सावन में करें Maharashtra के Bhimashankar ज्योतिर्लिंग के दर्शन
Bhimashankar Jyotirlinga : सावन में ज्योतिर्लिंगों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। भोले बाबा के दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती हैं। सावन महीने में शिव जी की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग जो अलग-अलग स्थानों में विराजित हैं। इन्हीं 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का छठा स्थान है। सावन में इसके दर्शन के लिए लोग ना जाने कहां-कहां से आते हैं।
भीमाशंकर को लेकर कुछ विशेष मान्यतायें हैं || Certain beliefs of Bhimashankar
ऐसा माना जाता है कि देवों के अनुरोध करने पर भगवान शिव ने भीमा का रूप धारण कर सह्याद्री पहाड़ियों पर निवास किया था। त्रिपुरासुर राक्षस के साथ घमासान लड़ाई के बाद भगवान शिव ने उसे मार डाला था। माना जाता है कि इस लड़ाई के दौरान यहां से जो गर्मी उत्पन्न हुई उसके कारण भीमा नदी सूख गई और भगवान शिव के शरीर से निकले हुए पसीने से फिर से भीमा नदी बनी।
जब भी महाराष्ट्र जायें ज़रूर करें भीमाशंकर के दर्शन || A must visit place in Maharashtra
भीमाशंकर हिंदुओं के लिए एक विशेष तीर्थस्थल माना गया है। यहां शिव भक्तों का जमावड़ा लगता है। लोग यहां शिव की भक्ति में मग्न रहते हैं। भीमाशंकर न सिर्फ तीर्थयात्रियों के लिए एक स्वर्ग है बल्कि ये प्रकृति प्रेमियों के लिए भी उद्गम स्थान है। ये स्थान सह्याद्री के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने की वजह से ट्रेकिंग के कई विकल्प भी उपलब्ध कराता है। यहाँ के आरक्षित वन क्षेत्र और वनजीवन अभ्यारण्य में कई तरह के सुंदर पक्षी पाए जाते हैं। यहाँ पर आप बड़ी भारतीय गिलहरी भी देख सकते हैं। भीमाशंकर न केवल धार्मिक लोगों में प्रसिद्द है बल्कि उन पर्यटकों के लिए भी प्रिय स्थान है ऐडवेंचर की तलाश में रहते हैं। ये प्रकृति का एक शानदार और बेहद ही आकर्षित करने वाला निवास है। जो गर्व से अपनी समृद्ध हरी विरासत को प्रदर्शित करता है।
शिव जी ने यहीं किया था कुम्भकर्ण के बेटे भीम का वध || Shivji killed Bheem son of Kumbhkaran
भगवान शिव ने भीम नामक राक्षस का वध किया था। ये बहुत बलवान राक्षस था। ये रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था। इसको ब्रह्मा ने शक्तिशाली होने का का वरदान मिला था। ब्रह्मा से वरदान पाकर भीम बहुत शक्तिशाली हो गया। कामरूप देश के राजा सुदक्षिण के साथ भीम का भयानक युद्ध हुआ। अंत में भीम ने राजा सुदक्षिण को हराकर कैद कर अपनी कैद में कर लिया था। राजा सुदक्षिण शिव के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान शिव के प्रति राजा सुदक्षिण की भक्ति देखकर भीम ने जैसे ही तलवार चलाई, उसी समय वहां भगवान शिव प्रकट हो गए। इसी बीच भगवान शिव और राक्षस भीम के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में अपनी हुंकार भरने मात्र से ही भगवान शिव ने भीम तथा अन्य राक्षसों को वहीं भस्म कर दिया। तब वहां पर स्थित सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों ने भगवान शिव से हाँथ जोड़कर प्रार्थना की कि आप इस स्थान पर सदा के लिए निवास करें। इस प्रकार सभी ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए निवास करने लगे।
भीमाशंकर के दर्शन करने मात्र से होती है स्वर्ग की प्राप्ति
भीमाशंकर प्राचीन और नई संरचनाओं से निर्मित मन्दिर है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है। उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही सभी दुःखो एवं कष्टों का निवारण हो जाता है। इस मंदिर के पीछे तो कुण्ड भी स्थित हैं।
मिलता है पापों से छुटकारा होती है मोक्ष की प्राप्ति
ये मंदिर अत्यंत प्राचीन और कलाओं से परिपूर्ण है। जो भी श्रद्धालु यहां श्रद्धा से पूजा-अर्चना करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। शिव जी अपने भक्तों को दिलाते हैं मोक्ष। भीमाशंकर के अवतार में शिव जी ने यहां बड़ी-बड़ी लीलायें की है। भीमाशंकर मंदिर पूरे देश में आस्था के एक बड़े केंद्र के रूप में जाना जाता है।किस मौसम में जाएं भीमाशंकर
यदि आपको भीमाशंकर मंदिर जाना है तो आप यहाँ अगस्त और फरवरी महीने के बीच जाएं। ये मौसम सबसे सही माना जाता है। वैसे आप गर्मियों को छोड़कर यहाँ किसी भी समय आ-जा सकते हैं। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने की भी व्यवस्था बढ़िया रहती है।
कैसे जायें भीमाशंकर || How to reach Bhimashankar
अगर आप भीमाशंकर जाने की योजना बना रहे हैं तो यहाँ रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। राज्य परिवहन की अनेक बसें तथा साथ ही साथ निजी टूर संचालकों की भी बसें हर वक़्त उपलब्ध रहती हैं। ये महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों और कस्बों से भीमाशंकर के बीच चलती हैं। रास्ते द्वारा भीमाशंकर और पुणे के बीच की दूरी लगभग 127 किलोमीटर है। वहीं मुंबई और भीमाशंकर के बीच की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। यहां आप अपने वाहन द्वारा भी आसानी से पहुंच सकते हैं।