Iran visa-free for Indians : भारतीय घुमक्कड़ी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है. ईरान ने हाल ही में भारतीय पर्यटकों के लिए वीज़ा आवश्यकताओं को समाप्त कर दिया है. 4 फरवरी, 2024 यह घोषणा की गई. यह कदम भारतीयों को हर छह महीने में 15 दिनों तक वीजा-मुक्त ईरान आराम से घूम सकते हैं. अपने बैग पैक करें और प्राचीन साम्राज्यों, शहरों और शानदार लैंडस्केप के माध्यम से एक कभी न भूलने वाली यात्रा के लिए तैयार हो जाएं. आज के आर्टिकल में आपको बताएंगे ईरान में घूमने की टॉप जगहों के बारे में.
ईरान ने कहा है कि जो देश उसके वीजा-फ्री कार्यक्रम में शामिल हैं वहां के नागरिक अपने पासपोर्ट के साथ आ सकते हैं। उन्हें छह महीने में एक बार और अधिकतम 15 दिनों के लिए बिना वीजा के आने की अनुमति होगी, 15 दिन के इस गैप को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.जिन लोगों को 15 दिन से ज्यादा समय तक रुकना है उन्हें वीजा लेकर आना होगा. बिना वीजा के आने की अनुमति सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगी जो घूमने के लिए ईरान आ रहे हों.
ईरान ने कहा है कि जो भारतीय 15 दिन से अधिक समय के लिए आना चाहते हैं या जिन्हें 6 महीने में कई बार ईरान आने की जरूरत है, उन्हें दूसरे तरह के वीजा पाने के लिए भारत स्थित ईरानी दूतावास से संपर्क करना होगा. भारतीय पर्यटक सिर्फ हवाई मार्ग से बिना वीजा के ईरान जा सकेंगे. रोड के रास्ते या पानी के रास्ते ईरान जाने के लिए भारतीय नागरिक को वीजा की जरूरत होगी.
ईरान में स्थित यज्द शहर परफेक्ट डेस्टिनेशन में से एक है. ईरान की असली खूबसूरती तो यज्द में ही बसी है. यही वजह है कि दुनियाभर से पर्यटक इसे देखने आते हैं. यज्द ईरान के इस्फहान शहर से करीब 270 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. वर्तमान में ये ईरान में 15 वां सबसे बड़ा शहर है. 2017 के बाद से, यज़्द के ऐतिहासिक शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गई है. यज्द के बीचोंबीच एक आमिर चखमक नाम का कॉम्प्लैक्स भी स्थित है. जिसकी खूबसूरती शाम होते-होते बढ़ जाती है.
यज़्द की जमीह मस्जिद भी घूमने के लिहाज से बेहद शानदार है. इसका 14वीं सदी में एक जामा मस्जिद का निर्माण किया गया था. उसकी मीनार को देश की सबसे बड़ी मीनार के रूप में माना जाता है. इसकी खूबसूरती ईरानी इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक खूबसूरत उदाहारण है.
शहर में बाग-ए-दौलत नामक एक दर्शनीय जगह भी मौजूद है. यहां 18वीं सदी में बनी इमारत पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है. यज्द शहर में खारानक नाम का एक गांव भी है. यह एक बहुत ही प्राचीन गांव है. लेकिन अब इसके केवल अवशेष ही बचे हैं. ईरान के इस ऐतिहासिक रेगिस्तानी शहर में घूमने के लिए बहुत सी प्राचीन जगह हैं. ईरान की यात्रा करने वालों को इस खूबसूरत रेगिस्तानी शहर की यात्रा जरूर करनी चाहिए.
शहर पर्सेपोलिस आधुनिक इरान के फार्स प्रान्त के शहर शिराज़ के 70 किमी पूर्वोत्तर में स्थित है. यह अपनी खूबसूरती से पर्यटकों का मन मोह लेता है. बता दें कि, पर्सेपोलिस, एक ग्रीक उपनाम जिसका अर्थ है ‘फारसियों का शहर’, फारसियों को पारसा के नाम से जाना जाता था और यह प्राचीन दुनिया का एक महत्वपूर्ण शहर था, जो अपनी स्मारकीय कला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध था. इस स्थल की खुदाई 1931 और 1939 के बीच जर्मन पुरातत्वविदों अर्न्स्ट हर्ज़फेल्ड, फ्रेडरिक क्रेफ्टर और एरिच श्मिट द्वारा की गई थी.
दुनिया में सबसे बड़े सिटी स्क्वेयर्स में से एक है, नक्श-ए जहां स्क्वेयर. ये 17वीं शताब्दी में बनी थी. ईरान में ये जगह इसफहान शहर में स्थित है. नक्श-ए जहां स्क्वेयर में बनी इमाम मस्जिद (1979 की क्रांति के बाद इसका नाम बदला गया था). इसे डिजाइन वाली सुंदर टाइल्स से बहुत ही करीने से सजाया गया है. यूनेस्को ने इसे भी विश्व धरोहर का दर्जा दिया हुआ है.
राजधानी तेहरान में बने गुलिस्तान पैलेस में शाही इमारतें बनी हैं जिनमें बहुत सुंदर कारीगरी से सजावट की गई है. इसमें 19 वीं सदी में कजर वंश का आधिकारिक निवास था. ये इमारत भी यहां देखने लायक है. यही वजह है कि दुनियाभर से लोग इसकी सुंदरता का दीदार करने यहां आते हैं. (Image- Canva)
ईरान में स्थित अर्ज-ए बाम किला अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां दुनिया में सूखी हुई ईंट का सबसे पुराना निर्माण कार्य यहां देखने को मिलता है. अर्ज-ए बाम किला प्राचीन सिल्क रोड पूर्व-पश्चिम व्यापार मार्ग में स्थित था. 2003 में जब भूकंप आया था, उस वजह से यह किला क्षतिग्रस्त हो गया था. फिलहाल इसका पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है. ये भी देखने लायक ऐतिहासिक इमारत है.
आजादी टावर ईरान के केंद्र में स्थित है. इसे मूल रूप से ईरान के आखिरी शाह मोहम्मद रेजा पहलवी ने शाही राज्य की नींव के 2,500वें वर्ष की याद में बनवाया था. 1979 की क्रांति में मोहम्मद रजा के शासन से हटने के बाद इसका नाम बदल दिया गया. लोग यहां इस्लामिक गणतंत्र का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठे होते हैं. इसके अलावा किसी बड़े नेता की मौत या विरोध में भी यहां लाखों की संख्या में लोग जमा होते हैं. कासिम सुलेमानी की मौत के विरोध में यहां ऐसा ही नजारा देखने को मिला था.
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