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Babosa Maharaj Temples in India : भारत में कहां कहां स्थित है बाबोसा महाराज मंदिर? यहां मिलेगी पूरी जानकारी

Babosa Maharaj Temples in India : उत्तर भारत के बड़े हिस्से में भगवान श्री बाबोसा महाराज की पूजा की जाती है. बाबोसा महाराज का मुख्य मंदिर राजस्थान के चुरू में है. हालांकि देशभर में उनके कई मंदिर हैं जहां भक्त आस्था के साथ बाबोसा महाराज की पूजा करते हैं. राजस्थान के चुरू में स्थित बाबोसा महाराज के मुख्य मंदिर के बारे में भक्तों को पता ही है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि चुरू के अलावा बाबोसा महाराज  जी का मंदिर राजस्थान के कुछ दूसरे हिस्से में भी है. भारत की राजधानी दिल्ली में भी बाबोसा महाराज का प्रमुख मंदिर है. बाबोसा महाराज  जी का मंदिर ढाणी श्योराणी, खरेड़ा, जेनाना राजस्थान और  दिल्ली के रोहिणी में स्थित हैं. आइए जानते हैं इन मंदिरों (Babosa Maharaj Temples in India) के बारे में विस्तार से…

बाबोसा महाराज का इतिहास || History of Babosa Maharaj

बाबोसा महाराज का जन्म भारत के राजस्थान राज्य के चुरू में कोठारी कुल में हुआ था. उनके पिता का नाम घेवर-चंद कोठारी और माता का नाम छगनी-देवी कोठारी था. माता छगनी देवी भगवान श्री हनुमान जी की बहुत बड़ी भक्त थीं. एक दिन, अपने भक्तों की प्रार्थना से प्रेरित होकर, वीर बजरंग बली छगनी-देवी के सामने उपस्थित हुए और उनसे एक इच्छा मांगी.  छगनी-देवी ने उनके जैसा एक उज्ज्वल और बुद्धिमान पुत्र मांगा.

इस घटना के 9 महीने बाद छगनी देवी ने एक सुन्दर बालक को जन्म दिया, जिसका नाम पन्ना रखा गया.पन्ना हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त था और बचपन में ही उसने बड़ी-बड़ी लीलाएं दिखानी शुरू कर दी थीं.  लोग पन्ना की शक्ति को पहचानने लगे और वह उस क्षेत्र में काफी फेमस हो गया.  लगभग 18 वर्ष की आयु में पन्ना पृथ्वी लोक छोड़कर स्वर्ग लोक चला गया.

स्वर्गलोक में भी पन्ना भगवान श्री हनुमान जी की ही भक्ति में लीन रहती थी, मिंगसर शुक्ल पंचमी के दिन हनुमान जी ने पन्ना को अपनी शक्तियां और वरदान दिये थे. हनुमान जी ने पन्ना का राजतिलक किया और कहा कि लोग तुम्हें मेरे नाम से भी जानेंगे. उस दिन से पन्ना को बाबोसा महाराज या बालाजी बाबोसा महाराज के नाम से जाना जाने लगा. बाबोसा महाराज का जन्म “माघ शुक्ल पंचमी” या “बसंत पंचमी” को हुआ था, वे “भाद्रव शुक्ल पंचमी” को स्वर्ग-लोक के लिए सेवानिवृत्त हुए.

बाबोसा महाराज मंदिर चुरू, राजस्थान  || Babosa Maharaj Temple Churu, Rajasthan

भगवान श्री “बाबोसा महाराज” को भगवान श्री “बालाजी महाराज” या “हनुमान जी” के अवतार के रूप में पूजा जाता है. भगवान श्री बाबोसा महाराज का मुख्य मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के चुरू शहर में स्थित है, ये “चूरू धाम” दिल्ली-बीकानेर रेलवे लाइन पर स्थित है और नई दिल्ली से लगभग 256 किमी दूर है. आज यह स्थान दुनिया भर के लाखों लोगों की गहन श्रद्धा का केंद्र है. भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि इस स्थान पर उनकी हर इच्छा पूरी होती है.

