Ayodhya Travel Guide in Hindi
Ayodhya Travel Guide – राम जन्म भूमि के रूप में प्रसिद्ध अयोध्या (Ayodhya) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। यह फैज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत आता है। सरयू नदी (घाघरा नदी) के दाएं तट पर बसे इस नगर को प्राचीन काल में ‘कौशल देश’ कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। Ayodhya Travel Guide से जुड़े इस लेख में हम आपको अयोध्या की पूरी जानकारी देंगे.
वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। यह पुरी सरयू के तट पर लगभग 144 कि.मी लम्बाई और लगभग 36 कि.मी. चौड़ाई में बसी थी। कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या ( Ayodhya Travel Guide ) मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम एवं जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। उक्त क्षत्रियों में दशरथी रामचंद्र अवतार के रूप में पूजे जाते हैं। पहले यह कौसल जनपद की राजधानी था। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था।
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भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या ( Ayodhya Travel Guide ) के रघुकुल राज परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम कौशल्या और उनके पिता का नाम राजा दशरथ था। भगवान राम अपने तीन भाई थे, भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण। प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से सातवें अवतार थे। रामचरितमानस और रामायण ग्रंथ में प्रभु श्रीराम के विषय में संपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया गया है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता था। हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम को बहुत ही अधिक पूजनीय माना जाता है और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। वर्तमान में यह एक विवाद का विषय बना हुआ है। लेकिन इस ऐतिहासिक जगह में देखने के लिए बहुत कुछ है।
नगर के केन्द्र में स्थित इस मंदिर में 76 कदमों की चाल से पहुँचा जा सकता है। इस मन्दिर में विराजमान हनुमान जी को वर्तमान अयोध्या का राजा माना जाता है। कहते हैं कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनि की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थे तो उनका बाजूबंद खो गया था। वह बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जिसे कुश से प्रेम हो गया। वह शिवभक्त थी। कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया। कहा जाता है कि यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल के पहले से है। यहाँ शिवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
हनुमान गढ़ी के निकट ही स्थित कनक भवन अयोध्या ( Ayodhya Travel Guide ) का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम की सोने के मुकुट पहने हुए प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। इस मन्दिर के श्री विग्रह (श्री सीताराम जी) भारत के सुन्दरतम स्वरूप कहे जा सकते है। यहाँ नित्य दर्शन के अलावा सभी समैया-उत्सव भव्यता के साथ मनाये जाते हैं।
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ये मन्दिर अयोध्या ( Ayodhya Travel Guide ) नगर के केन्द्र में स्थित भगवान श्री राम का स्थान है जो राघवजी का मंदिर नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर में प्रतिमा के रूप में भगवान राघवजी अकेले ही विराजमान हैं। ये एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमे भगवन जी के साथ माता सीताजी की मूर्ती नहीं है। सरयू जी में स्नान करने के बाद यहाँ राघव जी के दर्शन किये जाते है I
यह स्थान महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली है। यह स्थान देश भर में रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। सन् 1818 में नालन्दा में जन्मे स्वामी युगलानन्यशरण जी का रामानन्दीय वैष्णव-समाज में विशिष्ट स्थान है। अपने जीवन काल में साधना के अलावा उन्होंने ‘रघुवर गुण दर्पण’,’पारस-भाग’,’श्री सीतारामनामप्रताप-प्रकाश’ तथा ‘इश्क-कान्ति’ आदि सहित लगभग सौ ग्रन्थों की रचना की है। सरयू नदी के तट पर स्थित यह आश्रम श्री सीताराम जी की आराधना के साथ संत-गो-ब्राह्मण सेवा भी संचालित करता है। श्री राम नवमी तथा श्रीराम विवाह महोत्सव यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं। यह स्थान तीर्थ-यात्रियों के ठहरने का उत्तम विकल्प है। यहाँ सूर्यास्त दर्शन आकर्षण का केंद्र है।
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अयोध्या के रायगंज में स्थित 65 फीट ऊंचे मणि पर्वत के विषय में मान्यता है कि हनुमान भगवान राम के भाई लक्ष्मण के लंका में मूर्छित होने पर इस पर्वत से संजीवनी बूटी लेकर आए थें। कुछ विद्वानों का यह भी मनना है कि यहीं से बौद्ध धर्म का उद्गम हुआ था। यहाँ सावन के महीने में बहुत बड़ा मेला लगता है जो बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम के विवाह के बाद माँ सीता देवी गिरिजा जी की एक मूर्ति के साथ अयोध्या पहुंची थी। राजा दशरथ ने मूर्ति के लिए एक सुंदर मंदिर बनवाया और मंदिर में माँ सीता देवी की पूजा करती थी। मंदिर में देवी देवकाली की मूर्ति अब भी मौजूद है। दूर दूर से श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने और अपनी मुरादें पूरी करने आते हैं। नवरात्रि में यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं .
