Ayodhya Before Lord Ram : दोस्तों, क्या आप जानते हैं प्रभु श्रीराम के जन्म से पहले अयोध्या कैसी थी… श्रीराम के वंश को रघुवंश (Raghuvansh) क्यों कहा जाता है… आखिर कौन हैं रघु? इनकी महानता ऐसी क्यों है कि प्रभु राम से भी बड़ा कद है महाराज रघु (Maharaj Raghu) का… इनसे जुड़ी चौपाई भी बहुत मशहूर है– रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई… अयोध्या में आपको एक और चौपाई दिखाई देती है- प्रबिसि नगर कीजै सब काजा, ह्रदय राखि कोसलपुर राजा… अयोध्या से अलग ये कोसलपुर क्या है? रघु और कोसलपुर को जानने के लिए हम आपको लेकर चलते हैं प्रभु श्रीराम से पहले वाली अयोध्या में… अयोध्या की एक अलग पहचान को आज हम जानेंगे इस आर्टिकल में… आइए जानते हैं कि श्रीराम से पहले कैसी थी अयोध्या की ये धरती…
साथियो, बेहद प्राचीन काल में भारत में 16 महाजनपद (16 mahajanpadas in india) हुआ करते थे और इनकी राजधानियां भी अलग अलग थी ….
1. मगध महाजनपद की राजधानी राजगृह या गिरिब्रज (दक्षिणी बिहार) थी
2. काशी महाजनपद की राजधानी वाराणसी थी
3. कोशल की राजधानी श्रावस्ती या अयोध्या (फैजाबाद मंडल) थी
4. वज्जि – वैशाली (उत्तरी बिहार) [Vajji – Vaishali (North Bihar)]
5. अंग – चंपा (भागलपुर एवं मुंगेर) [Anga – Champa (Bhagalpur and Munger)]
6. शूरसेन – मथुरा (नए दौर का ब्रजमंडल) [Shursen – Mathura (modern Brajmandal)]
7. मत्स्य – विराटनगर [अलवर, भरतपुर (राजस्थान)] [Matsya – Viratnagar [Alwar, Bharatpur (Rajasthan)]
8. पांचाल – उत्तरी पांचाल – अहिच्छत्र (रामनगर, बरेली) और दक्षिणी पांचाल – काम्पिल्य (फर्रुखाबाद) [Panchal – North Panchal – Ahichhatra (Ramnagar, Bareilly) and Dakshin Panchal – Kampilya (Farrukhabad)]
9. वत्स – कौशांबी (इलाहाबाद एवं बांदा) [Vats – Kaushambi (Allahabad and Banda)]
10. चेदि/चेति – सोत्थिवती या सूक्तिमति (आधुनिक बुंदेलखंड) [Chedi / Cheti – Sotthivati or Suktimati (modern Bundelkhand)]
11. मल्ल – कुशीनगर (प्रथम भाग) तथा पावा (द्वितीय भाग) (पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर – देवरिया क्षेत्र) [Malla – Kushinagar (first part) and Pawa (second part) (Gorakhpur – Deoria region of eastern Uttar Pradesh)]
12. अश्मक – पोतना या पोटली (दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद) [Ashmak – Potna or Potli (the only Mahajanapada of South India)]
13. अवंती – उत्तरी उज्जयिनी, दक्षिणी महिष्मती [Avanti – Northern Ujjayini, Southern Mahishmati]
14. गांधार – तक्षशिला [पेशावर तथा रावलपिंडी (पाकिस्तान)] [Gandhar – Taxila [Peshawar and Rawalpindi (Pakistan)]
15. कंबोज – राजपुर/हाटक (कश्मीर) [Kamboj – Rajpur / Hatak (Kashmir)]
16. कुरु – इंद्रप्रस्थ (मेरठ एवं दक्षिण – पूर्व हरियाणा) [Kuru – Indraprastha (Meerut and South-East Haryana)]
कोशल महाजनपद की राजधानी ‘श्रावस्ती’ थी. रामायणकालीन कोशल राज्य की राजधानी ‘अयोध्या’ थी. इस महाजनपद का विस्तार उत्तर में नेपाल से लेकर दक्षिण में सई नदी तक और पश्चिम दिशा में पांचाल से लेकर पूर्व दिशा में गंडक नदी तक था…
वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख है:
कोसलो नाम मुदित: स्फीतो जनपदो महान।
निविष्ट: सरयूतीरे प्रभूत धनधान्यवान् ॥
कोशल(कोसल)साम्राज्य एक समृद्ध संस्कृति वाला एक प्राचीन भारतीय साम्राज्य था. कोसल क्षेत्र ने जैन धर्म और बौद्ध धर्म सहित श्रमण आंदोलनों को जन्म दिया. इसीलिए अयोध्या को प्राचीन काल में कोसलपुर से भी जाना जाता था…
