Chitrakoot Tour Guide : चित्रकूट आएं तो इन 10 जगहों पर जरूर घूमें, रामायण से जुड़ी है ये जगहें
Chitrakoot Tour Guide – चित्रकूट भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले में एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल और एक नगर पंचायत है. यह बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक (Archaeological महत्व का स्थान है. पहाड़ों की सुंदर विंध्य श्रृंखला की छाया से घिरा चित्रकूट प्राचीन मंदिरों, घाटों, कुंडों (पवित्र तालाबों) और आश्रमों से ढका हुआ है, जिनमें से लगभग सभी हिंदू महाकाव्य रामायण की कहानियों की यादें ताजा करवाते हैं. राम जी अपनी पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ यहां रहे थे. Chitrakoot Tour Guide से जुड़े इस आर्टिकल में हम आपको इससे जुड़ी जानकारी दे रहे हैं.
Chitrakoot Tour Guide से पहले हम आपको बता दें कि जब आप चित्रकूट आएंगे तो देखेंगे कि यहां बड़ी संख्या में मंदिर स्थित हैं. चित्रकूट त्योहार के मौसम में भक्तों से भर जाता है, जो भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए इस शहर में आते हैं. यह शहर मंदाकिनी नदी के बगल में स्थित है, जिसे पयस्विनी नदी के नाम से भी जाना जाता है. यहां पानी के किनारे कई घाट बनाए गए हैं, जिससे तीर्थयात्रियों को पवित्र नदी में स्नान करने में आसानी रहती है, और वे शाम को घाटों पर होने वाली आरती में भी भाग ले सकते हैं. यहां की आरती भक्ति ऊर्जा से होती है, जिससे सैलानी चित्रकूट की आधात्मिक भावना में पूरी तरह से डूब जाते हैं. चित्रकूट की आध्यात्मिक विरासत कई युगों की है. कहा जाता है कि रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने भी यहां लंबा समय बिताया था.
यह अमावस्या, सोमवती अमावस्या, दीपावली, शरद-पूर्णिमा, मकर संक्रांति, रामनवमी और नि: शुल्क आंख की देखभाल चिकित्सा शिविरों जैसे अवसरों पर साल भर तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. प्रसिद्ध ‘आयुर्वेदिक’ और ‘योग’ केंद्र जैसे ‘आरोग्यधाम’ चित्रकूट में स्थित हैं.
माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षों में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे.
Ramghat in Chitrakoot
रामघाट चित्रकूट में सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है. जहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण प्रसिद्ध कवि तुलसीदास के सामने प्रकट हुए थे और वह नदी के किनारे बैठकर राम चरित्र मानस लिखते थे. रामघाट चित्रकूट में सभी धार्मिक गतिविधियों और सबसे लोकप्रिय स्नान घाट का केंद्र है. ऐसा माना जाता है कि रामघाट पर डुबकी लगाने से सभी पापों का नाश हो जाता है. रामघाट पर केसरिया वस्त्रों में भक्तों द्वारा अगरबत्ती की सुगंध और पवित्र मंत्रों का भजन आत्मा को शांत और स्पर्श करता है. आप नदी में बोटिंग के लिए जा सकते हैं और शाम तक इस जगह की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं और सुंदर दीया, घंटी की आवाज और पवित्र मंत्रों के साथ आरती में भाग ले सकते हैं.
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Kamadgiri in Chitrakoot
कामदगिरि एक पहाड़ी है, जिसके चारों ओर कई हिंदू मंदिर हैं, जो चित्रकूट का दिल माना जाता है. तीर्थयात्री इस पहाड़ी के चारों ओर परिक्रमा करते हैं इस विश्वास के साथ कि उनके सभी दुख समाप्त हो जाएंगे और उनकी इच्छाएं पूरी होंगी. कामदगिरि का नाम भगवान राम के एक अन्य नाम कामदनाथजी से लिया गया है और इसका मतलब सभी कामनाओं को पूरा करने वाला होता है. परिक्रमा के 5 किलोमीटर के मार्ग पर कई मंदिर हैं, जिनमें से एक सबसे प्रसिद्ध भरत मिलाप मंदिर है.
Bharat Milan in Chitrakoot
भगवान राम के वनवास की अवधि के दौरान चार भाइयों के मिलने के स्थान पर माना जाता है, भरत मिलाप मंदिर चित्रकूट का एक बहुत महत्वपूर्ण मंदिर है. कामदगिरि की परिक्रमा के साथ,Chitrakoot Tour Guide में इस मंदिर की यात्रा भी करनी चाहिए. यहां भगवान राम और उनके परिवार के पैरों के निशान भी देख सकते हैं.
Janaki Kund in Chitrakoot
जानकी कुंड मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है और ऐसा माना जाता है कि यही वह जगह है जहां देवी सीता ने वनवास के समय में स्नान किया करती थीं.
