Air Travel Facts : हम जब भी फ्लाइट से ट्रेवल ( Flight Travel ) करते हैं तो हमें उड़ान भरने से पहले कई तरह के इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं
Air Travel Facts : हम जब भी फ्लाइट से ट्रेवल ( Flight Travel ) करते हैं तो हमें उड़ान भरने से पहले कई तरह के इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं। साथ ही इमरजेंसी के दौरान हमें क्या करना चाहिए वो भी बताया जाता है। ऐसा सब हमें हमारी सावधानी को ध्यान में रखते हुए बताया जाता है । लेकिन इन सब के बावजूद भी ऐसी बहुत सारी बातें ( Air Travel Facts ) हैं जो Pilot अपने Passengers को नहीं बताते हैं।
जी हां, Passengers बहुत सारी बातों से बेखबर रहते हैं क्योंकि उन्हें वो बातें बताई ही नहीं जाती। अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसी कौन सी बातें हैं जो आपसे छुपाई जाती हैं तो आपको पूरी खबर पड़ने की जरूरत है। क्योंकि हमने अपनी स्टोरी में वो सारी बातें ( Air Travel Facts ) शेयर की हैं जो आपको फ्लाइट में बैठने से पहले ही जान लेनी चाहिए।
लेकिन उससे भी पहले हमें ये जानने की जरूरत है कि उड़ान भरने से पहले ही हमारे फोन क्यों बंद करा दिए जाता है। अगर आपको भी इस सवाल का जवाब नहीं पता तो हम आपको बताते हैं कि फोन क्यों स्विच ऑफ करा दिए जाते हैं।
दरअसल, प्लेन में पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए और ग्राउंड कंट्रोल करने के लिए रेडियो का इस्तेमाल करता है। यहां रेडियो सिगन्ल्स का कई तरह से यूज होता है। ग्राउंड कंट्रोल के साथ-साथ रडार यूनिट से वेदर कंडीशन और लोकेशन की जानकारी ली जाती है।
इन्हीं वजहों से फोन बंद करा दिया जाता है क्योंकि अगर कोई अपना मोबाइल ऑन रखता है तो तो इसकी फ्रीक्वेंसी और रेडियो फ्रीक्वेंसी के ओवरलैप होने की आशंका बनी रहती है। जिसकी वजह से प्लेन से रिसीव और भेजी जाने वाली इन्फॉर्मेशन में कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है।
इस सवाल का जवाब है नहीं। क्योंकि इंजन खराब होने की खबर पैसेंजर के पास पहुंचती ही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि कमर्शियल प्लेन का एक इंजन खराब होने के बाद भी प्लेन आसानी से और आराम से उड़ सकता है। इन्हीं वजहों के कारण पायलट आपको कभी भी नहीं बताता कि विमान का एक इंजन खराब हो गया है।
कभी-कभी प्लेन में अचानक से लोगों को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। ऐसे हालात में पायलट के पास सिर्फ 15 मिनट का ही वक्त होता है कि वो प्लेन को ऐसी जगह पर पहुंचाए जहां लोगों को सांस लेने में दिक्कत न हो। पायलट के पास सिर्फ 15 मिनट का ही वक्त ही इसलिए होता है क्योंकि प्लेन में जो मास्क उपस्थित होतें हैं उसमें सिर्फ 15 मिनट तक का ही ऑक्सीजन मौजूद होता है।
बाहर भले ही बेहद खराब मौसम हो गया हो लेकिन पायलट कभी भी इस बात की जानकारी पैसेंजर्स तक नहीं पहुंचने देता। ऐसा करने के पीछे की वजह सिर्फ यहीं होती है कि पैसेंजर्स ऐसा सुनकर घबरा न जाएं।
नहीं, दरअसल रनवे पर भी हमें कभी-कभी उतना ही खतरा रहता है जितना की टेक ऑफ और लैंडिंग के समय रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर रेडियो सिग्नल में जरा सी भी गड़बड़ हो जाए तो लैंडिंग के बाद या टेकऑफ के पहले भी लोगों की जान को खतरा हो सकता है।
हां, हवाई सफर के दौरान लोगों का स्वाद बदल जाता है। इसी वजह से एयरलाइंस में जो खाना पैसेंजर्स को दिया जाता है उसमें नमक का स्वाद बढ़ा दिया जाता है। लेकिन हवा में ज्यादा दवाब होने के कारण हमें इसका स्वाद बिलकुळ भी पता नहीं चल पाता है।
प्लेन में यदि पानी की बॉटल दी जाती है तो वह ठीक है लेकिन नल का पानी आपको दिया जाता है वह पानी दूषित हो सकता है. अधिकतर प्लेन में बाथरूम और पानी का पाइप काफी नजदीक होता है। जिस वजह से पानी के दूषित होने की उम्मीद ज्यादा बढ़ जाती है। तो ऐसे में आप अपने पीने का पानी का खास ख्याल रखें। वरना आप कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
पायलट को हमेशा पैसेंजर्स से बिलकुल अलग खाना दिया जाता है। साथ ही पायलट को खाना देने से पहले उसे कई बार टेस्ट भी किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि किसी भी कंडिशन में पायलट बीमार न पड़े क्योंकि उसके ऊपर प्लेन में बैठे यात्रियों की जिम्मेदारी होती है।
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