Bageshwar Dham MP and Uttarakhand: बागेश्वर धाम सरकार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव (Bageshwar Dham in Chhatarpur, Madhya Pradesh) में है. हालांकि, देश में एक बागेश्वर धाम और भी है और ये बेहद प्राचीन और ऐतिहासिक है. ये बागेश्वर धाम उत्तराखंड (Bageshwar Dham in Uttarakhand) में स्थित है.
उत्तराखंड वाले बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham in Uttarakhand) को लोग अक्सर ही मध्य प्रदेश वाला बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham in Gadha Village Chhatarpur) समझ बैठते हैं. हाल ही में एक प्रमुख टीवी चैनल के संपादक ने मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम पर खास कवरेज की. इस शो में एंकर की बैकग्राउंड तस्वीर पर उत्तराखंड के बागेश्वर धाम को लगाया गया था.
अब जब इस कन्फ्यूजन (Bageshwar Dham MP and Uttarakhand) में ज्यादातर लोग पड़ जा रहे हैं. आइए जानते हैं दोनों ही धार्मिक जगहों के बारे में विस्तार से…
पहले बात करते हैं मध्य प्रदेश वाले बागेश्वर धाम की, जिन्हें बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी जाना जाता है.
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले (Chhatarpur District) के गांव गढ़ा में स्थित है “बागेश्वर धाम”. कहते हैं कि यहां हनुमान जी की प्रतिमा स्वंयभू है. ऐसी मान्यता है कि यहां बालाजी महाराज एक अर्जी के जरिए भक्तों की समस्या सुनते हैं. धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shashtri) अर्जी लेकर समस्या का निदान कराते हैं.
धाम के बारे में या फिर यहां लगने वाले दिव्य दरबार की खासी चर्चा रहती है. आप इन नंबरों पर कॉल करके बागेश्वर धाम सरकार से संपर्क कर सकते हैं और जरूरी जानकारी ले सकते हैं.
बागेश्वर धाम का Contact Number है – 8982862921 / 8120592371
करीब 300 साल पहले यहां धार्मिक परंपरा की शुरुआत हुई थी. अब श्री दादा गुरुजी महाराज के उत्तराधिकारी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. इन्हें ही भक्त बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) के नाम से संबोधित करते हैं.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा में हुआ था. वह यहां सरयूपारीय ब्रह्मण परिवार में जन्मे थे. पिता का नाम रामकृपाल महाराज और मां का नाम सरोज है.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्कूली शिक्षा बीच में छोड़ दी. कहते हैं कि एक दिन बालाजी महाराज की कृपा हुई और उनके दादा श्री श्री 1008 दादा गुरु जी महाराज के सानिध्य में वह बालाजी महाराज की सेवा और भक्ति में जुट गए. आज हर शनिवार और मंगलवार को यहां भारी भीड़ उमड़ती है.
बागेश्वर धाम में टोकन के लिए लोग ढेर सारे सवाल पूछते हैं. बता दें कि ये टोकन वक्त वक्त पर वितरित किए जाते हैं. इसके लिए संपर्क का केंद्र बागेश्वर धाम कमिटी है. टोकन के लिए एक तारीख तय की जाती है. तारीख से पहले ही बागेश्वर धाम आने वाले श्रद्धालुओं को सूचना दी जाती है कि किस तारीख को टोकन डाले जाएंगे..
इसके लिए परिसर में एक पेटी रखी जाती है. भक्तों को एक कागज पर अपना नाम, पिता का नाम, गांव का नाम, जिले का नाम, राज्य का नाम पिन कोड सहित लिख देना होता है और पेटी में डाल देना होता है. साथ ही अपना मोबाइल नंबर लिखकर भी इसमें डालना होता है.
टोकन डालने के बाद जिस भी भक्त का नंबल लगेगा उससे बागेश्वर धाम कमिटी मोबाइल नंबर के जरिए संपर्क करेगी. इस टोकन में आपको एक तारीख दी जाती है और उसी दिन आपको बागेश्वर बालाजी महाराज के दरबार में अपनी हाजिरी लगानी होती है.