बाबोसा महाराज को वास्तव में “कलियुग अवतारी” माना जाता है. इस कलियुग में हमारा दार्शनिक ज्ञान बहुत कम हो गया है और हम केवल उन्हीं चीजों पर विश्वास करते हैं जो हमारी आंखों के सामने होती हैं. इसी के अनुरूप बाबोसा महाराज हम भक्तों को नंगी आंखों के सामने दर्शन देते हैं, उनके भक्त भी उन्हें अलग-अलग रूपों में देखते हैं. कोई उन्हें भगवान श्री कृष्ण के रूप में पूजता है, कोई उन्हें भगवान श्री विष्णु के रूप में देखता है, कोई उन्हें बजरंग बली या भगवान हनुमान जी के रूप में देखता है. भक्त आमतौर पर उन्हें इसी रूप यानी हनुमान रूप में ही पूजते हैं.

बहुत से लोग उन असंख्य चमत्कारों के बारे में बात करते हैं जो इस महान ईश्वरीय शक्ति द्वारा संचालित किये गये हैं. जो भक्त उनकी अत्यधिक आस्था के साथ पूजा करते हैं, उन्हें कठिनाइयों के समय में उनकी दिव्य कृपा का एहसास होता है. बाबोसा उनकी पूजा करने वालों को सभी वरदान देते हैं. भक्तों को चमत्कारिक रूप से उनकी प्रार्थना का तत्पर और तत्काल उत्तर मिलता है.

चली आ रही प्रथा और प्रचलित मान्यता के अनुसार चूरू धाम के मंदिर में नारियल बांधने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.  मंदिर में तीन पंचमी मनाई जाती हैं, मंगसिर शुक्ल पंचमी को राजतिलकोत्सव, माघ शुक्ल पंचमी को जन्मोत्सव और भाद्रपद शुक्ल पंचमी को निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है.

बाबोसा महाराज के चूरू मंदिर में आयोजन || Event in Churu temple of Babosa Maharaj

बाबोसा महाराज के लिए हर साल कई कार्यक्रम मनाए जाते हैं. उनमें से सबसे भव्य वार्षिक ‘मिंगसर उत्सव’ या ‘मिंगसर मेला’ है जो बाबोसा महाराज के चूरू मंदिर में मनाया जाता है. यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘मिंगसर शुक्ल पंचमी’ के दिन मनाया जाता है, जो आम तौर पर नवंबर-दिसंबर महीने में होता है.  यह एक विशेष दिन है क्योंकि इस दिन, बाबोसा महाराज को स्वर्ग-लोक (स्वर्ग) में हनुमान जी द्वारा भगवान-शक्ति के रूप में ताज पहनाया गया था.  इस उत्सव में शामिल होने के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों भक्त यहां एकत्रित होते हैं.  दोपहर में चूरू शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है और शाम को एक भव्य कीर्तन का आयोजन किया जाता है जो पूरी रात चलता है. गहन भक्ति से परिपूर्ण भक्त बाबोसा महाराज के जयकारे लगाते हैं और कीर्तन करते हैं. उनका मानना है कि इस कीर्तन से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. कई भक्त बाबोसा महाराज के खोए चरणों पर ‘छप्पन भोग’ और ‘सवा मणि’ भी चढ़ाते हैं.

बाबोसा महाराज के लिए अन्य लोकप्रिय कार्यक्रम वार्षिक ‘जन्मोत्सव’ उत्सव है.  यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘माघ शुक्ल पंचमी’ या ‘बसंत पंचमी’ को मनाया जाता है, जो आम तौर पर जनवरी-फरवरी महीने में होता है। माना जाता है कि बाबोसा महाराज का जन्म इसी शुभ दिन पर चूरू शहर में हुआ था. यह कार्यक्रम हर साल कोलकाता शहर में मनाया जाता है। श्री मंजू बाईसा की उपस्थिति में भव्य कीर्तन का आयोजन किया गया है. मिंगसर मेले की तरह, बाबोसा महाराज अपनी दिव्य कृपा से हजारों भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.

