसरे लोक में पहुंच जाते हैं और बस कृष्ण के भजन गुनगुनाते रहते हैं।
उत्तर प्रदेश के बरसाना की होली को देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। यहां की लठ्ठमार होली का अंदाज बहुत ही अलग है और यहां पर तीन दिन तक होली खेली जाती है। आपने इस तरह की होली कई फिल्मों में देखी होगी। लेकिन जो मजा वहां जाकर मिलता है वो किसी और तरीके से मिल ही नहीं सकता है। आपको बता दें कि लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव में खेली जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण, राधा के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आएं थे। वो अपने साथ अपनी पूरी पलटन भी लेकर आएं थे। तभी से ये प्रचलन बन गया था कि नंदगांव के पुरुष कृष्ण बनके बरसाना आते हैं और वहां कि महिलाएं राधा के रूप में उनका इंतजार करती हैं। फिर प्रथा के अनुसार वो महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बरसाती हैं। इसलिए इसे लट्ठमार होली कहते हैं औऱ इस प्रकार की अनोखी होली का हिस्सा बनने का अलग ही मजा और अनुभव होता है।
अगर आपको अबीर और गुलाल की होली पसंद है, तो शांतिनिकेतन की होली आपको जरूर रास आएगी। शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल का एक प्रसिद्ध विद्यालय है जहां कि सांस्कृतिक और पारंपरिक अंदाज में गुलाल और अबीर की होली काफी मशहूर है।
होली के कुछ अलग रंग देखना चाहते हैं तो पंजाब के आंनदपुर साहिब जरूर जाएं। यहां पर आपको सिख अंदाज में होली के रंग की जगह पर करतब और कलाबाजी देखने को मिलेगी जिसे होला मोहल्ला कहा जाता है। पंजाब में होला मोहल्ला नाम का त्योहार काफी ज्यादा प्रचलित है। दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं। ये त्योहार पारंपरिक होली से अलग इसलिए है क्योंकि यहां पर रंगों से नहीं बल्कि, तलवार बाजी, घुड़ सवारी और मार्शल आर्ट के जरिये होली मनाई जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इस कार्यक्रम के बाद जगह-जगह पर विशाल लंगर लगाए जाते हैं और सभी को स्वादिष्ट हलवा, पूरी, गुजिया और मालपुआ खिलाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि होला मोहल्ला की शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने की थी। इस त्योहार को पूरे 6 दिन तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
होली को अगर आप शाही अंदाज में मनाने के मूड में हैं तो उदयपुर आपकी इस इच्छा को पूरा कर सकता है। यहां कि होली काफी भव्यता के साथ मनाई जाती है। 2 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में मेवाड़ के राजा सभी अतिथियों का स्वागत करते हैं और उन्हें रॉयल सिटी पैलेस लेकर जाते हैं। पहले दिन बॉनफॉयर के माध्यम से होलिका दहन किया जाता है और उदयपुर की इस शाही होली की खासियत ये है कि यहां पर आपको राजस्थान की पूरी सभ्यता और परंपरा को देखने का मौका मिल जाएगा। सभी लोग राजस्थानी कपड़े पहने हुए होते हैं और उनके परंपरिक लोकगीत की धुन पर नाचते हैं। वहां पर आए सभी अतिथियों को शाही खाना खिलाया जाता है और उसके बाद आतिशबाजी होती है।
पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव पुरूलिया में भी होली को बहुत ही अलग ढंग से मनाया जाता है। होली के दिन यहां पर पारंपरिक नृत्य और संगीत का मजा लिया जा सकता है। बंगाल की सभ्यता की झलक यहां के पारंपरिक नृत्य में देखने को मिलती है। होली के मौके पर छाउ डांस, दरबारी झूमर डांस किया जाता है और वहां के मशहूर म्यूजिशियन खूबसूरत गाने गाते हैं और एक यादगार समा बांधते हैं। आपको बता दें कि पुरुलिया में ये त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है और लोग दूर-दूर से इसका हिस्सा बनने के लिए आते हैं।
होली वैसे तो उत्तर भारत का त्योहार है लेकिन इसका एक रंग कर्नाटक के हम्पी में भी देखने को मिलता है। होली में घूमने के लिए हम्पी भी जा सकते हैं। ढेर सारे रंग, पानी और साथ में तेज आवाज मे गानें हंपी में होली को बेहतरीन बनाते हैं।
गोवा में होली खेलने का मतलब होता है खूब सारी मस्ती और धमाल। गोवा में 5 दिनों तक शिगमो-उत्सव चलता है जहां पर अलग अळग तरह की परेड निकाली जाती हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव के आखिरी दिन गोवा के सभी बीचों को रंगों से सजाया जाता है और वहां पर हजारों की संख्या में लोग गुलाल से होली खेलते हैं। शिगमो-उत्सव गोवा के पंजिम, वास्को और मडगांव में आयोजित किया जाता है।
मणिपुर में होली मनाने का तरीका बहुत ज्यादा अलग होता है। यहां पर 5 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को याओसांग फेस्टिवल कहते हैं। इन दिनों में कई सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और बॉनफायर भी जलाया जाता है। इस त्योहार को मनाते वक्त वहां के स्थानीय लोग एक कुटिया को जलाते हैं और उसके बाद सभी बच्चे घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा करते हैं। दूसरे दिन वहां के मंदिरों में बैंड का आयोजन किया जाता है और सभी जमकर नाचते हैं। आखिरी 2 दिन में पानी और रंगों वाली होली खेली जाती है।
दिल्ली की होली तो सबसे मशहूर और चर्चित है। यहां पर बहुत धूम-धाम से होली खेली जाती है। होली के मौके पर दिल्ली में रंगों और पानी का मिलन देखते ही बनता है। आपको बता दें कि दिल्ली में होली के अवसर पर कई इवेंट ऑर्गेनाइज किए जाते हैं, जहां पर सभी बड़े गायक, कलाकार आते हैं और आपके होली के अनुभव को यादगार बना देते हैं।
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