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मान्यता है कि चैत्र रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दिन भक्त जन अपने पापों के प्रायश्चित और पुण्य की प्राप्ति के लिए रघुकुल की कुलदेवी श्रीबड़ी देवकाली जी की पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि नवरात्र में सिद्धि प्राप्त करने के लिए बड़े देवकाली जी की विशेष तरह से पूजा की जाती है। पहले मां के तीनों रूप (महाकाली, महालक्मी और महासरस्वती) की पूजा आरचना की जाती हैं। मान्यता है कि मंदिर के सामने कुंड में स्नान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है I मां देवकाली मंदिर को भगवान श्रीराम चन्द्र के पूर्वज महाराजा रघु ने स्थापित किया था। नवरात्रों में श्रद्धालु दूर दूर से यहाँ ख़ास तौर से आते हैं।
इस खूबसूरत जगह का नाम वैसे तो शीश महल है पर असल मे यह एक शानदार मंदिर है जो कि भगवान राम और माता सीता को समर्पित है। मंदिर में छोटे काँच और चिह्नों के अद्भुत पैटर्न जड़े हुए हैं। यह निर्माण ईसा पश्चात् 14 वीं शताब्दी के आस-पास का है।
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राम की पैड़ी सरयू नदी के तट पर घाटों की एक श्रृंखला है। उद्यान एवं जलाशय यहाँ के आकर्षण हैं। खासकर पूर्णिमा की रात में यहाँ बहुत सुन्दर नज़ारा होता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ नदी में डुबकी लगाने से लोग पाप मुक्त होते हैं।
अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर मणि रामदास जी की छावनी मार्ग पर स्थित यह भवन एक अदभुत रचना है। यह संगमरमर पर सुंदर रूप से उत्कीर्ण वाल्मीकि रामायण के लिए प्रसिद्ध है। भक्तों का यहाँ सुबह शाम तांता लगा रहता है।
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हिन्दुओं के मंदिरों के अलावा अयोध्या जैन मंदिरों के लिए भी खासा लोकप्रिय है। जैन धर्म के अनेक अनुयायी नियमित रूप से अयोध्या आते रहते हैं। अयोध्या को पांच जैन र्तीथकरों की जन्मभूमि भी कहा जाता है। जहां जिस र्तीथकर का जन्म हुआ था, वहीं उस र्तीथकर का मंदिर बना हुआ है। इन मंदिरों को फैजाबाद के नवाब के खजांची केसरी सिंह ने बनवाया था।
वनवास जाने के बाद जब प्रभु श्री राम वापस अयोध्या आने के लिए राज़ी नहीं हुए तब उनके छोटे भाई भरत भगवन राम की चरण पादुका ले कर लौट आये और यही से अयोध्या का कार्य भार संभालाI सप्तपुरियों में प्रथम स्थान पर मानी जाने वाली अयोध्या से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भरतकुंड। यही भरत की तपोभूमि है। यहीं वह कूप है, जिसमें 27 तीर्थों का जल है। भगवान राम की जटा विवराई का स्थान जटाकुंड, पापों का नाश करने वाला मानस तीर्थ, पिशाच योनि से मुक्ति दिलाने वाला पिशाच मोचन कुंड यहीं है। यही वह स्थान है, जो वनवास से लौटे राम और भरत के मिलन का साक्षी रहा। भगवान विष्णु का बाये पांव का गयाजी में तो दाहिने पांव का चरण चिह्न यहीं गयावेदी पर है। भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान भी यहीं किया था। मान्यता है कि भरतकुंड में किया पिंडदान, गया तीर्थ के समान फलदायी है। प्रथा गयाजी से पहले भरतकुंड में पिंडदान की है इसीलिए भरतकुंड को ‘मिनी गया’ का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि पितृपक्ष में भरतकुंड आस्था का केंद्र है। देश भर से जुटने वाले श्रद्धालु अपने पुरखों का पिंडदान कर मोक्ष की कामना करते हैं। भारत कुंड के पास पिसाच मेला बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है I ऐसा कहा जाता है कि पिचासी में स्नान करने से सौ काशी का पुण्य मिलता है .
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भगवान श्रीराम की लीला के अतिरिक्त अयोध्या में श्रीहरि के अन्य सात प्राकट्य हुये हैं जिन्हें सप्तहरि के नाम से जाना जाता है। अलग-अलग समय देवताओं और मुनियों की तपस्या से ये प्राकट्य हुये। इनके नाम भगवान गुप्तहरि , विष्णुहरि , चक्रहरि , पुण्यहरि , चन्द्रहरि , धर्महरि और बिल्वहरि हैं।
प्रभु श्रीराम की नगरी होने से अयोध्या उच्चकोटि के सन्तों की भी साधना-भूमि रही है। यहाँ के अनेक प्रतिष्टित आश्रम ऐसे ही सन्तों ने बनाये हैं। इन सन्तों में स्वामी श्रीरामचरण दास जी महाराज ‘करुणासिन्धु जी’, स्वामी श्रीरामप्रसादाचार्य जी, स्वामी श्रीमणिराम दास जी, स्वामी श्रीरघुनाथ दास जी, पं.श्री जानकीवर शरण जी पं. श्री उमापति त्रिपाठी, राजू दास जी अiदि अनेक नाम उल्लेखनीय हैं।
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वायु मार्ग
लखनऊ हवाई अड्डा अयोध्या का निकटतम एयरपोर्ट है जो लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से विभिन्न फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा है।
रेल मार्ग
अयोध्या का निकटतम मुख्य रेलवे स्टेशन फैजाबाद है। यह रेलवे स्टेशन मुगल सराय-लखनऊ लाइन पर स्थित है। उत्तर प्रदेश और देश के लगभग तमाम शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है। यहाँ से बस्ती, बनारस और रामेश्वरम के लिए भी सीधी ट्रेन है।
सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसें लगभग सभी प्रमुख शहरों से अयोध्या के लिए चलती हैं। राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग से अयोध्या जुड़ा हुआ है।
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