इन मुख्य घटनाओं के अलावा, चंद्र-पखवाड़े या शुक्ल पक्ष की पंचमी के पांचवें दिन को बाबोसा महाराज के दिन के रूप में मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर दुनिया भर में भक्त ‘कीर्तन’ और ‘भंडारे’ का आयोजन करते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। कुछ भक्त बाबोसा महाराज की भक्ति के प्रतीक के रूप में प्रत्येक मंगलवार को उपवास रखते हैं

बाबोसा महाराज के बारे में तथ्य || Babosa Maharaj Facts

बाबोसा नाम का एक विशेष महत्व है. इसे तीन शब्दों में विभाजित किया जा सकता है, ‘बीए’, ‘बीओ’ और ‘एसए’. बीए’ का अर्थ है ‘ब्रह्मा’। ‘बीओ’ में ‘बी’ ‘बिश्नु’ को दर्शाता है, जबकि ‘बीओ’ में ‘ओ’ ‘ओम’ को दर्शाता है,’सा’ ‘शंकर’ प्रभु का प्रतीक है। इसलिए, ब्रह्मा, बिष्णु और महेश का सार लेते हुए, बाबोसा शब्द उनके भक्तों के लिए एक प्रार्थना (महा-मंत्र) की तरह बन गया है, भक्तों का मानना है कि सच्चे दिल से “ओम बाबोसा” का जाप हमेशा अपना दिव्य प्रभाव दिखाता है,

कलियुग का यह अवतार आज दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों में जगह बना चुका है. श्री बाबोसा महाराज के ‘दरबार’ में सभी वरदान और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.  जो भी व्यक्ति साफ दिल और आस्था के साथ उनके दरबार में आता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता. यही कारण है कि आज हर कोई उनके मंदिर के दर्शन करना चाहता है.  उनके मंदिर में भक्तों को आंतरिक शांति का अनुभव होता है, जिस शांति को महसूस करने के लिए लोग जीवन भर गुजार देते हैं। इस प्रकार के लोगों की तलाश उनके मंदिर पर समाप्त होती है, और वे सीधे अपने हृदय से आवाज सुन सकते हैं.

श्री बालाजी बाबोसा मंदिर रोहिणी, दिल्ली || Shri Balaji Babosa Mandir Rohini, Delhi

श्री बालाजी बाबोसा मंदिर दिल्ली के रोहिणी में स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बना हुआ है.  कुछ भक्त उन्हें भगवान श्री कृष्ण के रूप में पूजा करते हैं, कुछ लोग उन्हें भगवान श्री विष्णु के रूप पूजते हैं, और अधिकांश भक्त उन्हें भगवान हनुमान जी के बाल रूप बालाजी के पूजा करते हैं.

बाबोसा महाराज मंदिर, लाडनूं, राजस्थान, राजस्थान || Babosa Maharaj Mandir Genana, Rajasthan

बाबोसा महाराज मंदिर राजस्थान लाडनूं में स्थित हैं. यहां भक्त माघ शुक्ल पंचमी पर बाबोसा महाराज जन्मोत्सव बहुत धूमधाम से मनाते हैं.

बाबोसा मंदिर ढाणी श्योराणी, राजस्थान || Babosa Mandir Dhani Shyorani, Rajasthan

बाबोसा मंदिर ढाणी श्योराणी, राजस्थान में हैं जहां भक्तों की गहरी अस्था है.

बाबोसा मंदिर खरेड़ा, राजस्थान || Babosa Mandir Khareda, Rajasthan

बाबोसा मंदिर खरेड़ा, राजस्थान में स्थित है. यहां लोगों की काफी भीड़ देखी जाती है.

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर दर्शन नियम || Mehandipur Balaji Mandir Darshan Rules

श्री बाबोसा महाराज मंदिर ही नहीं है राजस्थान में की बल्कि बहुत सारे फेमस मंदिर है. उन्हीं में से एक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर. इस मंदिर की लोगों के बीच काफी अस्था है. नीचे दिए गए वीडियो में देखें  मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का क्या है इतिहास और नियम.

 

 

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