Who is Dhirendra Krishna Shastri : आज हम जानेंगे बागेश्वर धाम के मुखिया महाराज श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन के बारे में, बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अंतर्गत एक धार्मिक तीर्थ स्थान है, बागेश्वर धाम एक ऐसा धाम है जिसका नाम दूर-दूर तक है. भगवान बालाजी बागेश्वर धाम में विराजमान हैं.
बागेश्वर धाम में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, जिनका समाधान बालाजी करते हैं.
आज के दौर में बागेश्वर धाम की लोकप्रियता का पूरा श्रेय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को ही जाता है.
आइए जानते हैं कि कौन हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और कैसा है उनका जीवन?
श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार के मुखिया हैं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भारत के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में एक लोकप्रिय धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम के प्रमुख हैं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक अच्छे विद्वान हैं.
भगवद् महापुराण के कथावाचक शास्त्री जी बिना बताए लोगों के मन की बात जानते हैं, और उसका समाधान भी बताते हैं. श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं, और भगवान बालाजी की कृपा से वह लोगों के मन को जानते हैं.
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का परिवार इस मंदिर से संबंधित है. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा में हुआ था. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बचपन उनके गांव गढ़ा में ही बीता. बताया जाता है कि वह बचपन से ही बहुत धैर्यवान और दयालु थे.
श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम राम करपाल गर्ग है, उनकी माता का नाम सरोज गर्ग है और उनके दादा का नाम भगवान दास गर्ग है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दादा एक अच्छे विद्वान थे. वह निर्मोही अखाड़े से जुड़े थे. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दादा को अपना गुरू मानते थे. उन्होंने ही उन्हें रामायण और भगवद् गीता का अध्ययन करना सिखाया था.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक सरकारी स्कूल से की. उन्होंने अपने गांव में आठवीं तक पढ़ाई की थी. इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए 5 किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे. उन्होंने गंज स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की और 12 के बाद वह बीए प्राइवेट में दाखिला लिया. उसके बाद वे समाज सेवा और लोगों की सेवा में लग गए और पढ़ाई छोड़ दी.
महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 9 साल की उम्र से बालाजी सरकार की सेवा करना शुरू कर दिया था. उनसे पहले उनके दादा श्री भगवान दास गर्ग बालाजी सरकार का दरबार चलाते थे.
महाराज अपने दादा के साथ रामायण और भगवद् गीता का पाठ किया करते थे और धीरे-धीरे 12 वर्ष की आयु से ही उन्होंने भगवान हनुमान जी की कृपा से भगवद् गीता पर प्रवचन देना शुरू कर दिया. उसके बाद वे बालाजी के दरबार में साधना करने लगे.
इस ध्यान का उन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि बालाजी की कृपा से उन्हें अनेक सिद्धियां प्राप्त हुईं और वह सबकी परेशानी दूर करने लगे. बागेश्वर धाम सरकार पहुंचते ही आप पर जो भी छाया है, वह अपने आप निकल जाती है.
महाराज धीरेंद्र को पता चल जाता है कि धाम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है. इसके साथ ही उनके दुखों को दूर करने के उपाय भी बताते हैं.
बागेश्वर धाम का इतिहास विस्तृत है. बागेश्वर धाम भूत भवन महादेव गढ़ा में स्थित है और यह चंदेल कालीन सिद्धपीठ है.
मंदिर का निर्माण 1986 में ग्रामीणों द्वारा किया गया था, उसके बाद के बाबा पंडित 1987 के बीच गांव सेतुलाल गर्ग चित्रकूट से दीक्षा लेकर बागेश्वर धाम पहुंचे.
इसके बाद 1989 में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया. जिसके बाद बागेश्वर धाम लोकप्रिय होने लगा.
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