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Dev Diwali : जानें देव दिवाली की तिथि, शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान और गंगा किनारे 365 दीप जलाने का महत्व

Dev Diwali :  दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है और इसे पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन दिवाली के बाद Dev Diwali  भी आती है और धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवी-देवता गंगा घाट पर एकत्र होते हैं और दिवाली का त्योहार मनाते हैं,इसलिए इसे देव दिवाली के नाम से जाना जाता है. जो हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि और दिवाली के 15वें दिन पड़ती है. आइए जानते हैं इस साल देव दिवाली कब मनाई जाएगी और इसका क्या महत्व है.

देव दिवाली 2024 कब है || When is Dev 2024?

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:19 बजे से शुरू होकर 16 नवंबर को दोपहर 2:58 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, इस वर्ष देव दिवाली का त्योहार 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन गंगा घाट पर दीप जलाए जाते हैं और 15 नवंबर को दीप जलाने का शुभ समय शाम 5:10 बजे से 7:47 बजे तक रहेगा.

देव दिवाली की पूजा विधि || Method of worship of Dev Diwali

देव दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठें. अगर संभव हो तो पास की किसी नदी में पवित्र स्नान करें. अगर आपके लिए यह संभव नहीं है तो घर पर ही सामान्य पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें. मिट्टी के दीये में तेल और बाती डालकर दीप जलाएं. सुबह मंदिर जाकर भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान शिव और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.

देव दिवाली का महत्व || Significance of Dev Diwali

पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने धरती पर ही नहीं बल्कि स्वर्ग में भी देवी-देवताओं को परेशान कर रखा था. उस राक्षस से मुक्ति पाने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव की शरण ली थी. तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. जिसके बाद सभी देवी-देवता खुशी में गंगा घाट पर एकत्रित हुए और दीप जलाए. इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है. भक्त गंगा किनारे 365 दीपक जलाते हैं क्योंकि प्रत्येक दीपक वर्ष के एक दिन का प्रतिनिधित्व करता है, जो भगवान शिव की साल भर की भक्ति का प्रतीक है.

हिंदू धर्म में देव दिवाली का विशेष महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को तपस्या का दोगुना फल मिलता है. इस दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अगर विधि-विधान से उनकी पूजा की जाए तो वे अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

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