अब बात करते हैं.. रघुकुल की… रघुकुल को समझने से पहले हमें अयोध्या के आरंभ को समझना पड़ेगा… सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की स्थापनान विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज ने की थी… माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग साढ़े 6 हजार साल ईसा पूर्व हुए थे. ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ. कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे…मनु के पुत्र इक्ष्वाकु प्रसिद्ध राजा थे और इनके समय कोसल की अहमियत बहुत बढ़ गई थी… इक्ष्वाकु राजवंश में कई बड़े राजा हुए. ऐसा माना जाता है कि इस वंश के 125 राजाओं ने अयोध्या पर शासन किया जिसमें से 91 महाभारत युद्ध के पहले हो चुके थे और बाकी बाद में हुए…
ईक्ष्वाकु वंश में त्रेता युग में दिलीप नामक दो राजा हुए हैं. प्रथम दिलीप, राजा अंशुमान के बेटे थे और राजा भगीरथ के पिता थे और दूसरे राजा दिलीप खटवांग के बेटे थे और राजा रघु के पिता थे…
रघु अयोध्या के प्रसिद्ध इक्ष्वाकुवंशीय राजा थे जिनके नाम पर रघुवंश की रचना हुई. ये दिलीप के पुत्र थे. अपने कुल में ये सर्वश्रेष्ठ गिने जाते हैं जिसके फलस्वरूप मर्यादापुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी भी अपने को रघुवंशी कहने में परम गर्व अनुभव करते हैं. सारा सूर्यवंश इन्हीं के कारण रघुवंश कहलाने लगा. इन्हीं के नाम पर रामचंद्र को राघव, रघुवर, रघुराज, रघुनाथ, रघुवीर आदि कहा जाता है…
अब बड़ा सवाल ये है कि महाराज रघु ने ऐसा क्या किया जो इनके नाम पर वंश को रघुवंश या रघुकुल कहा गया…
दरअसल, हुआ यूं कि पिता के अश्वमेघ यज्ञ के अश्व की रक्षा का भार रघु को मिला और घोड़े को इंद्र चुरा ले गए तो रघु ने इंद्र से घोर युद्ध करके उन्हें परास्त कर दिया. रघु जब खुद गद्दी पर बैठे तो अपने पूरे राज्य में शांति स्थापित करके चारों दिशाओं में अपना प्रभुत्व स्थापित किया..
महाराज रघु ने समस्त भूखण्ड पर एकछत्र राज्य स्थापित कर विश्वजीत यज्ञ किया.
अयोध्या रघुवंशी राजाओं की बहुत पुरानी राजधानी थी…. पहले यह कौशल जनपद की राजधानी थी… प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था. वाल्मीकि रामायण के 5वें सर्ग में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है…
वाल्मीकि कृत रामायण के बालकाण्ड में उल्लेख मिलता है कि अयोध्या 12 योजन-लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी. सातवीं सदी के चीनी यात्री ह्वेन सांग ने इसे ‘पिकोसिया’ संबोधित किया है.
भारत की प्राचीन नगरियों में से एक अयोध्या को हिन्दू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका में शामिल किया गया है. अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है. स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द ‘अ’ कार ब्रह्मा, ‘य’ कार विष्णु है तथा ‘ध’ कार रुद्र का स्वरूप है।
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के अलावा आदिनाथ सहित जैन मत के 5 तीर्थांकर भी जन्मे थे… जैन परंपरा के अनुसार भी 24 तीर्थंकरों में से 22 इक्ष्वाकु वंश के थे… इन 24 तीर्थंकरों में से भी सर्वप्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभदेव जी) के साथ चार अन्य तीर्थंकरों का जन्मस्थान भी अयोध्या ही है… बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 वर्षों तक निवास किया था…
इसी कुल में 31वें राजा महान सत्यवादी हरीशचंद्र हुए… और 45वीं पीढ़ी में भगीरथ हुए…
अयोध्या के राजा हरिशचंद्र बहुत ही सत्यवादी और धर्मपरायण राजा थे। वे भगवान राम के पूर्वज थे। वे अपने सत्य धर्म का पालन करने और वचनों को निभाने के लिए राजपाट छोड़कर पत्नी और बच्चे के साथ जंगल चले गए और वहां भी उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी धर्म का पालन किया।
और भगीरथ जीवनदायिनी मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे…
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