Egypt Travel Blog : ये मंदिर जैसा दिखेगा लेकिन इसे मंदिर मत समझ बैठना
Egypt Travel Blog : मिस्र अपने आप में ही किसी पहेली से कम नहीं है और ये विश्व के एक शानदार इतिहास को दिखाता है। ये उन लोगों के लिए एक स्वर्ग से कम नहीं है जो जादुई अतीत को खोजने की कोशिश कर रहे हैं। गीजा के पिरामिड से लेकर मिस्र के भगवानों तक ये जगह निश्चित रूप से हैरान करने वाला देश है। इसके अतीत को हम जितना जानते हैं ये असल में उससे बहुत ज्यादा है। मिस्र में ऐसी कई रहस्यमय जगह है जिसके राज से पर्दा उठना चाहिए और उन्हीं में से काहिरा में हॉन्टेड हिंदू मंदिर-महल है।
जैसे ही आप काहिरा को पार करते हैं आपको ‘ले पलास हिंडौ’ की भव्य भारतीय वास्तुकला से हैरानी हो जाएगी। ये जगह ज्यादातर अपने स्थानीय नामों से जाना जाता है; ‘कसर-ए-बैरन’ या ‘बैरन का महल’। ये जगह रहस्यमय घटनाओं के लिए काफी ज्यादा बदनाम है। इस महल को साल 1950 से छोड़ दिया गया था।
काहिरा में इस वास्तुकला की विरासत कभी बेल्जियम के करोड़पति उद्योगपति और मिस्र के वैज्ञानिक बैरन एम्पैन के हाथों में थी। ये जगह अपने मुख्य दिनों में इस स्थान का दिल माना जाता था। बैरन खुद के लिए और भी ज्यादा पैसे का निर्माण करने के लिए मिस्र में आए थे। ये महल सिर्फ अपने मालिक के साम्राज्य के निर्माण करने के जुनून का प्रतिनिधित्व करता था।
एम्पैन न तो सिर्फ इस नील की महान जमीन को चाहता था बल्कि वो भारतीय वास्तुकला से भी काफी ज्यादा उत्साहित होता था और उसका भी बहुत बड़ा प्रशंसक रहा था। साल 1907 में, उन्होंने सबसे अच्छे हिंदू मंदिरों की कॉपी बनाने के लिए विश्व प्रसिद्ध फ्रांस के वास्तुकार अलेक्जेंड्रे मार्सेल को चुना था। मार्सेल ने अंगकोरवाट के प्रसिद्ध मंदिर और ओडिशा के कई खूबसूरत मंदिरों से अपनी प्रेरणा ली थी।
इसे बनने में लगभग 4 साल का वक्त लगा था और ये साल 1907-1911 के बीच में पूरी तरह से बना था। इस जगह को सर्वश्रेष्ठ कंक्रीट वास्तुकला में से एक के रूप में माना जाता था। 2 मंजिलों तक फैले इस मंदिर-महल में भव्य सीढ़ियां, लिविंग रूम, एक पुस्तकालय और बेडरूम थे। ये पूरा महल हिंदू-पौराणिक कथाओं के दृश्यों से भरा हुआ था। इसका मुख्य टावर एक मंदिर ‘शिकारा’ के रूप में बनाया गया था और इसे इस तरह से बनाया गया कि इन कमरों में सीधे रूप से धूप पहुंचे और इसे सुनिश्चित करने के लिए ये 360 डिग्री घूम सकते हैं।
इसका अपना एक काला सच भी था। जब भी एम्पैन परिवार की पीढ़ियां इस महल में रहती थीं, तो ये सामने आने लगा था। अगर मिस्र के आसपास की कहानियों पर विश्वास करें तो बैरन की बहन हेलेना इस महल की परिक्रामी टावर की बालकनी से गिर गई थी और उसकी रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
वहीं दिमाग की बिमारियों से पीड़ित एम्पैन की बेटी मरियम भी कुछ सालों के बाद इस महल की लिफ्ट में मृत पाई गई थी। साल 1929 में बैरन की खुद मौत हो गई थी और परिवार की इन घटनाओं के बाद भी उसके बच्चे और पोते-पोतियां यहां पर रहकर मनोरंजन करते रहे और उसकी विरासत को जारी रखे रहे.
एम्पैन का परिवार साल 1952 में फिर लंदन चला गया था, जब ‘गमाल अब्देल नासर’ की अगुवाई में मिस्र के क्रांतिकारियों ने राजा फारुक को उखाड़ फेंका था। इस महल को साल 1957 में सऊदी निवेशकों को बेच दिया गया था और फिर इस महल को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद इस जगह की रौनक जो कभी संगीत और हँसी के साथ जीवित थी वो ऐसे ही मरती गई।
वैंडल के लिए इस बंद महल के नीच लूट करना पहली पसंद बन गया। हालांकि साल 1990 के दशक के वक्त महल में होने वाली गतिविधियों की कुछ कहानियां वायरल हो गईं थी और स्थानीय वैंडल ने दावा किया कि महल में पूरे दिन खून बहा था जो कि फर्श और शीशे पर था। ये नजारे कुछ ज्यादा ही रहस्यमय और खून से लथपथ थे जो कि डरावने लगने लगे थे और उसके बाद ये महल सुनसान हो गया था.
गौरतलब है कि साल 1990 के दशक में इस महल को एक शाही होटल और कैसीनो में बदलने का प्रस्ताव दिया गया था। वहीं साल 2005 में भारतीय दूतावास ने इसे एक पूर्ण सांस्कृतिक केंद्र में बदलने का प्रस्ताव भी सामने रखा था। लेकिन हर योजना विफल रही और इसे मिस्र सरकार ने अधिग्रहित कर लिया था। आखिरकार इसका दोबारा से 2017 में काम शुरु हुआ और अब ये एक शानदार इमारत में तब्दील हो गया है जिसके भविष्य में सुनहरे होने की उम्मीद की जा रही है