फेसबुक और ट्विटर की हर क्षण बदलती दुनिया में एक कबीला ( Tribals in India ) ऐसा भी है जो आज भी अपनी पुरानी परंपराओं से बंधा हुआ है. आप शायद यकीन न करें लेकिन इस कबीले ( Tribals in India ) में पत्नियां बदली जाती हैं और यह कबीला (Tribe) कहीं सुदूर जंगलों में या सात समंदर पार नहीं बल्कि हमारे भारत देश में ही मौजूद है. इस कबीले (Tribe) को हिमालय के आर्यन कहा जाता है. ये पुरातन आर्यन कबीले ( Tribals in India ) की आखिरी नस्ल कही जाती है. ये कबीला ( Tribals in India ) न सिर्फ परंपरागत रूप से पत्नियों को आपस में बदलने की प्रथा का निर्वहन कर रहा है बल्कि प्रेम को सार्वजनिक रूप से सेलिब्रेट भी कर रहा है.
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भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में सिंधु नदी से लगे एक गांव में ड्रोकपा लोग रहते हैं. ड्रोकपा का सीधा मतलब आर्यन से है या सफेद चमड़ी वाले लद्दाखियों से. इनकी तस्वीर लेकर आने वाले फोटोग्राफर अमन छोटानी के मुताबिक ये कबीला ( Tribals in India ) खुद को सिकंदर यानी एलेक्सेंडर की सेना का वंशज बताता है. आज यह 3 हजार या इससे कुछ ज्यादा की आबादी में भारत के इस प्रांत में मौजूद हैं.
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अमन छोटानी अपनी किताब पर काम कर रहे हैं. वह ‘द लास्ट अवतार’ नाम की किताब लिख रहे हैं जिसमें वह भारत के उन कबीलों ( Tribals in India ) का वर्णन कर रहे हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. उन्होंने इस कबीले (Tribe) की जो तस्वीरें ली हैं वो काफी हैरान कर देने वाली हैं. इसमें महिलाएं परंपरागत कपड़ों में दिखाई दे रही हैं.
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छोटानी ने अंग्रेजी वेबसाइट डेली मेल को बताया कि ड्रोकपा कबीला ( Tribals in India ) आज भी स्वास्तिक सिंबल को इस्तेमाल करता है जो संस्कृत का पुराना प्रतीक है और जिसे जर्मनी की नाजी सेना ने गलत तरीके से पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. उन्होंने कहा कि फैशन इस कबीले ( Tribals in India ) में काफी सीरियस इश्यू माना जाता है. लोग इसे लेकर सजग रहते हैं.
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अमन छोटानी ने परंपरागत कपड़े पहने महिलाओं की तस्वीरें ली हैं जिसमें उनके गहने भी साफ देखे जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि महिलाएं ये फैशन अपोजिट सेक्स को अट्रैक्ट करने के लिए करती हैं. ऐसा कर वे खुद को नजर में लाने की कोशिश करती हैं. हालांकि ये लोग आम समाज के नियम का पालन नहीं करते हैं.
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प्रेम के सार्वजनिक दिखावे पर ये कबीला ( Tribals in India ) यकीन रखता है. प्रशासन ने हालांकि वाइफ स्वैपिंग और सार्वजनिक प्रेम प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि इसे सभ्य समाज का बर्ताव नहीं माना गया था लेकिन इस वजह से ड्रोकपा कबीले (Tribe) ने बाहरी लोगों के सामने अपने इस नियम को करना बंद कर दिया. ड्रोकपा आसान और उनमुक्त जीवन जीते हैं और इनमें से ज्यादातर किसान हैं.
जिंदगी जीने के लिए इनमें से ज्यादातर किसान के रूप में कार्य करते हैं और फल-सब्जियां उगाते हैं. ये उनके हरे-भरे खेतों की शान रहती है. ऐसा कर ये खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. ड्रोकपा लोग अपनी पैदावार को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं.
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ड्रोकपा लोगों के बारे में कहा जाता है कि ये सिकंदर की आखिरी बची सेना के वंशज हैं. जो स्वास्तिक के सिंबल ये इस्तेमाल करते हैं उनका फायदा हिटलर ने उठाया और इस निशान को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके पीछे जो तथ्य है वो ये की जर्मन इंडो-आर्यन को ही अपना पूर्वज मानते थे.
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