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Christmas Celebration Facts : क्यों कहते हैं Merry Christmas? कैसे शुरू हुई Christmas Tree-Santa Claus की परंपरा

Christmas Celebration Facts : दिसंबर मंथ साल का आखिरी महीना होता है. साल के इस लास्ट मंथ में सबसे बड़ा फेस्टिवल क्रिसमस आता है, जिसका लगभग दुनिया के कई देशों में लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं.  हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है. क्रिसमस डे का इंतजार सबसे ज्यादा बच्चे करते हैं. सभी का इंतजार इसी दिन खत्म होता है. क्रिसमस डे यीशु के जन्मदिन से जुड़ा खास त्यौहार है.

लोग आपस में आप एक दूसरे को मैरी क्रिसमस के मैसेज भेजते हैं. क्रिसमस ट्री को सजाते हैं और कई जगह तो सैंटा क्लॉज बच्चों के लिए तोहफे भी लेकर आते हैं. हालांकि ये तीनों ही बातें अपने आप में बड़े सवाल भी हैं. आखिर क्यों क्रिसमस के मौके पर मैरी क्रिसमस बोलते हैं, हैप्पी क्रिसमस क्यों नहीं बोलते हैं? (Why we say Merry Christmas not Happy Christmas) क्रिसमस फेस्टिवल में क्रिसमस ट्री कहां से आया और इसका महत्व क्या है? (Importance of Christmas Tree) साथ ही, क्रिसमस तो यीशू के जन्मदिन के त्यौहार है, फिर इसमें सैंटा क्लॉज की एंट्री कैसे हुई? (What does Santa Claus have to do with Christianity?) 

आइए इस आर्टिकल में हम क्रिसमस से जुड़ी तीनों ही बातों को जानते हैं-

मैरी का क्या अर्थ है || what does mary mean

मैरी का अर्थ खुशी होता है.  मैरी शब्द जर्मनिक और ओल्ड इंग्लिश से मिलाकर बना है. साधारण शब्दों में समझे तो मैरी का अर्थ और हैप्पी का अर्थ एक ही होता है. लेकिन क्रिसमस में हैप्पी की बजाय मैरी शब्द का इस्तेमाल होता है. हैप्पी का मतलब खुशी से है जबकि मैरी का मतलब जिंदादिली से है.

हैप्पी के बजाए क्यों कहा जाता है मैरी क्रिसमस  || Why is it called Merry Christmas instead of Happy

मैरी शब्द को प्रचलन में मशहूर साहित्यकार चार्ल्स डिकेंस ने किया. उन्होंने अपनी अपनी किताब ‘अ क्रिसमस कैरोल’ में मैरी शब्द का सबसे ज्यादा प्रयोग किया था, जिसके बाद हैप्पी के बजाए मैरी शब्द प्रचलन में आ गया. उसके पहले तक लोग हैप्पी क्रिसमस कहते थे. इंग्लैंड में तो आज भी कई लोग मैरी की जगह हैप्पी क्रिसमस बोलते हैं. दोनों ही शब्द सही हैं लेकिन मैरी शब्द ज्यादातर देशों में बोला जाता है.

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क्या सांता क्लॉज की कहानी || Santa Claus History

संत निकोलस को सांता क्लॉज के नाम से जाना जाता है. संत निकोलस का जन्म प्रभु यीशु की मृत्यु के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ था. वह एक रईस परिवार से थे. वे गरीबों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे. प्रभु यीशु में उनकी गहरी आस्था थी, इस वजह से वे पादरी बन गए. बाद में वे बिशप बन गए और उनको संत की उपाधि मिल गई. फिर वे संत निकोलस, क्रिस क्रींगल, क्रिसमस फादर के नाम से भी पुकारे जाने लगे. वे बचपन से ही जरूरतमंदों की मदद करते थे और बच्चों को उपहार देते थे.

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कैसे हुई शुरुआत क्रिसमस-ट्री सजाने की || How did decorating the Christmas tree begin

क्रिश्चियन धर्म से पूर्व से ही हरे-भरे पौधों एवं वृक्षों का काफी महत्व रहा है. इस संदर्भ में तमाम तरह के मत व्यक्त किये जाते हैं. लोग अपने-अपने घरों में वृक्ष की एक टहनी सजाते थे. ऐसी मान्यता थी कि ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियां, भूत-प्रेत एवं दुष्ट आत्माएं आदि घरों में प्रवेश नहीं कर पाती हैं, ना ही किसी प्रकार का रोग-शोक रहता है.

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इस संदर्भ में एक कहानी प्रचलित है. 722 ईसा पूर्व जर्मनी के सेंट बोनिफेस को एक दिन पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक वृक्ष के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देने जा रहे हैं. सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक वृक्ष को काट दिया. कुछ दिनों बाद उसी ओक की जड़ से सनोबर का पेड़ उग गया. बोनिफेस ने लोगों को बताया कि यह पवित्र दैवीय वृक्ष है. इसके बाद से ईसाई समाज के लोग प्रत्येक वर्ष जीसस के जन्म-दिन पर एक वृक्ष सजाने लगे, तभी से क्रिसमस-ट्री सजाने की परंपरा जारी है.

Komal Mishra

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