Bamleshwari Devi Temple : डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का एक शहर है. यह छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. राजसी पहाड़ों और तालाबों से धन्य, डोंगरगढ़ ने अपना नाम दो शब्दों से लिया है- ‘डोंगर’ का अर्थ ‘पहाड़’ और ‘गढ़’ का अर्थ ‘किला’ है. यहां एक लोकप्रिय स्थलचिह्न, मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो 1600 है फुट ऊंचा. यहां डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ भारत में माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर के बारे में कुछ तथ्य हैं.
स्थान: डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़
पता: श्री बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति, बम्लेश्वरी धाम डोंगरगढ़, जिला-राजनांदगांव (छ.ग.)
पिन कोड: 491445
इस साल में बना : लगभग 2500 वर्ष पूर्व
इन्होंने बनाया मंदिर: राजा वीरशेन
मंदिर समर्पित: देवी बमलेश्वरी देवी, सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक
प्रवेश शुल्क नहीं है
फोटोग्राफी: फोटो क्लिक कर सकते हैं
मंदिर का समय: सुबह 04:30 बजे से दोपहर 01.30 बजे तक, दोपहर 02:30 बजे से रात 10:00 बजे तक
यात्रा करने का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से फरवरी
आने का समय: 4 घंटे
आर्किटेक्चर : हिंदू मंदिर शैली
त्यौहार: नवरात्रि
मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर पहाड़ों से घिरा हुआ है, इसे पहले डोंगरी और अब डोंगरगढ़ के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को बड़ी बम्बलेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है. जमीनी स्तर पर एक और मंदिर लगभग 1/2 किमी की दूरी पर स्थित है. मुख्य मंदिर परिसर से इस मंदिर को छोटी बम्लेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है.
कवार (दशहरा के दौरान) और चैत्र (रामनवमी के दौरान) नवरात्रि के दौरान छत्तीसगढ़ और उसके आसपास के लाखों लोग मंदिर में आते हैं. इन नवरात्रि के दौरान मंदिर के परिसर में मेलों (मेलों) का आयोजन किया जाता है, जो 24 घंटे चलते हैं. पर्यटकों के आकर्षण का अतिरिक्त आकर्षण रोप वे है. यह छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र यात्री रोप वे है.
कुल 11 सौ सीढ़ियां चढ़ने के बाद डोंगरगढ़ में ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल देखने को मिलते हैं. यात्रियों की सुविधा के लिए रोप वे का निर्माण किया गया है. रोपवे सोमवार से शनिवार तक सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक और फिर अप्रैल से शाम 3 बजे तक चलते हैं. रविवार को, सुबह 7 बजे से शाम 7:00 बजे तक. नवरात्रि के अवसर पर चौबीसों घंटे रोप वे की सुविधा होती है.
करीब ढाई हजार साल पहले इसे कामाख्या शहर के नाम से जाना जाता था. यहां राजा वीरसेन का शासन था.वह निःसंतान थे.बच्चों के कल्याण के लिए, उन्होंने देवी दुर्गा और शिव की पूजा की. नतीजतन, उन्हें एक साल के भीतर एक बेटा मिला. वीरसेन ने बेटे का नाम मदनसेन रखा. मां भगवती और भगवान शिव का आभार व्यक्त करने के लिए राजा ने मां बुमलेश्वरी का मंदिर बनवाया.
मदनसेन के बाद उनके पुत्र कामसेन ने गद्दी संभाली. कामसेन उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के समकालीन थे. कामाख्या शहर कला, नृत्य और संगीत के लिए प्रसिद्ध था और कामकंदला शहर की एक प्रसिद्ध नर्तकी थी. वह नृत्य रूपों में बहुमुखी और सुंदर थी.उनकी खूबसूरती और डांस स्किल के चर्चे दूर-दूर तक थे.
हवाई मार्ग से कैसे पहुंचें: नजदीकी हवाई अड्डा माना (रायपुर) में है, जो डोंगरगढ़ से लगभग 110 किलोमीटर दूर है.
रेल द्वारा कैसे पहुंचे: नजदीकी रेलवे स्टेशन रायपुर और बिलासपुर रेलवे स्टेशन है.
बस या सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे: डोंगरगढ़ राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 57 किमी की दूरी पर स्थित है.वहां जाने का सबसे अच्छा तरीका ट्रेन, बस और फिर खुद की परिवहन व्यवस्था है.
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