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हाजी अली दरगाहः 400 सालों से समंदर में बुलंद हैं ये नायाब इमारत

Haji Ali Dargah | Mumbai Sea | Haji Ali | Haji Ali Songs | Haji Ali Muslims | Haji Ali History | Haji Ali Importance | आपने अगर ‘पिया हाजी अली, पिया हाजी अली’ गाना सुना होगा तो निश्चित ही आपके मन में मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह (haji ali dargah) को देखने की प्रबल इच्छा जागृत हुई होगी. अगर आप पहले से ही हाजी अली (haji ali dargah) जा चुके हैं और यह गाना भी सुन चुके हैं तो भी एक रहस्य से जरूर अनजान होंगे. वह रहस्य है कि आखिर समंदर के बीच होने के बावजूद हाजी अली की दरगाह (haji ali dargah) पानी में डूबती क्यों नहीं है? समंदर चाहे कितने ही उफान क्यों न मारे पर ये दरगाह कभी नहीं डूबती. आखिर इसके पीछे वो क्या रहस्य है जो समंदर के बीच होते हुए भी 400 साल से ये दरगाह अडिग है?

हाजी अली दरगाह (haji ali dargah) देश की आर्थिक राजधानी मुंबई शहर में स्थित एक मशहूर मस्जिद व दरगाह है. यह दरगाह अरब सागर में ‘महालक्ष्मी मंदिर’ के पास ही स्थित है. अरब सागर के बीच 19वीं सदी के पूर्वाद्ध में बनी मुंबई की यह प्रसिद्ध दरगाह जमीन से दूर अरब सागर में स्थित है. इस दरगाह पर सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में हिंदू भी जियारत करने आते हैं. दरगाह तक पहुंचने के लिए एक छोटा-सा पगडंडीनुमा रास्ता है, जो चट्टानों से बना है. इस रास्ते से समुद्र में तभी पहुंचा जा सकता है, जब समुद्र में ज्वार न हो. समुद्र में ज्वार होने पर रास्ता पूरी तरह पानी में डूब जाता है.

चांदनी रात में दरगाह बेहद खूबसूरत नजर आती है. हाजी अली की दरगाह (haji ali dargah) मुंबई के वर्ली तट के पास स्थित छोटे से टापू पर है. इसे सैय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में सन 1431 ईस्वी में निर्मित किया गया था. यह दरगाह मुस्लिम व हिंदू, दोनों ही समुदाय के लोगों में महत्व रखती है. हाजी अली दरगाह (haji ali dargah) मुंबई का अहम पर्यटक स्थल भी है.

हाजी अली ट्रस्ट से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, हाजी अली उज्बेकिस्तान के बुखारा प्रांत से सारी दुनिया का विचरण करते हुए हिंदुस्तान पहुंचे थे.

लोगों की पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही कहानियों और दरगाह के ट्रस्टियों की मानें को पीर हाजी अली शाह पहली बार जब व्यापार करने अपने घर से निकले थे तब उन्होंने मुंबई के वरली के इसी इलाक़े को अपना ठिकाना बनाया था. वो यहीं रहते थे और धीरे-धीरे उन्हें ये स्थान अच्छा लगने लगा. उन्होंने यहीं रहकर धर्म का प्रचार-प्रसार करने की बात सोची. इसी मकसद के साथ उन्होंने अपनी मां तो खत लिखकर इसकी जानकारी दी और अपनी सारी संपत्ति गरीबों में बांटकर धर्म का प्रचार-प्रसार करने लगे.

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कहा जाता है कि हाजी अली शाह बुखारी मक्का जाते समय यहां डूब गये थे. बुखारा वही स्थान है जहां से जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी का गहरा नाता है. अहमद बुखारी के पूर्वजों को मुगल शासकों ने बुखारा से बुलाकर जामा मस्जिद का इमाम नियुक्त किया था. उसी वक्त से ये परिवार दिल्ली की जामा मस्जिद से जुड़ा रहा है.

बता दें कि दरगाह उसी वक्त जाया जा सकता है जब लो टाइड हो. बाकी समय में दरगाह की तरफ जाने वाला रास्ता पानी में डूबा रहता है. हाजी अली दरगाह टापू के 4500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली है. दरगाह और मस्जिद बाहर से सफेद रंग की हैं. इस दरगाह की अहम पहचान इसकी 85 मीटर ऊंची मीनार से जुड़ी हुई है. मस्जिद के अंदर पीर हाजी अली की मजार है. हाजी अली (haji ali dargah) की इस मजार पर जायरीन लाल व हरी रंग की चादरें चढ़ाते हैं..

मजार के चारों तरफ चांदी के डंडों से तैयार किया गया एक दायरा भी है. शायद दुनिया में यह अपनी तरह का एकमात्र धर्म स्थल है, जहां एक दरगाह और मस्जिद समंदर के अंदर मध्य टापू पर स्थित हैं. हर शुक्रवार को यहां का रंग अलग होता है. सूफी संगीत और कव्वाली आपको झूमने पर मजबूर कर देगी

कैसा है रास्ता
हाजी अली (haji ali dargah) का रास्ता आधा किलोमीटर का है. यह पैदल सफर बड़ा ही मोहक व रोमांचकारी प्रतीत होता है. जब लहरें धीमी होती हैं तो सफर के दौरान 3-4 बार जायरीनों के पैर पानी में डूब जाते हैं. इस सफर में लहरें एक बड़ा फव्वारा बनकर भी आती हैं.

अंदर का दृश्य
दरगाह के अंदर संत हाजी अली शाह बुखारी का मकबरा एक चटख लाल रंग व हरे रंग की चादर से ढका रहता है. दरगाह के मुख्य परिसर में स्थित स्तंभों पर कांच की सुंदर नक्काशी की गई है. मुस्लिम धर्म के नियम के मुताबिक यहां पुरुष और महिला के लिए अलग अलग प्रार्थना स्थल बनाए गए हैं. 400 साल पुरानी इस दरगाह को कई बार नए सिरे से निर्मित भी किया गया है. हाजी अली दरगाह का प्रांगण विभिन्न तरह की दुकानों से सजा रहता है.

हाजी अली की दरगाह (haji ali dargah) मुंबई की विरासत है और भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है. दरगाह के पीछे चट्टानों का एक समूह है. जब समुद्र की लहरें इन चट्टानों से टकराती हैं तो एक कर्णप्रिय ध्वनि पैदा होती है. यहां एक तरफ आप सुदूर फैला समंदर को निहारते हैं तो दूसरी तरफ मायानगरी मुंबई की आलीशान इमारते आपका स्वागत कर रही होती हैं.

कैसे पहुंचे हाजी अली दरगाह

वायु मार्ग- मुंबई पहुंचने के लिए 2 एयरपोर्ट हैं. इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो यहां से 30 किमी दूर है, सांताक्रुज घरेलू हवाई अड्डा जो यहां से 26 किमी दूर है. श्रद्धालु स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा हाजी अली दरगाह पहुंच सकते हैं.

रेल मार्ग- मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन है, मुंबई भारत के सभी प्रमुख शहरों के अलावा छोटे शहरों से भी कई सारी ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है. सड़क मार्ग मुंबई राजमार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है. जिससे अच्छे से श्रद्धालु टैक्सी या बस द्वारा हाजी अली दरगाह पहुंच सकते हैं.

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