Lifestyle

Jain monk Acharya Vidyasagar Maharaj : जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज के बारे में संपूर्ण जानकारी

Acharya Vidyasagar Maharaj: जाने-माने जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित ‘चंद्रगिरि तीर्थ’ में ‘सल्लेखना’ करके 18 फरवरी 2024 को देह त्याग दिए. जैन समाज के लिए यह बेहद दुखद खबर है. चंद्रगिरि तीर्थ की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, ‘सल्लेखना’ जैन धर्म में एक प्रथा है, जिसमें देह त्यागने के लिए स्वेच्छा से अन्न-जल का त्याग किया जाता है. आइए इस आर्टिकल में जानते हैं जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj)  के बारे में सबकुछ…

कौन थे आचार्य विद्यासागर महाराज जी  || Who was Acharya Vidyasagar Maharaj Ji?

77 वर्षीय आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के सदलगा में मल्लापा और श्रीमंती के घर हुआ था. आचार्य विद्यासागर ने आध्यात्मिकता की ओर प्रारंभिक झुकाव प्रदर्शित किया. वह चार लड़कों में से दूसरे नंबर का था. अनंतनाथ और शांतिनाथ जी छोटे भाई-बहन हैं, जबकि महावीर अष्टगे जी सबसे बड़े हैं. 22 साल की उम्र में, उन्हें 1968 में अजमेर में आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज द्वारा दिगंबर भिक्षु के रूप में शामिल किया गया था, जो आचार्य शांतिसागरजी महाराज के वंशज थे.

उनकी माता श्रीमतीजी, पिता मल्लप्पाजी और दो बहनों ने दीक्षा प्राप्त की और आचार्य धर्मसागरजी के संघ, या भक्तों के समाज में शामिल हो गए. उनके बाद उनके भाई, अनंतनाथ जी और शांतिनाथ जी, महावीर अष्टगे जी थे, जिन्हें आचार्य विद्यासागरजी महाराज द्वारा क्रमशः मुनि योगसागरजी महाराज और मुनि समयसागरजी महाराज, मुनि उत्कर्ष सागरजी महाराज के रूप में दीक्षा दी गई थी.

विवाह के बाद उनके बड़े भाई महावीर अष्टगे जी ने पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया. ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रति उनकी प्यास ने उन्हें 22 साल की उम्र में जैन मठवाद का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया. आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज के मार्गदर्शन में, उन्होंने दिगंबर साधु का व्रत लिया और आत्म-खोज और ज्ञान की यात्रा पर निकल पड़े.

Who is the guru of Nirankaris : जानें निरंकारियों के गुरू कौन हैं

1972 में आचार्य विद्यासागर महाराज के आचार्य के प्रतिष्ठित पद पर आरोहण ने एक आध्यात्मिक प्रकाशक के रूप में उनके शानदार कार्यकाल की शुरुआत की. अपने पूरे जीवन भर, वह जैन धर्मग्रंथों के अध्ययन और व्याख्या में गहराई से डूबे रहे, और अपनी गहन अंतर्दृष्टि और विद्वता से आध्यात्मिक परिदृश्य को समृद्ध किया.

संस्कृत, प्राकृत और अन्य भाषाओं पर उनकी पकड़ ने उन्हें जैन दर्शन की गहराई में जाने और इसकी शिक्षाओं को दूर-दूर तक फैलाने में सक्षम बनाया.

22 की उम्र में दीक्षा और 26 में बने आचार्य || Initiated at the age of 22 and became Acharya at 26

10 अक्‍टूबर 1946, शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा गांव में एक जैन परिवार में जन्‍मे बालक विद्याधर की बचपन से ही धर्म में गहरी रुचि थी. जिस घर में उनका जन्‍म हुआ था, अब वहां एक मंदिर और संग्रहालय है. 4 बेटों में दूसरे नंबर के बेटे विद्याधर ने कम उम्र में ही घर का त्‍याग कर दिया. 1968 में 22 साल की उम्र में अजमेर में आचार्य शांतिसागर से जैन मुनि के रूप में दीक्षा ले ली. इसके बाद 1972 में महज 26 साल की उम्र में उन्‍हें आचार्य पद सौंपा गया.

