Braj Mandal Yatra Mewat : हरियाणा के नूंह स्थित नल्हड़ मंदिर पर सोमवार को ब्रजमंडल यात्रा निकाली गई. फिरोजपुर झिरका के झिरकेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए पुन्हाना के सिंगार श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंची. इस दौरान मंदिर पर भारी पुलिस बल की तैनाती रही. सुरक्षा के मद्देनजर पहाड़ पर भी पुलिस ने ड्रोन और कमांडो तैनात किए थे. ब्रजमंडल यात्रा के अवसर पर आइए जानते हैं मेवात क्षेत्र के तीन ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में. इन तीनों मंदिरों से ही ये यात्रा गुजरी. ये मंदिर हैं, नल्हड़ महादेव मंदिर (Nalhareshwar Mahadev Temple), फिरोजपुर झिरका में झिरकेश्वर महादेव मंदिर (Jhirkeshwar Mahadev) और पुन्हाना का सिंगार श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर (Shringeshwar Mahadev). इस आर्टिकल में हम इन तीनों मंदिरों के इतिहास को जानेंगे, आप यहां कैसे पहुंच सकते हैं ये भी समझेंगे…
नल्हर महादेव मंदिर जिसे नल्हरेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, नूंह कस्बे से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका और नल्हर गांव गहबर में स्थित है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कौरवों और पांडवों के बीच समझौता कराने के लिए इसी स्थान को चुना था, यह प्राचीन और अद्भुत मंदिर अरावली पर्वत की गोद में स्थित है. इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. नल्हरेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य और इतिहास: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने कौरवों और पांडवों के बीच शांति स्थापित करने के लिए इस स्थान को चुना था.
मान्यता है कि भगवान कृष्ण जहां भी कदम रखते हैं, वहां अक्सर एक कदम का पेड़ मिल जाता है. कदम के पेड़ से पानी निकलने तक जाने के लिए 287 सीढ़ियां बनाई गई हैं. मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां एक पेड़ है, जिससे हर समय पानी निकलता रहता है. इस पेड़ का नाम कदम वृक्ष है जो मंदिर से 500 फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर मौजूद है. इस कदम वृक्ष से सदियों से लगातार मीठा पानी बहता रहता है. कहा जाता है कि इस पेड़ के नीचे एक कुंडली है, मान्यता है कि मोटर या नली से पानी निकालने के अलावा अगर किसी बर्तन से भी पानी निकाला जाए तो भी इसकी मात्रा कम नहीं होती.
नल्हरेश्वर महादेव मंदिर देखने में बेहद मनमोहक और खूबसूरत लगता है. कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय इसी अरावली पर्वत पर बिताया था और यही वजह है कि नूंह जिले के भोंड, फिरोजपुर झिरका और नल्हड़ गांव में करीब 5000 साल पुराने शिवलिंग मिले थे, जिन्हें हिंदू समाज ने भव्य शिवालय बनाकर स्थापित किया था.
नल्हरेश्वर महादेव मंदिर के प्रसिद्ध उत्सव || Nalhareshwar Mahadev Temple Festival
नल्हरेश्वर महादेव के मंदिर पर न सिर्फ महाशिवरात्रि का भव्य मेला लगता है बल्कि शिव भक्त यहां कांवड़ भी चढ़ाते हैं. यहां साल में कई भंडारे आयोजित किए जाते हैं.
नल्हरेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचें|| How to reach Nalhareshwar Mahadev Temple
नलहरेश्वर महादेव का मंदिर नूह शहर से लगभग 3 किलोमीटर दूर है. नूह शहर अन्य शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और भक्त यहां आसानी से पहुँच सकते हैं.
नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका शहर से तकरीबन चार-पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत की वादियों में तकरीबन 5000 वर्ष पुराना झिरकेश्वर मंदिर अपनी भव्यता व दिव्यता के साथ-साथ अपने अंदर पौराणिक इतिहास को समेटे हुए है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां पर समय बिताया था. जानकार मानते हैं कि लाक्षागृह से निकलकर जब पांडव विराटनगर राजस्थान जा रहे थे तो इस जगह पर उन्होंने एक गुफा में समय बिताया था.
