Har Ki Pauri Haridwar tour Haridwar District Uttarakhand
Har ki Pauri – हर की पौड़ी या ब्रह्मकुण्ड पवित्र नगरी हरिद्वार का मुख्य घाट है. ये माना गया है कि यही वह स्थान है जहां से गंगा नदी पहाड़ों को छोड़ मैदानी क्षेत्रों की दिशा पकड़ती है. इस स्थान पर नदी में पापों को धो डालने की शक्ति है और यहां एक पत्थर में श्रीहरि के पदचिह्न इस बात का समर्थन करते हैं. यह घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिमी तट पर है जहां से नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है. हर शाम सूर्यास्त के समय साधु संन्यासी गंगा आरती करते हैं, उस समय नदी का नीचे की ओर बहता जल पूरी तरह से रोशनी में नहाया होता है.
आज हम आपको ले चलते है देवी भूमि हरिद्वार जहां से पतित पावनि, पाप नाशनि गंगा पर्वतों को छोड़ धरती पर आती है. इस शहर की हवा में सोंधी सी खुशबू है. दूर से दिखते अडिग पर्वत, कलकल करके बहती पवित्र गंगा, दूर-दूर से आए श्रद्धालु और चारों ओर गूंजते गंगा मईया के जय कारे. ये रमणीय दृश्ये आंखों के द्वार से होता हुआ सीधा मन में बस जाता है.
यहां हर रोज एक त्यौहार होता है. मां गंगा का त्यौहार, सूर्योदय के स्नान से लेकर शाम की आरती तक हर एक क्षण एक त्यौहार है. हर रोज हज़ारो श्रद्धालु देश के कोने-कोने से यहां गंगा दर्शन के लिए आते हैं और गंगा में स्नान कर के जनम-जनम के पापों से मुक्त हो जाते हैं. देव भूमि हरिद्वार में कई अति मनोरम मंदिर व दर्शनीय स्थल है. यहां के बाजार बड़े लुभावने है. हर तरफ रोशनी है, रौनक है. खाने के शौंकीन लोगों को हरिद्वार बिलकुल भी निराश नहीं करता, यहां स्वादिष्ट पकवानों की खूब सुंदर दुकानें सुबह ही सज जाती है.
पूजा की सामग्री व हिन्दू धार्मिक किताबों की भी बहुत सी दुकाने हैं. भारत के हर प्रांत के लोग यहां आते हैं और गंगा जी के पवित्र जल को बोलतों में भर कर अपने साथ ले जाते है. गंगा घाट और बाज़ारो में रंग बिरंगी बोतलों से सजी दुकाने देखीं जा सकती हैं. दूर-दराज से आये यात्री गंगा के पावन जल में स्नान कर के अपनी सारी थकान भूल जाते है और हर हर गंगे के जाप करते हुए इस नगरी के मनमोहक दृश्यों को अपने मन में समेट लेते है. शाम की आरती का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता होता है. श्रद्धालु आरती देखने के लिए गंगा घाट पर बनी सीढ़ियों पर बैठ जाते हैं गंगा जल में दिखती आरती की अग्नि की ज्वालायें यूं लगती है जैसे सेंकडों दीपक गंगा जल में डुबकियां लगा रहे हों.
गंगा मंदिर के नीचे बनी सीढ़ियों को हर की पौड़ी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है की सागर मंथन के समय के अमृत की कुछ बुंदे यहां गिरी थी इसी स्थान को ब्रह्म कुंड कहते है तथा ग्रंथों में यहाँ स्नान करने की बड़ी महिमा कही गयी है. ब्रह्म कुण्ड से थोड़ा आगे अस्थि विसर्जन घाट है.
हरिद्वार की शिवालिक पहाड़ियों की बिल्व पर्वत पर स्थित है माता मनसा का यह मंदिर. यह महा शक्ति के उस रूप का है जो सबके मन की इच्छाए पूरी करती है इसलिए उसका नाम मनसा देवी पड़ा है. हर की पौड़ी से कुछ 800 मीटर की दुरी पर मनसा देवी अपने भक्तो की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सुशोभित है. मनसा देवी जाने के दो रास्ते है, एक पैदल यात्रा का और दूसरा उड़न खटोले ( flying machine ) के द्वारा. उड़न खटोला की टिकट 233/- रुपये मात्र है. इस टिकट में दोनों देवियों के उड़न खटोले द्वारा दर्शन, उड़न खटोले द्वारा वापिसी, मनसा देवी से चंडी देवी ट्रांसपोर्ट शुल्क और चंडी देवी से वापिसी का ट्रांसपोर्ट शुल्क सम्मिलित है.
