Sonbhadra Travel Guide : यहां है काले पत्थर से बनी शिव और पार्वती की दुर्लभ मूर्ति
Sonbhadra Travel Guide : सोनभद्र भारत का एकमात्र ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ झारखंड और बिहार, यानी देश के चार राज्यों से मिलती हैं. सोनभद्र अपनी धरोहर के लिए प्रसिद्ध है. पावर हब की वजह से इसको भारत का मिनी मुंबई भी कहते हैं.
Capital of Power Sonbhadra
सोनभद्र अपनी ऊर्जा को लेकर जाना जाता है। सोनभद्र जिला एक औद्योगिक क्षेत्र है। यहाँ पर बॉक्साइट, चूना पत्थर, कोयला, सोना आदि जैसे बहुत सारे खनिज पदार्थ उपलब्ध हैं। सोनभद्र को ऊर्जा की राजधानी कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत सारी बिजली संयंत्र हैं। ये क्षेत्र वन और पहाड़ियों के एक क्षेत्र से एक औद्योगिक स्वर्ग बन गया।
Fort situated in Sonbhadra
अगोरी किला
ये किला, इस क्षेत्र के मुख्य ऐतिहासिक स्मारकों और पर्यटन आकर्षणों में से एक माना जाता है। वैसे अगोरी किले पर वास्तविक अधिकार खारवार शासकों का था। लेकिन बाद में किले पर चंदेल वंश के शासकों ने यहां पर आधिपत्य जमा लिया।
अगोरी किले को आदिवासी किले के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है यहाँ के इसके अन्तिम शासक एक आदिवासी राजा ही थे। ये किला, तीन दिशाओं में तीन नदियों से घिरा हुआ है जिनके नाम विजुल, रेगु और नदी पुत्र है। यह किला, नदी पुत्र के तट पर बना हुआ है।
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विजयगढ़ किला
विजयगढ़ किला, 400 फीट ऊंचा है जिसे पांचवी सदी में बनाया गया था। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के कोल राजाओं ने इसका निर्माण करवाया था। इस किले की अनूठी विशेषता, किले में बने गुफा चित्र, मूर्तियां, चट्टानों पर लिखे शिलालेख और चार बारहमासी तालाब है। किले के मुख्य द्वार पर एक मुस्लिम संत की कब्र बनी हुई है, इन संत का नाम सैय्यद जैन- उल – अबदीन मीर साहिब है जो हज़रत मीरान साहिब बाबा के नाम से विख्यात है।बाबा को समर्पित एक मेले या उर्स का आयोजन प्रत्येक वर्ष अप्रैल में किया जाता है और इस मेले में सभी धर्म के श्रद्धालु, निष्पक्ष भाव से दर्शन करने आते है। इस किले के पास दो लैंडमार्क स्थित है जिन्हे मीरा सागर और राम सागर के नाम से जाना जाता है।
नौगढ़ का किला
प्रसिद्ध नौगढ़ किले का निर्माण काशी नरेश ने करवाया था। इस किले के उत्तर – पश्चिमी दिशा में एक पर्वत स्थित है जिसे गेरूवाटवा पहर के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्वत धातु और खनिज अपशिष्ट पदार्थो और भट्टियों के अवशेष से भरा पड़ा है। एक छोटी सी धारा के दोनो तरफ स्लैग पाया जाता है। जो करमान्सा नदी से जुड़ता है और एक आकर्षक झरने के रूप में गिरता है। आगे बढ़कर ये झरना, एक धारा में परिवर्तित हो जाता है जो नौगढ़ किले के उत्त्र पूर्वी हिस्से में बहता है। यकीन मानिये इन दोनों किलों की सैर करते वक़्त आपको अपने बचपन के दिन याद आ जायेंगें और चन्द्रकान्ता शो का टाइटल ट्रैक भी आपके दिमाग में गूंजने लगेगा।
Sonbhadra Kuldevta Temple
नभद्र जिले के पनारी गांव पंचायत की जुड़वानी गांव स्थित सोन पहाड़ी में हाल ही में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने अपने सर्वे में करीब तीन हजार टन स्वर्ण अयस्क पाए जाने की बात कही थी और यहां से करीब 160 किलोग्राम सोना निकलने की संभावना भी जताई है। लेकिन इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है कि इसी सोन पहाड़ी की चोटी में हजारों साल पुराना आदिवासियों के कुलदेवता ‘सोनयित डीह बाबा’ का स्थान भी है। जिसकी पूजा-अर्चना आदिवासी राजा बल शाह भी किया करते थे। तब से ये मंदिर हजारों आदिवासियों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
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Rare idol of Shiv and Parvati in Sonbhadra
अगर धार्मिक स्थलों की बात की जाये तो यहां का शिव द्वार मंदिर सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंंदिर की खासियत है यहां स्थापित, 11 वीं सदी की काले पत्थर से बनी दो मूर्तियों। सोनभद्र जिला, कला प्रेमियों और प्रकृति से प्रेम करने वाले पर्यटकों को सदैव यहां के भ्रमण के आकर्षण का केंद्र माना जाता है। यहाँ पर शिवरात्रि और सावन में श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिलता है। खासकर सावन के सोमवार में यहां बहुत भीड़ होती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां स्थापित मूर्ति की गयी है जो अपने आप में ही अद्भुत नजर आती है। तीन फुट ऊंची मूर्ति सृजन मुद्रा में निर्मित की गयी है। एक रचनात्मक मुद्रा है। यह विशाल प्रतिमा उस काल के शिल्प कौशल के बेहतरीन नमूने और शानदार कला का प्रदर्शन करता है। यह मंदिर, क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है।
When and how to visit Sonbhadra
सोनभद्र की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय नवम्बर से मार्च का माना जाता है। इस दौरान यहां का मौसम बढ़िया रहता है। सोनभद्र वाराणसी से लगभग 90 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ से अच्छी और सुविधाजनक सड़क होकर गुजरती है। ये सड़क उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख शहरों को जोड़ती है। सोनभद्र की यात्रा आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पूरी कर सकते हैं।