”अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चंडाल का,
काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का’’
12 Jyotirlinga : अब आप सोच रहे होंगे कि हम यहां भगवान शिव के श्लोक का वर्णन क्यों कर रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि दरअसल आज हम अपनी घुमक्कड़ स्टोरी में आपको देवों के देव महादेव का दर्शन कराने के लिए लेके जा रहे हैं। जी हां, आज हम आपको बताने वाले हैं देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में। तो फिर देरी किस बात की बिना पेकिंग किए ही निकल पड़िए हमारे साथ भोलेबाबा की इस अनोखी ट्रिप पर-
लेकिन इस ट्रिप की शुरुआत करने से पहले हम उन सवालों और जवाब पर नजर डालेंगे जिसको लेकर अधिकतर लोग कंफ्यूजन में रहते हैं-
पहला सवाल भगवान शिव को लिंग के रूप में क्यों पूजा जाता है?
शिव शंभु आदि और अंत के देवता है और इनका न कोई स्वरूप है और न ही आकार है। ये निराकार हैं।बता दें कि आदि और अंत न होने से लिंग को शिव का निराकार रूप माना जाता है, जबकि उनके साकार रूप में उन्हें भगवान शंकर मानकर उनकी पूजा की जाती है।
क्या भगवान शिव ही शंकर, महेश, रुद्र, महाकाल, भैरव आदि हैं?
त्रिदेवों में से सिर्फ महेश को ही भगवान शिव या शंकर कहा जाता है। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। कहा जाता है कि उन्हीं में से एक महाकाल हैं। दूसरे तारा, तीसरे बाल भुवनेश, चौथे षोडश श्रीविद्येश, पांचवें भैरव, छठें छिन्नमस्तक, सातवें द्यूमवान, आठवें बगलामुख, नौवें मातंग, दसवें कमल है।
ये तो हुई भगवान शिव से जुड़ी कुछ बातें, अब हम आपको यूटर्न लेते हुए ले चलते हैं ज्योतिर्लिंगों के पास।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग
ये सभी 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग जगहों पर है। जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने जाते हैं।
जगह- गुजरात
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को भारत का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है । ये गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी।
कैसें पहुंचे – सोमनाथ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल में है।यह स्टेशन कोंकण लाइन पर पड़ता है जोकि सोमनाथ से करीब 5 किमी की दूरी पर है। यहाँ से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है।
जगह- आंध्र प्रदेश
मल्लिका मां पार्वती को कहा जाता है और अर्जुन शिव भगवान को, दोनों को जोड़ के नाम बना मल्लिकार्जुन। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं।
कैसे पहुंचे- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग आंध्र प्रदेश के श्रीसैलम में मौजूद है। आप सड़क, रेल और हवाई यात्रा के जरिए इस ज्योतिर्लिग के दर्शन कर सकते हैं। विजयवाड़ा, तिरुपति, अनंतपुर, हैदराबाद और महबूबनगर से नियमित रूप से श्रीसैलम के लिए सरकारी और निजी बसें चलाई जाती हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन मर्कापुर रोड है जो श्रीसैलम से करीब 62 किलोमीटर की दूरी पर है।
जगह- उज्जेन
इसे भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। कहते हैं जो भी व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता ये है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है।
कैसे पहुंचे-उज्जेन का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है जोकि करीब 58 किलोमीटर की दूरी पर है। साथ ही उज्जैन जाने के लिए आपको दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से सीधी ट्रेन भी मिल जाएगी।
जगह- मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर नर्मदा नदी किनारे ओंकार पर्वत पर स्थापित है। इस स्थान पर नर्मदा के दो धाराओं में विभक्त हो जाने से बीच में एक टापू-सा बन गया है। इस टापू को मान्धाता-पर्वत या शिवपुरी कहते हैं। इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या की थी तथा शिवलिंग की स्थापना की थी. जिसे शिव ने देवताओ का धनपति बनाया था।
कैसे पहुंचे- ओम्कारेश्वर से 12 किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन है, मोरटक्का जोकि खंडवा – रतलाम रेल मार्ग पर है ।
जगह- उत्तराखंड
ये मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले केदार नामक चोटी पर बना है। हिंदुओं के चार धाम यात्रा में केदारनाथ को भी मुख्य स्थान दिया गया है। केदारनाथ से कुछ ही दूरी पर बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री भी स्थित है जिसकी वजह से वहां बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगता है।
कैसे पहुंचे-
अगर आप दिलली से केदारनाथ सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो आप ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून के रास्ते जा सकते हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून पहुँचने के बाद आप केदारनाथ के लिए कार ,जीप या बस से वहां तक पहुंच सकते हैं। साथ ही आप दिल्ली से हरिद्वार और ऋषिकेश के लिए ट्रेन की टिकट भी करा सकते हैं।
ये तो हुई 5 ज्योतिर्लिंगों की बात, अगर आप आगे 7 ज्योतिर्लिंगों के बारे में भी जानना चाहते हैं तो आपको हमारी अगली स्टोरी का इंतजार करना पड़ेगा….इस आर्टिकल का अगला भाग आपको अगले पोस्ट में मिलेगा …….
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