मंसा देवी मंदिरः हर की पौड़ी के पास है देवी का चमत्कारी मंदिर
मनसा देवी मंदिर से 3 कि. मी. दूर स्थित है चंडी देवी मंदिर. यह मंदिर माँ शक्ति के चण्डिका रूप को समर्पित है. चंडी देवी दर्शन के लिए आप पैदल यात्रा कर सकते हैं या उड़न खटोले में बैठ कर सरे हरिद्वार को देखते हुए माँ के दरबार में पहुंच सकते हैं. यह मंदिर नील पर्वत की पहाड़ियों पर स्तिथ है. इस पर्वत के पास से बहने वाली गंगा की धरा को नील गंगा कहा जाता है. चंडी देवी के मंदिर से हरिद्वार नगरी का बड़ा सुन्दर दृश्य दिखता है. इन पर्वतों पर माता के जय कारे निरंतर गूंजते रहते है. देवी के इन दोनों ही मंदिरों में दर्शन श्रद्धालुओं की लम्बी कतारे लगती है.
हरिद्वार में न जाने कितने ही मंदिर है, सबकी अपनी अपनी महिमा है. इन में से कुछ है माया देवी मंदिर जो की माया देवी को समर्पित है, दक्ष महादेव मंदिर , जो भगवान शिव को समर्पित है और कहा जाता है की यही पे दक्ष प्रजापति ने वह यज्ञ किया था जिस में महादेव को आमंत्रित न करने पर और यज्ञ स्थल पर शिव का अपमान किये जाने से देवी सती अपने पिता दक्ष पे क्रोधित हो कर यज्ञ की अग्नि में देह त्याग कर दिया था. भारत माता मंदिर जो की आधुनिक युग का एक मंदिर है. यह एक आठ मंजिला भव्य मंदिर है.
वैसे तो हरिद्वार साल के किसी भी वक़्त आया जा सकता है. लेकिन अगर आप हरिद्वार के प्रत्येक स्थान को बिना भीड़-भाड़ के घूमना चाहते हैं तो तीज त्यौहार के समय हरिद्वार ना आते हुए दूसरे समय पर आएंं. तीज त्यौहार पर होने वाली भीड़ के कारण यहां मंदिरों में दर्शन करने में बड़ी कठिनाई होती है. बारिश के समय भी हरिद्वार आने से आपकी ट्रिप प्रभावित हो सकती है. अत्यधिक बारिश के कारण यहां के सभी घाट बंद कर दिए जाते हैं और ऐसे में आप गंगाजी में स्नान नहीं कर पाएंगे.
हरिद्वार एक तीर्थ स्थल है और यहां आगमन की सुविधा बहुत अच्छी है. आप यहां बस, ट्रैन या हवाई जहाज से आ सकते हैं.
By Air – फ्लाइट से देहरादून का जोली हवाई अड्डा हरिद्वार जाने के लिए नजदिक हवाई अड्डा है. यह हवाई हड्डा नई दिल्ली और इंद्रागांधी अन्तर्राष्टीय हवाई अड्डे से जुड़ा हुआ है. आप इसकी मदद से हरिद्वार कम समय में पहुंच सकते हैं. देहरादून के इस हवाईअड्डे से हरिद्वार मात्र 40 किलोमटेर दूर है. इस हवाईअड्डे से हरिद्वार के लिए टैक्सी और बसें चलती रहती हैं.
By Train – हरिद्वार का रेलवे स्टेशन उत्तराखंड के बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है. जंक्शन होने के कारण यहां ट्रेन की कनेक्टिविटी काफी अच्छी है. हरिद्वार आने के लिए देश के कोने कोने से ट्रेनें उपलप्ध हैं. आप दिल्ली या मुंबई से ट्रेन पकड़ कर बड़ी आसानी से हरिद्वार पहुंच सकते हैं.
By Road – हरिद्वार सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई हिस्सों से जुड़ा हुआ है. यही वजह है की यहां आने के लिए जगह जगह से कई लक्ज़री बसें चलती हैं. आप स्वयं की गाड़ी से भी हरिद्वार आ सकते हैं. दिल्ली से हरिद्वार की दूरी 220 किलोमीटर है. हरिद्वार आने के लिए आप दिल्ली से NH334 से होते हुए हरिद्वार पहुंच सकते हैं.
Rangbhari Ekadashi 2025: हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी… Read More
Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 30 अप्रैल, 2025 को गंगोत्री… Read More
आज की भागदौड़ भरी दुनिया में एकाग्रता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है.… Read More
Spring Season 2025 : वसंत ऋतु सबसे सुखद मौसमों में से एक है, जिसमें फूल… Read More
Dharamshala travel Blog Day 1 धर्मशाला उत्तर भारत का एक शहर है. यह हिमाचल प्रदेश… Read More
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More