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Kalinjar Fort
समुद्र तल से 1,203 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक चट्टानी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ प्राचीन कालिंजर का किला बुंदेलखंड के मैदानों के दृश्य दिखाता है. यह किला देश के सबसे पुराने किलों में से एक है और चंदेल राजाओं (10वीं से 13वीं शताब्दी) द्वारा निर्मित आठ किलों में से एक है.
इस किले की दीवारों के पत्थरों पर भगवान शिव, भगवान विष्णु, देवी शक्ति, भगवान भैरव और भगवान गणेश के चित्रों की नक्काशी की गई है. यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे परमर्दिदेव द्वारा निर्मित नीलकंठ मंदिर के नाम से जाना जाता है. इसमें एक शिवलिंग है, जिसके ऊपर एक प्राकृतिक जल स्रोत है जिससे लगातार पानी टपकता है. मंदिर के रास्ते में शिलालेख लगे हैं जो भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और केदार भैरों की नक्काशीयुक्त तस्वीरों को प्रदर्शित करते हैं.
Ganesh Bagh
चित्रकूट से 3 किलोमीटर दूर कर्वी केे देवांगना रोड पर स्थित गणेश बाग यहां के सबसे पसंदीदा बागों में से एक है. इस बाग का निर्माण पेशवा राजा, विनायक राव द्वारा 1800 ईसवीं से पहले हुआ था. इस बाग का उपयोग पेशवाओं द्वारा गर्मियों में शाही खेल खेलने के लिए किया जाता था.
इसका विशाल तालाब और लम्बी, गहरी बावड़ी विशेष रूप से गर्मियों में इस्तेमाल की जाती होगी, ऐसा प्रतीत होता है. गणेश बाग यहां का खुबसूरत और विशेष तरह की नकाशी से बना शिव मंदिर इस बाग का मुख्य आकर्षण है. जिसे स्थानीय लोग ‘गणेश मंदिर’ के रूप में जानते हैं. इस मंदिर में कामुक मूर्ति कला देखने को मिल सकती है. खास कर इस मंदिर के गुंबदों पर खजुराहो मंदिर की तरह मूर्ति कला उकेरी गई है. मंदिर के बरामदे में चारों ओर से सीढ़ियों से घिरा एक तालाब है जो मंदिर के सौन्दर्य को बढ़ाता है.
Bharat Koop
भरतकूप मंदिर में एक कूप है जिसका धार्मिक महत्व बाबा तुलसीदास ने रामचरित मानस में वर्णित किया है. जब प्रभु श्रीराम चौदह साल का वनवास काटने के लिए चित्रकूट आए थे. उस समय भरत जी को माता कैकेयी के बारे में पता लगने पर कर काफी दुख हुआ था. वह अयोध्या की जनता के साथ राम को मनाने चित्रकूट आए थे.
साथ में प्रभु का राज्याभिषेक करने को समस्त तीर्थो की जल भी लाए थे लेकिन भगवान राम चौदह साल वन रहने को दृढ़ प्रतिज्ञ थे. इस पर भरत जी काफी निराश हुए और जो जल व सामग्री प्रभु के राज्याभिषेक को लाए थे उसको इसी कूप में छोड़ दिया था और भगवान राम की खड़ाऊ लेकर लौट गए थे. यहां पर बना भरतकूप मंदिर भी अत्यंत भव्य है. इस मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघन की मूर्तियां विराजमान है. सभी प्रतिमाएं धातु की है.
भरतकूप में मकर संक्रांति को पांच दिन मेला लगता है. यहां पर बुंदेलखंड के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन आते है और इस कूप में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते है. वैसे प्रत्येक अमावस्या में भी यहां पर श्रद्धालु स्नान करने के बाद चित्रकूट जाते है और फिर मंदाकिनी में स्नान कर कामदगिरि की परिक्रमा लगाते है.
Valmiki Ashram
चित्रकूट के मुख्य नगर क्षेत्र से थोड़ी दूरी पर स्थित, वाल्मीकि आश्रम एक प्रमुख आकर्षण है जो चित्रकूट के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है. यह वह जगह है जहां हिंदू महाकाव्यों में उल्लिखित महान ऋषि वाल्मीकि रहते थे. हरी वनस्पति में लिपटी एक पहाड़ी के ऊपर बैठकर, यह आश्रम पर्यटकों को धर्म, संस्कृति और इतिहास के बारे जानने का उत्सुकता पैदा करता है. प्रचलित मान्यता के अनुसार, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने चित्रकूट के रास्ते में इस आश्रम का दौरा किया था, और उस स्थान पर भी जहां लव और कुश का जन्म हुआ था. चित्रकूट आएं तो यहां पर जरूर घूमें.
Gupta Godavari
गुप्त गोदावरी में दो गुफाएं हैं. एक गुफा चौड़ी और ऊंची है. प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता. गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है. दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है.कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था.
Hanuman Dhara
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है. मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है. कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी. पहाड़ी के शिखर पर ही ‘सीता रसोई’ है. यहां से चित्रकूट का सुन्दर दृष्य देखा जा सकता है.