संध्या मारावी (फोटो- सोशल मीडिया)
अगर आप नारी शक्ति का सबसे ताजा उदाहरण देखना चाहते हैं तो आपको मध्य प्रदेश के कटनी रेलने स्टेशन आना होगा. हम में से ज्यादातर लोग पुरुषों को ही कुली के रूप में कार्य करते देख बड़े हुए हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में कटनी रेलवे स्टेशन पर एक महिला भी ये काम कर रही है. बताया जा रहा है कि संध्या मारावी (Sandhya Marawi) देश की पहली महिला कुली हैं. अगर आप संध्या को भारी भरकम सामान उठाए देखें तो हैरान कतई मत होइएगा.
संध्या मारावी (Sandhya Marawi) 30 साल की हैं और देश की पहली महिला कुली हैं. संध्या ने कुली बनकर सचमुच धारणाओं को तोड़ने का काम किया है. संध्या हर रोज सैंकड़ों मुसाफिरों की उनकी यात्रा को कामयाब बनाने में मदद करती हैं. सैंकड़ों मुसाफिरों के सफर को पूरा करने में मदद करने वाली संध्या खुद कैसे सफर करती हैं, ये जानना बेहद जरूरी है.
अगर आप कटनी रेलवे स्टेशन पर हैं तो अपनी नजरें दौड़ाइए. लाल कुर्ते में दौड़ती भागतीं संध्या आपको कहीं नजर आएंगी. संध्या का बैच नंबर 36 है. अपने 3 बच्चों की परवरिश वह इसी नौकरी से करती हैं. संध्या के पति का पिछले साल 2017 के अक्टूबर महीने में निधन हो गया था. पति की मौत के बाद संध्या के सामने रोजीरोटी की मुश्किल खड़ी हुई. संध्या ने मुकद्दर के आगे घुटने नहीं टेके बल्कि कुली की नौकरी शुरू की. इस नौकरी से आज वह अपने तीन बच्चों और एक बूढ़ी सास की देखरेख कर पा रही हैं. घर में वह एकमात्र नौकरीपेशा हैं.
संध्या ने डेली भास्कर से खास बातचीत में बताया था कि लंबी बीमारी के बाद उनके पति की मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद 3 बच्चों की परवरिश और बूढ़ी सास की देखरेख का संकट उनके सामने खड़ा हो गया था. वह अपने बच्चों को किसी तकलीफ में नहीं डालना चाहती थीं. संध्या ने कई लोगों से संपर्क किया जिसके बाद कुछ लोगों ने उन्हें कटनी स्टेशन पर कुली की नौकरी के बारे में बताया.
संध्या ने साल 2018 के जनवरी महीने से ये नौकरी शुरू की है. इस नौकरी के लिए वह हर रोज अपने घर से कटनी स्टेशन तक की 45 किलोमीटर तक की यात्रा करती हैं. वह स्टेशन पर 45 पुरुष कुलियों के बीच अकेली महिला हैं. एक कर्मठ महिला संध्या वजन को सिर और कंधे पर रखती हैं और परिवार की दाल रोटी के लिए जीतोड़ मेहनत हर रोज करती हैं.
कटनी रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में है. संध्या का ये गांव कटनी स्टेशन से ढाई सौ किलोमीटर दूर है. संध्या ने रेलवे के अधिकारियों से अनुरोध किया है कि उनका ट्रांसफर कटनी से जबलपुर स्टेशन कर दिया जाए. हालांकि अभी तक इस बारे में उन्हें अधिकारियों से किसी तरह की सूचना प्राप्त नहीं हुई है.
संध्या के 3 बच्चे है जिसमें 2 बेटे और 1 बेटी है. बेटे साहिल की उम्र 8 साल है जबकि हर्षित 6 साल का है और बेटी पायल 4 साल की है. संध्या चाहती हैं कि उनके बच्चे अच्छी पढ़ाई करें और उन्हें जिंदगी में ऐसी मुश्किल न झेलनी पड़े. ट्रैवल जुनून संध्या के जुनून को सलाम करता है.
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