baba dera nanak, sikh guru, baba dera nanak story, baba dera nanak history, baba dera nanak importance, Kartarpur Sahib
Dera Baba Nanak: सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जीवनकाल यात्राओं से भरा हुआ था. वह जहां भी गए, वहां रुके और लोगों की मदद की. गुरुनानक देव जी जहां भी गए वहां पर आज हम गुरुद्वारों को देख सकते हैं. गुरुजी की ऐसी ही यात्रा से जुड़ा गुरुद्वारा है गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक (Dera Baba Nanak) . एक तरफ बॉर्डर के उस पार पाकिस्तान में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब है तो वहीं बॉर्डर के इस पार हिंदुस्तान में गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक है. ये वही स्थान है जहां गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली उदासी (यात्रा) के बाद ध्यान लगाया था. गुरुद्वारा बाबा डेरा नानक गुरदासपुर में है और भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी पर है। आइए पढ़ते हैं गुरुद्वारा बाबा डेरा नानक के बारे में :
नानक जी ने ‘अजीता रंधावा दा खू’ पर लगाया था ध्यान
गुरु नानक देव जी ने 1506 में अपनी पहली उदासी के बाद इसी जगह पर ध्यान लगाया था. जहां वह ध्यान के लिए बैठे थे, वहां एक कुआं था जिसे ‘अजीता रंधावा दा खू (कुआं)’ के नाम से जाना जाता था. डेरा बाबा नानक रावी नदी के पास ही है और भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है. गुरु नानक देव जी ने यहां से लगभग 4 किलोमीटर दूर करतारपुर की स्थापना की थी और अपनी सभी उदासियों के बाद करतारपुर में ही रहने लगे थे. इसी जगह आज पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब है.
डेरा बाबा नानक की धरती पर ये 3 स्मारक
पवित्र कुआं
गुरु नानक देव जी ने जिस जगह ध्यान लगाया था, उस जगह को 1800 ई. के आसपास महाराजा रणजीत सिंह ने चारों तरफ से मार्बल से कवर करवाया और गुरुद्वारे का आकार दिया. रणजीत सिंह ने तांबे से बना सिंहासन भी दिया था. जिस अजीता रंधावा के कुएं पर गुरु नानक देव जी ने ध्यान लगाया था, वह कुआं आज भी वहां मौजूद हैं और लोग यहां से पवित्र जल भरकर अपने घर ले जाते हैं.
कीर्तन स्थान
दूसरा स्मारक है ‘कीर्तन स्थान’. जब गुरु अर्जन देव जी डेरा बाबा नानक पहुंचे थे तो इसी जगह पर बाबा धर्म दास की शोकसभा में कीर्तन का आयोजन किया था. इस कीर्तन स्थान पर आज गुरु ग्रंथ साहिब सुशोभित हैं.
थड़ा साहिब
‘थड़ा साहिब’ तीसरा मुख्य स्थान है जिसकी डेरा बाबा नानक में खासी अहमियत है. अजीता रंधावा दा खू के पास आकर जिस जगह गुरु नानक देव जी सबसे पहले बैठे थे, उसे थड़ा साहिब का नाम दिया गया।
सोने से बनी है थड़ा साहिब की छत
काफी साल बाद जहां थड़ा साहिब स्थित है, उस हॉल का निर्माण करवाया गया. इस हॉल की छत को सोने की परत से सजाया गया है. पूरे हॉल में बेहद खूबसूरत मीनाकारी की गई है. महाराजा रणजीत सिंह ने यहां की छत पर सोने का इस्तेमाल करने को कहा था और इसके लिए उन्होंने नकद राशि और जमीन भी दी थी.
बैसाखी और अमावस्या
यूं तो गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक में हर त्योहार और गुरु पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अमावस्या और बैसाखी के दिन यहां विशेष कीर्तन समागमों का आयोजन किया जाता है. गुरु नानक जयंती और गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर भी खास कीर्तन दरबार सजाए जाते हैं. इस दौरान यहां बड़ी संख्या में संगत मौजदू रहती हैं। गुरुद्वारे की देखरेख शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी करती है इसलिए कीर्तन दरबार के अवसर पर दूर-दराज से आने वाले लोगों के रहने का बंदोबस्त कमिटी ही करती है. इसके साथ ही लंगर की भी विशेष व्यवस्था रहती है.
Rangbhari Ekadashi 2025: हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी… Read More
Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 30 अप्रैल, 2025 को गंगोत्री… Read More
आज की भागदौड़ भरी दुनिया में एकाग्रता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है.… Read More
Spring Season 2025 : वसंत ऋतु सबसे सुखद मौसमों में से एक है, जिसमें फूल… Read More
Dharamshala travel Blog Day 1 धर्मशाला उत्तर भारत का एक शहर है. यह हिमाचल प्रदेश… Read More
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More