Bobby Kinnar : दिल्ली में रोहिणी के नजदीक है सुल्तानपुरी (Sultanpuri) इलाका. इस सुल्तानपुरी (Sultanpuri) को वैसे तो अपराध के लिए अधिक जाना जाता है लेकिन यहां से चुनी गई एक नई पार्षद ने इलाके को नई वजहों से चर्चा में ला दिया है. हमने बॉबी किन्नर (Bobby Kinnar) से मुलाकात की, सुल्तानपुरी के किन्नर मंदिर (Kinnar Mandir in Sultanpuri) में. ये मंदिर तकरीबन 40 साल पुराना है. इस मंदिर से किन्नरों की आस्था इसलिए जुड़ी हुई है क्योंकि इसके अंदर काली मां की जो मूर्ति है, उसे किन्नरों के गुरू ने ही स्थापित किया था.
बॉबी किन्नर दिल्ली की पहली ट्रांसजेंडर पार्षद (First Transgender Councilor) हैं. दिसंबर 2022 में, वह दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में वो सुल्तानपुरी के वार्ड 43 से जीतीं. बॉबी किन्नर का जन्म 1984 में हुआ था. वह मूलतः दिल्ली की ही हैं. बॉबी के जन्म के समय ही उनके माता-पिता जान गए थे कि वह दूसरे बच्चों से अलग हैं. जैसे-जैसे वह बड़ी होती गईं, लोगों ने उनमें बदलाव देखना शुरू किया और उसके साथ अलग तरह से व्यवहार करने लगे.
कई लोग उनका मजाक उड़ाते, और कुछ उन्हें सपोर्ट भी करते. कक्षा 9 पास करने के बाद उन्हें इसलिए स्कूल छोड़ना पड़ा क्योंकि स्कूल में उन्हें तंग किया जाता था. जब बॉबी 15 साल की थी, तब उनके परिवार ने उन्हें ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को सौंप दिया. इस तरह बॉबी को एक ट्रांसजेंडर गुरुजी ने गोद ले लिया. इसके बाद, वह ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ रहने लगी.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा बताया गया है कि बॉबी के पिता ओम प्रकाश दिल्ली के सुल्तानपुर इलाके में एक छोटा सा ढाबा चलाते थे. बॉबी के बचपन में ही उनका निधन हो गया था. बॉबी का एक छोटा भाई है जो दिल्ली में एक निजी फर्म में काम करता है. उनकी एक बहन भी है. उनका और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी मां ने किया. बॉबी जब 15 साल की थीं, तब उन्हें एक ट्रांसजेंडर गुरु (दिवंगत) ने गोद लिया था. Travel Junoon संग इंटरव्यू में बॉबी ने माना कि परिवार और मां उनसे बहुत प्यार करती है और वह अब भी उनके संपर्क में है.
ट्रांसजेंडरों की परंपराओं के अनुसार, बॉबी शुरू में अपने इलाके में घरों में जाती थी, शादियों और बच्चे के जन्म जैसे अवसरों पर नाचतीं और गाती थीं और बधाई मांगती थी. बॉबी को ऐसा करना पसंद नहीं था और जल्द ही उन्होंने ये करना बंद कर दिया.
21 साल की उम्र में बॉबी एक एनजीओ से जुड़ गईं और वहां उन्होंने पढ़ना-लिखना सीखा. एनजीओ के जरिए ही, वह जरूरतमंद लोगों की मदद करने और बेसहारा बच्चों को शिक्षा देने जैसे सामाजिक कार्यों में भी शामिल हुईं. बॉबी ने अपने खर्चे पर करीब 15 लड़कियों की शादी कराई.
2011 में, उन्होंने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भाग लिया. 2022 तक, बॉबी हिंदू युवा समाज एकता आवाम आतंकवाद विरोधी समिति की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष थीं. बॉबी अपने क्षेत्र में बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक प्राथमिक विद्यालय भी चलाती हैं.
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्सा बनने के बाद बॉबी ने खुद को आम आदमी पार्टी से जोड़ लिया. इसके बाद उन्होंने सक्रिय रूप से पार्टी के लिए काम किया. 2017 में, वह आम आदमी पार्टी के टिकट पर दिल्ली में नगर निगम का चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन तब उन्हें निर्दलीय मैदान में उतरना पड़ा क्योंकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. वह चुनाव हार गईं.
2022 में, आम आदमी पार्टी ने सुल्तानपुरी ए वार्ड -43 से दिल्ली के नगर निगम चुनाव के लिए बॉबी किन्नर को उम्मीदवार बनाया, जिससे आम आदमी पार्टी भारत में एक ट्रांसजेंडर को टिकट देने वाली पहली राजनीतिक पार्टी बन गई. टिकट मिलने के बाद उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वह जनकल्याण के लिए राजनीति में आई हैं और चुनाव जीतने पर ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाएंगी.
बॉबी किन्नर ने Travel Junoon को दिए इंटरव्यू में किन्नर समुदाय की पीड़ा को सामने रखा. उन्होंने कहा कि उनकी एक शागीर्द एक किन्नर बच्चे को पाल रही है, और वह चाहेंगी कि वह इस पेशे में न आए, बल्कि पढ़ लिखकर कोई मुकाम हासिल करे.
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