बागेश्वर धाम में अर्जी (Bageshwar Dham mein Arji) लगाने से जुड़े सवाल अक्सर ही इंटरनेट पर दिखाई देते हैं. हम बता दें कि ये प्रक्रिया बहुत ही आसान है. आपको लाल कपड़े में एक नारियल बांधकर धाम के परिसर में रख देना होता है. अगर आपकी अर्जी साधारण है, तो अर्जी के लिए लाल कपड़े में नारियल बांधे, अगर अर्जी शादी-विवाह से जुड़ी है, तो नारियल को पीले कपड़े में बांध लें और अगर अर्जी प्रेत बाधा आदि से संबंधित है, तो नारियल को काले कपड़े में बांधकर रखें.
अगर आप धाम आकर ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो अपने घर में स्थित पूजा स्थल या मंदिर में ऐसा कर सकते हैं..
टोकन कब डालें जाएंगे इसकी तिथि का निर्धारण खुद गुरुदेव करते हैं. तिथि तय होने के बाद सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी दी जाती है.
गुरुदेव ही इसके बारे में बताते हैं की कितनी पेशी जरूरी है. वैसे कम से कम 5 मंगलवार की पेशी का आदेश हर भक्त को दिया जाता है. भक्त इससे ज्यादा की पेशी भी कर सकते हैं. जब तक पेशी पूरी नहीं हो जाती, तब तक शराब, मांस, लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित रहता है.
आप छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम सड़क मार्ग से, रेल मार्ग से और हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं.
सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे बागेश्वर धाम (How to Reach Bageshwar Dham by Road): मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए आपको National Highway 39 पर आना होता है. NH-39 के पन्ना-खजुराहो मार्ग वाले हिस्से पर एक रास्ता गढ़ा गांव के लिए कटता है. इसी गढ़ा गांव में बागेश्वर धाम है.
रेल मार्ग से कैसे पहुंचे बागेश्वर धाम (How to Reach Bageshwar Dham by Train): मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम रेल मार्ग से पहुंचने के लिए आपको छतरपुर रेलवे स्टेशन पहुंचना होता है. छतरपुर रेलवे स्टेशन की धार्मिक स्थल से कुल दूरी 30 मिनट की है. आपको अगर छतरपुर की सीधी ट्रेन न मिले तो आप खजुराहो (Khajuraho Railway Station), महोबा स्टेशन (Mahoba Railway Station) की ट्रेन ले सकते हैं.
हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे बागेश्वर धाम (How to Reach Bageshwar Dham by Air): गढ़ा गांव में स्थित बागेश्वर धाम का नजदीकी हवाईअड्डा खजुराहो एयरपोर्ट है. ये दूरी लगभग 36 किलोमीटर की है. इसे तय करने में 45 मिनट लगते हैं.
ग्राम – गढ़ा, पोस्ट – गंज, जिला – छतरपुर
मध्य प्रदेश, पिन – 471105
Website: bageshwardham.co.in
Bageshwar Dham Contact No – 8982862921 / 8120592371
भारत के उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. यहां कदम कदम कई प्राचीन स्थल हैं. किमाऊं एक ऐसा क्षेत्र है जहां बागेश्वर धाम तीर्थ स्थल है. इसके पूरब में भीलेश्वर, पश्चिम में निलेश्वर पहाड़ी, उत्तर में सूरजकुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड जैसे पवित्र स्थल हैं. यह स्थान धार्मिक तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ खूबसूरती, ग्लेशियरों, नदियों आदि के लिए भी मशहूर है. आज इस लेख में हम आपको उत्तराखंड के बागेश्वर धाम का इतिहास और यहां घूमने के लिए कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं…
बागेश्वर धाम नाम से एक और तीर्थ स्थल उत्तराखंड राज्य में स्थित है. ये सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित है. यह बागेश्वर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है. यहीं पर स्थित है बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर, जिसे “बागनाथ” या “बाघनाथ” के नाम से भी जाना जाता है.
मकर संक्रांति के पर्व के दिन यहां उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला लगता है. स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham in Uttarakhand) का बड़ा योगदान है.