आचार्य विद्यासागर महाराज एक लेखक भी थे || Acharya Vidyasagar Maharaj was also a writer

अपनी विद्वतापूर्ण गतिविधियों के अलावा, आचार्य विद्यासागर महाराज एक विपुल लेखक थे, जिन्होंने कई व्यावहारिक टिप्पणियाँ, कविताएँ और आध्यात्मिक ग्रंथ लिखे। निरंजना शतक, भावना शतक, परीष जया शतक, सुनीति शतक और श्रमण शतक सहित उनकी रचनाएँ, आध्यात्मिक जागृति के मार्ग पर मार्गदर्शक के रूप में काम करते हुए, अनुयायियों की पीढ़ियों को प्रेरित और प्रबुद्ध करती रहती हैं.

जैन साहित्य में अपने योगदान के अलावा, आचार्य विद्यासागर महाराज एक दयालु मानवतावादी थे, जो मानव पीड़ा को कम करने और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न पहलों में सक्रिय रूप से लगे हुए थे. उन्होंने सार्थक जीवन जीने में करुणा और सेवा के महत्व पर जोर देते हुए गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों का समर्थन किया.

प्रसिद्ध जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने रविवार, 18 फरवरी को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि तीर्थ में ‘सल्लेखना’ करने के बाद अंतिम सांस ली, जो एक जैन धार्मिक प्रथा है जिसमें आध्यात्मिक शुद्धि के लिए स्वैच्छिक आमरण उपवास शामिल है.

Jagadguru Shri Rambhadracharya : कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य और कैसी है चित्रकूट में बनी उनकी दिव्यांग यूनिवर्सिटी

आचार्य विद्यासागर को इन भाषाओं भी था ज्ञान || Acharya Vidyasagar had knowledge of these languages also

आचार्य विद्यासागर संस्कृत, प्राकृत सहित विभिन्न आधुनिक भाषाओं जैसे हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में विशेषज्ञ स्तर का ज्ञान रखते थे. उन्होंने हिन्दी और संस्कृत के विशाल मात्रा में रचनाएं भी की हैं. सौ से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है. उनके कार्य में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं. उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की है. विभिन्न संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है. आचार्य विद्यासागर कई धार्मिक कार्यों में प्रेरणास्रोत रहे हैं.

आचार्य विद्यासागर ब्रह्मांड के देवता’ के रूप में सम्मानित || Acharya Vidyasagar honored as ‘God of the Universe’

जैन समुदाय में उनके कुछ व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त कार्यों में निरंजन शतक, भावना शतक, परीष जया शतक, सुनीति शतक और श्रमण शतक शामिल हैं. उन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने और किसी भी राज्य में न्याय प्रणाली को उसकी आधिकारिक भाषा में बनाने के अभियान का भी नेतृत्व किया था. 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में ‘ब्रह्मांड के देवता’ के रूप में सम्मानित किया गया था.
पीएम मोदी ने भी दी श्रद्धांजलि

देश के प्रधानमंत्री मोदी ने भी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को श्रद्धांजलि दी. उन्हें कहा – ‘मेरी प्रार्थनाएं उनके अनगिनत भक्तों के साथ हैं, आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी’.

कई प्रधानमंत्रियों ने किए दर्शन || Many Prime Ministers visited

जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए कई प्रधानमंत्री पहुंचे. इसमें 1999 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा पीएम मोदी भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार आचार्य श्री के दर्शन कर चुके हैं. नवंबर 2023 में भी पीएम मोदी ने डोंगरगढ़ जाकर आचार्य श्री के दर्शन कर आशीर्वाद लिया था.

 

Recent Posts

Bandipore Travel Blog : जानें, जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर जिले के बारे में सबकुछ

Bandipore Travel Blog :  बांदीपुर जिला (जिसे बांदीपुरा या बांदीपुर भी कहा जाता है) कश्मीर… Read More

5 hours ago

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग में घूमने की ये 19 जगहें हैं बहुत फेमस

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सबसे खूबसूरत… Read More

23 hours ago

Chhath Puja 2024 Day 3 : जानें, सूर्यास्त का समय, पूजा अनुष्ठान, महत्व और अधिक

Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More

1 day ago

High Uric Acid Control : हाई यूरिक एसिड से हैं परेशान, सुबह खाली पेट खाएं ये सफ़ेद चीज़

High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More

2 days ago

Kharna puja 2024 : इस चीज के बिना अधूरी है खरना पूजा, जानिए 36 घंटे के निर्जला व्रत की विधि

 Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More

2 days ago

Chhath Puja 2024 : 36 घंटे के व्रत के दौरान इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें

Chhath Puja 2024 :  महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More

2 days ago