Teerth Yatra

Ved vyas Cave : Ved vyas ने जहां लिखी महाभारत, उस गुफा तक का सफर कीजिए, यहीं है देश का आखिरी गांव

Ved vyas Cave  : उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से करीब 4 किलोमीटर दूर माणा गांव है। चीन बार्डर यहां से कुछ किमी दूरी पर ही है। माणा गांव में करीब 5300 साल पुरानी एक व्यास गुफा ( Ved vyas Cave ) है। यहीं वेद व्यास रहते थे। यहाँ हर साल गुरु पूर्णिमा पर यहां हजारों भक्त पहुंचते हैं। इस अवसर पर यहां भव्य आयोजन होते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से ये पर्व सामान्य तरीके से ही मनाया जाएगा।

वेदव्यासजी ( Ved vyas ) ने यहीं पर महाभारत कही थी

वेद व्यास ( Vedvyas ) को भगवान विष्णु का ही अंश भी माना गया है। पहले केवल एक वेद था। बाद में इसी गुफा में वेद व्यास ने वेद को चार भागों में विभाजित किया। साथ ही साथ सभी 18 पुराणों की रचना भी यहीं पर की थी। महाभारत की रचना भी यही की गई थी। यही नहीं नारदजी की प्रेरणा से वेद व्यास ने भागवत गीता की रचना भी यहीं की थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार व्यास जी ने गणेश जी को अपनी बातों में उलझा दिया और गणेश से अपनी पूरी महाभारत कथा उत्तराखंड में स्थित मांणा गांव की एक गुफा में लिखवाई थी, जिसके तथ्य आज भी मौजूद हैं।

यहीं पर है व्यास जी के लेखक गणेश जी वास स्थान

व्यास गुफा बद्रीनाथ धाम से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर है। ढाई किलोमीटर तक यात्री लोग वाहन से जा सकते हैं। इसके बाद चढाई प्रारंभ हो जाती है और यात्रियों को पैदल भी चलना पड़ता है। व्यास गुफा वह स्थान है, जहां महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मसूत्र की रचना द्वापर के अंत और कलियुग के प्रारंभ (लगभग 5108वर्ष पूर्व) में की थी। मान्यता है कि आदिशंकराचार्य ने इसी गुफा में ही ब्रह्मसूत्र पर शरीरिक भाष्यनामक ग्रंथ की रचना की थी। व्यास गुफा के पास ही गणेश गुफा भी स्थित है। यहीं पर महर्षि व्यास के लेखक गणेश जी का वास स्थान भी है।

भारत का आखिरी गाँव

यह गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में और बद्रीनाथ  से 18,000 फुट की ऊँचाई पर बसा एक बेहद ही खूबसूरत गाँव है। यह गांव भारत-तिब्बत सीमा पर बसा है। इस गांव को देश का आखिरी गांव या सीमान्त ग्राम भी कहा जाता है। माणा गांव में सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी होता है तथा यहाँ कुछ प्राचीन मंदिर और गुफाएं हैं जो कि बहुत ही प्रसिद्ध हैं। जो भी भक्त ‘बद्रीनाथ’ के दर्शन के लिए आते हैं, वह माणा गाँव व भारत के आखिरी गांव में आने का मौका नहीं छोड़ते हैं।महाभारत से जुड़े कई साक्ष्य आज भी भारत के कई स्थानों में मिलते है। इन सब स्थानों में देवभूमि उत्तराखंड का विशेष जगह है। सनातन धर्म से जुडी जितनी कथाएं और स्थान उत्तराखंड में है उतने देश के किसी भी हिस्से में नहीं है।  उत्तराखंड के आखिरी हिस्से में बद्रीनाथ से आगे एक गांव है। इस गांव का नाम माना गांव है।  ये छोटा सा गांव भारत और चीन की सीमा पर है। इस गांव में जैसे ही प्रवेश करते है लिखा दिखता है भारत का आखिरी गांव। ये गांव बद्रीनाथ धाम से करीब 3 किलोमीटर दूर है।

