Moon Have Craters : चंद्रयान 3 ने 5 अगस्त 2023 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर एक मील का पत्थर पार कर लिया है. अगले दिन इस पर लगा कैमरा एक्टिव हुआ और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसकी तस्वीरें जारी कीं. इन तस्वीरों में चंद्रमा की सतह पर कई गड्ढे दिखाई दे रहे हैं.
चंद्रमा पर 14 लाख क्रेटर हैं. इसमें से 9137 से ज्यादा क्रेटर की पहचान की जा चुकी है. 1675 क्रेटर की आयु भी ज्ञात है. लेकिन ऐसे कई क्रेटर हैं, जिन्हें अभी तक इंसान ने नहीं देखा है. क्योंकि अंधेरे में इन गड्ढों को देखना आसान नहीं है. चंद्रमा की सतह पर मौजूद ये क्रेटर सिर्फ इम्पैक्ट क्रेटर नहीं हैं. कुछ क्रेटर लाखों वर्ष पहले ज्वालामुखी विस्फोट से भी बने हैं.
40 किलो पत्थर से बनाया गया 290 किमी बड़ा गड्ढा || 290 km big pit made of 40 kg stone
चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा 17 मार्च 2013 को नासा द्वारा देखा गया था. जब 40 किलो वजनी एक पत्थर 90 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चंद्रमा की सतह से टकराया. इस टक्कर के बाद जो गड्ढा बना वह काफी घना है. इस गड्ढे को आप जमीन से भी देख सकते हैं. अगर आप दूरबीन से देखेंगे तो आपको ये अद्भुत तस्वीर दिखेगी.
इसलिए चंद्रमा पर हजारों वर्षों तक क्रेटर बने रहते हैं || That’s why craters remain on the Moon for thousands of years
बता दें कि चांद के पास अपनी रोशनी तक नहीं है, वह सूरज से रोशनी उधार लेकर जगमगाता रहता है. पृथ्वी और चांद की यात्रा लगभग एकसाथ शुरू हुई. तकरीबन 450 करोड़ साल पहले यात्रा शुरू करने के बाद आज तक दोनों पर लगातार अंतरिक्ष से आने वाले पत्थर, उल्कापिंड गिरते रहे हैं.
इन्हीं पत्थर और उल्कापिंड के कारण यहां गड्ढे बने हैं और बन रहे हैं. इन्हें दूसरे शब्दों में इम्पैक्ट क्रेटर भी कहा जाता है. पृथ्वी पर अभी तक ऐसे 180 इम्पैक्ट क्रेटर की खोज की जा चुकी है. चांद पर करीब 14 लाख गड्ढे हैं.
इनमें से 9137 से ज्यादा क्रेटर की पहचान की गई है. मजेदार बात यह है कि 1675 की तो उम्र का भी पता लगाया जा चुका है. एक दिलचस्प बात और है, इसके अलावा भी चांद पर गड्ढे हैं जिसे इंसान अभी तक देख नहीं पाए है. इसका कारण उस हिस्से पर पसरा अंधेरा है.
चांद की सतह पर मौजूद गड्ढे सिर्फ इम्पैक्ट क्रेटर ही नहीं है. कुछ गड्ढे ज्वालामुखी विस्फोट से भी बने हैं. यह करोड़ो साल पहले की बात है. अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी NASA ने चांद पर सबसे बड़े गड्ढा का पता 17 मार्च 2013 को लगाया था. जब एक 40 किलोग्राम का पत्थर चांद की सतह से 90 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से टकराया था.
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