पौराणिक कथा के अनुसार अनादिकाल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर तपबल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली मां सरयू को धरती पर ला रहे थे. जैसे ही सरयू कत्यूर घाटी में गोमती से अपने संगम के नजदीक पहुंचीं, वहां ब्रह्मकपाली के समीप ऋषि मार्कण्डेय (Rishi Markandeya) तपस्या में लीन थे. ऋषि मार्कण्डेय की तपस्या भंग ना हो, इसलिए सरयू वहां ही रुक गई और देखते देखते वहां जल भराव होने लगा.
मुनि वशिष्ठ ने तुरंत शिवजी की आराधना की और तपस्या से प्रसन्न शिवजी ने बाघ का रूप धारण कर पार्वती को गाय बना दिया और ब्रह्मकपाली के नजदीक गाय पर झपटने की कोशिश की. गाय रंभाई, तो मार्कण्डेय मुनि की आंखें खुल गई. व्याघ्र को गाय को मुक्त करने के लिए जैसे ही वह दौड़े तो व्याघ्र ने शिव और गाय ने पार्वती का रूप धरा और मार्कण्डेय को दर्शन देकर इच्छित वर दिया, और मुनि वशिष्ठ को भी आशीर्वाद दिया. इसके बाद ही सरयू आगे बढ़ सकीं.
भगवान शिव के व्याघ्र का रूप धरने की वजह से इस स्थान को व्याघ्रेश्वर कहा जाने लगा, जो आगे चलकर बागीश्वर औरफिर बागेश्वर हो गया.
बागनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है. अल्मोड़ा के राजा लक्ष्मी चंद ने 1450 ईस्वी में इसका निर्माण कराया था.
बागेश्वर नगर की उत्तर दिशा सूर्यकुण्ड जबकि दक्षिण दिशा में अग्निकुण्ड स्थित है. ये दोनों प्राकर्तिक कुंड हैं.
चण्डिका मंदिर नगर केंद्र से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है. नवरात्रि में यहां भारी भीड़ उमड़ती है.
श्रीहरु मंदिर की नगर केंद्र से 5 किमी दूरी है. विजय दशमी के अवसर पर हर वर्ष यहां विशाल और भव्य मेला लगता है.
गौरी उड्यार 20 x 95 वर्ग मीटर में फैली एक गुफा है. इस गुफा में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर स्थित है. नगर केंद्र से इसकी दूरी 8 किलोमीटर की है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गौरी उड्यार गुफा का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था. आज के समय में यह गुफा मंदिर बन गई है. खास बात यह कि यहां गर्मियों में ठंडा पानी और सर्दियों में गर्म पानी निकलता है.
बागेश्वर का जिला भारत में उत्तराखंड के उत्तरी हिस्से में है. इसके पूर्व में पिथौरागढ़ जिला है और पश्चिम में चमोली जिला है… उत्तर में महान हिमालय है और दक्षिण में जिला अल्मोड़ा है.
सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें बागेश्वर (How to Reach Uttarakhand Bageshwar Dham by Road): बागेश्वर शहर अच्छी तरह से भारत के अहम शहरों से जुड़ा हुआ है. अलग अलग शहरों से इसकी दूरी इस प्रकार है..
जगह दूरी (किलोमीटर में)
लखनऊ 556
नैनीताल 153
दिल्ली 470
रानीखेत 110
हरिद्वार 447
कौसानी 40
देहरादून 502
अल्मोड़ा 90
बरेली 295
पिथोरागढ़ 149
सहारनपुर 462
मोरादाबाद 294
काठगोदाम 180
हल्द्वानी 186
ग्वालदम 40
द्वाराहाट 83
पंतनगर 210
बागेश्वर पहुंचने के लिए कोई भी बस और निजी टैक्सी बुक कर सकता है.
रेल द्वारा कैसे पहुंचें उत्तराखंड के बागेश्वर धाम (How to Reach Uttarakhand Bageshwar Dham by Train): नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है. काठगोदाम स्टेशन की यहां से दूरी 154 किलोमीटर के आसपास है.
वायु मार्ग से कैसे पहुंचें उत्तराखंड के बागेश्वर धाम (How to Reach Uttarakhand Bageshwar Dham by Air): नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है. पंतनगर से धाम की दूरी 190 किलोमीटर के आसपास है. आप टैक्सी ये बस ले सकते हैं.
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