यहां पर पांडवों ने महादेव की तपस्या की.महादेव ने शिवलिंग के रूप में पांडवों को दर्शन दिया. उस समय यहां पानी नहीं था तो पानी के लिए वरदान दिया. उसी समय से यहां पर ज़मीन से अपने आप पानी निकलता है और दूर तक बहता है.इसी पानी की वजह से पहाड़ में हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है. इसी पानी से धोबी समाज के लोग कपड़े धोकर अपनी आजीविका चलाते है.
झरने की वजह से ही फिरोजपुर झिरका शहर का नाम झिरका पड़ा. इतिहासकार बताते हैं कि सन 1876 में पंडित जीवन लाल शर्मा फिरोजपुर झिरका में अंग्रेजी हुकूमत के समय तहसीलदार थे, उन्हें सपने दिखाई दिया जिसमें कहा गया कि मैं यही विराजमान हूं. इसी सपने के आधार पर ब्राह्मण के नाते तत्कालीन तहसीलदार ने अपने कर्मचारियों से ख्वाब में आई जगह की खुदाई कराई, लेकिन 3 दिन की खोज के बावजूद भी कर्मचारी किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाए. उसके बाद 8 – 10 दिन बाद फिर से तहसीलदार जीवनलाल को सपना आया और कहा कि जिस जगह पर पानी निकल रहा है, मैं वहां विराजमान हूं. कर्मचारी वहां पर पहुंचे तो उन्हें कुछ ग्वाले मिले वहां से अरावली पर्वत में एक गुफा दिखाई दी. जब वहां पहुंचे तो सपने में दिखी जगह वहीं पर मिली.
झिरकेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे || How to reach Jhirkeshwar Mahadev
झिरकेश्वर मंदिर में बस, ऑटो या अपनी कार से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
शिव को समर्पित प्राचीन स्थानेश्वर महादेव मंदिर भारत के हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र जिले के पुराने कुरुक्षेत्र शहर में स्थित है। कहा जाता है कि यहीं पर कृष्ण के साथ पांडवों ने शिव की पूजा की थी और महाभारत के युद्ध में जीत के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था.नौवें गुरु, श्री तेग बहादुर स्थानेश्वर तीर्थ के पास एक स्थान पर रुके थे, जिसे मंदिर के ठीक बगल में एक गुरुद्वारा द्वारा चिह्नित किया गया है.
यह मंदिर शिव को समर्पित है, जो प्राचीन शहर स्थानेश्वर के प्रमुख देवता हैं, जिसे वर्तमान में थानेसर शहर या कुरुक्षेत्र शहर के रूप में जाना जाता है. थानेसर के वर्धन साम्राज्य के संस्थापक पुष्पभूति ने अपने राज्य की राजधानी का नाम स्थानेश्वर शिव के नाम पर रखा था. मौजूदा मंदिर का निर्माण रघुनाथ राव पेशवा ने करवाया था.
मंदिर एक छत के साथ एक क्षेत्रीय प्रकार की वास्तुकला का अनुसरण करता है. छत का प्रावरणी ‘आंवला’ के आकार का है। इसके साथ संलग्न एक लंबा शिखर है. यहां का ‘लिंग’ प्राचीन है और तीर्थयात्रियों और भक्तों द्वारा प्रेम और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है.एक कलात्मक गुंबद की तरह की छत वाला मंदिर भारतीय प्रकार की वास्तुकला का बहुत अनुसरण करता है. मंदिर का मुख्य आकर्षण एक पवित्र शिव लिंगम है.
स्थानेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहंचे || How to reach Sthaneshwar Mahadev Temple History
स्थानेश्वर महादेव कुरुक्षेत्र के अन्य शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और भक्त यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.
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