क्या है यहाँ की रहस्यमयी गुफ़ा का राज

माना गांव की इस गुफा को वेद व्यास गुफ़ा कहा जाता है। इसी गुफा से कुछ दूर वो स्थान भी है जहाँ बैठकर गणेश ने महाभारत लिखी थी। वेद व्यास गुफा के बारे में एक रहस्यमयी धारणा भी है। ये मान्यता इस गुफा की अनोखी छत की वजह से है। यदि आप इस गुफा की छत को देखेंगे तो लगता है कि जैसे बहुत से पन्नों को एक तह में जमाकर रखा है। कहा जाता है कि ये महाभारत की कहानी का वो हिस्सा है जो कोई भी नहीं जानता। महर्षि वेद व्यास ने ये भाग गणेश से लिखवाया तो ज़रूर लेकिन उसे ग्रन्थ में सम्मिलित नहीं किया। महाभारत के इस भाग में ऐसी कौनसी बात या अध्याय था जिसे महर्षि ने जानबूझ कर ग्रन्थ में स्थान नहीं दिया और उन पन्नों को पत्थर में बदल दिया।

गुफ़ा को लेकर कुछ प्रचलित मान्यताएं

ऐसी मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के वो पन्ने लिखवाए तो थे, लेकिन उसे महाकाव्य में शामिल नहीं किया था।  उन्होंने उन पन्नों को अपनी अपार शक्ति से पत्थर उन्हें में तब्दील कर दिया था। आज दुनिया पत्थर के इन्हीं रहस्यमयी पन्नों को ‘व्यास पोथी’ के नाम से जानती है।

यहां जाने भर से मिलती है आत्मा को शांति

इस गुफा में प्रवेश करने पर शांति और आत्मिक सुख की अनुभूति होती है। गुफा के अंधकार को दूर करने के लिए यहां एक दीपक हमेशा जलता रहता है। जो इस बात को दर्शाता है कि वेदव्यास जी ने ज्ञान की रोशनी से सांसारिक अंधकार को दूर करने का महान कार्य इसी गुफा में किया था।

यहीं से होकर जाता है स्वर्ग का रास्ता

ऐसी मान्यता भी है कि व्यास गुफा के पास से ही स्वर्ग लोक का रास्ता है, इसी रास्ते से पाण्डव स्वर्ग जा रहे थे लेकिन ठंड की वजह से चारों पाण्डव और द्रौपदी गल गयी सिर्फ युधिष्ठिर घर्म और सत्य का पालन करने के कारण ठंड को झेल पाये और सशरीर स्वर्ग पहुंच सके।

यहाँ कब जाएं

व्यास गुफा करीब 3200 मीटर (10500 फीट) कीऊंचाई पर है। इसलिए यहां दर्शन के लिए गर्मी के दिनों में (मई-जून)और श्राद्ध पक्ष (अगस्त-सितंबर)में सबसे ज्यादा भक्तों की भीड़ पहुंचती है। ज्यादातर समय यहां पर बर्फ जमी होती है।

Recent Posts

Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan : जानें,उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन,शीतकालीन कार्यक्रम और टिकट की कीमतें

Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan :  उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन के साथ दिव्य आनंद… Read More

1 day ago

Kulgam Travel Blog : कुलगाम में घूमने की ये जगहें हैं बेहतरीन

Kulgam Travel Blog :  कुलगाम शब्द का अर्थ है "कुल" जिसका अर्थ है "संपूर्ण" और… Read More

2 days ago

Vastu Tips For Glass Items : समृद्धि को आकर्षित करने के लिए घर पर इन नियमों का पालन करें

Vastu Tips For Glass Items : बहुत से लोग अपने रहने की जगह को सजाने… Read More

2 days ago

Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए टॉप 3 ट्रैवल-फ्रेंडली टॉयलेट सीट सैनिटाइजर

Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए यात्रा करना मज़ेदार और सशक्त बनाने वाला… Read More

3 days ago

Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ में घूमने की जगहों के बारे में जानें इस आर्टिकल में

Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ एक फेमस हिल स्टेशन है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध… Read More

3 days ago