Shahi Bridge Jaunpur: जानें, जौनपुर के शाही पुल (Shahi Pul) का इतिहास
Shahi Bridge Jaunpur: जौनपुर के शाही पु को अकबरी पुल या मुनीम खान पुल या मुगल पुल के रूप में भी जाना जाता है. इस पुल का निर्माण मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान जौनपुर के गवर्नर मुनीम खान ने सम्राट की आज्ञा को पूरा करने के लिए किया था.
जौनपुर इतिहास में शाही पुल का महत्व || Shahi Bridge Jaunpur history
प्राचीन शहर जौनपुर में पाया जाने वाला सबसे प्रमुख और उल्लेखनीय मुगल ढांचा, 654 फीट लंबा और 26 फीट चौड़ा पुल गोमती नदी पर बनाया गया, जिसके निर्माण को पूरा होने में चार साल लगे. 1934 में आए भूकंप ने पुल को काफी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन बाद में इसे फिर से पुराना रूप दे दिया गया. पुल पुरातत्व निदेशालय, यूपी की सुरक्षा और संरक्षण में है.
जौनपुर वास्तुकला में शाही पुल || Shahi Bridge in jaunpur Architecture
पुल का डिजाइन अफगानिस्तान के एक वास्तुकार अफजल अली द्वारा तैयार किया गया था. पुल को शुरू में 10 रूप में डिजाइन किया गया था जो कि आर्च के आकार के होते हैं. जिसमें अतिरिक्त 5 धनुषाकार डिजाइन थे जो चैनल को कवर करने के लिए बनाए गए थे.
पुल अब सार्वजनिक सड़क के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके दोनों ओर छतरियां भी हैं. टूरिस्ट नीचे बहने वाली गोमती नदी को निहारने के लिए वहां रुकते हैं. इन छतरियों का निर्माण गवर्नर मुनीम खान ने करवाया था.
पुल पर स्तंभों को भी बनाया गया था, ये वास्तुकला को दिखाने के अद्भुत नमूने थे. खंभों का चौड़ा हिस्सा पुल को सहारा देता, जबकि खंभों का संकरा हिस्सा छतरियों को .
अन्य संरचनाएं|| Other structures
नवनिर्मित पुल के उत्तर में एक हम्माम (सार्वजनिक स्नानघर) था, जिसे अंततः बंद कर दिया गया था. पुल के दक्षिणी छोर पर हाथी पर चढ़ने वाले शेर की एक मूर्ति है, जिसे बौद्ध धर्म के पतन का प्रतिनिधित्व कहा जाता है.
शाही पुल की सुंदरता और वास्तुकला से बहुत प्रभावित हुए सर रुडयार्ड किपलिंग ने सुंदर निर्माण का सम्मान करने के लिए एक कविता भी लिखी.