OYMYAKON Village : धरती का सबसे ठंडा गांव, जहां कुछ सेकेंड्स में आंखें भी बन जाती हैं बर्फ!
OYMYAKON Village : भारत में सर्दी के मौसम में ( Winter Season in India ) आपको सबसे ज्यादा पीड़ा कब हुई थी? शायद जब टेंपरेचर 4 डिग्री पहुंच गया होगा. भारत के उत्तरी हिस्से में सर्दी के मौसम में ( Winter Season in India ) टेंपरेचर न्यूनतम इसी के आसपास रहता है.
अगर हम कश्मीर, करगिल या सियाचिन की बात न कर रहे हों तो. ये तो रही भारत की बात लेकिन दुनिया में एक ऐसा गांव है, जिसे धरती के सबसे ठंडे गांव के रूप में जाना जाता है. धरती के इस सबसे ठंडे गांव ( OYMYAKON Village ) का टेंपरेचर जनवरी महीने में – 50 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है. यहां के निवासी इस दौरान अगर घर से बाहर निकलते हैं तो कुछ ही पल में उनकी आंखों की भौहें भी बर्फ में समा जाती हैं.
साइबेरिया का सुदूर ओइमाकॉन गांव ( OYMYAKON Village ) सबसे सर्द जगह हैं जहां मनुष्यों की बसावट है. रूस के इस गांव में हाल में तब चौंकाने वाली स्थिति पैदा हो गई जब एक नए इलेक्ट्रॉनिक थर्मामीटर ने हाड़ गला देने वाले माइनस 62 डिग्री के तापमान को रिकॉर्ड किया और फिर काम ही करना बंद कर दिया. सर्दी का सितम सबसे अधिक झेलने वाले इस गांव ( OYMYAKON Village ) के आधिकारिक मौसम केंद्र में माइनस 59 डिग्री सेल्सियम का टेंपरेचर रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन स्थानीय लोग कहते हैं कि उन्होंने अपने घरों के रीडिंग्स में माइनस 67 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर देखा था. माइनस 67 डिग्री का ये टेंपरेचर उस स्वीकार्य तापमान से सिर्फ 1 डिग्री सेल्सियस कम है जो दुनिया में किसी भी जगह पर मनुष्यों के जीवित रहने के लिए स्वीकार्य है.
इस कस्बे में 67 से अधिक तापमान 1933 में रिकॉर्ड किया गया था. इस गांव के एक शख्स ने माइनस 67 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर रिकॉर्ड किया था जबकि गांव ( OYMYAKON Village ) के ही कई लोग मान रहे हैं कि माइनस 59 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर का सरकारी आंकड़ा पूरी कहानी नहीं कह रहा है. गांव ( OYMYAKON Village ) में डिजिटल थर्मामीटर पिछले साल ही इंस्टॉल किया गया था लेकिन माइनस 62 डिग्री पर जाकर उसने जवाब दे दिया. साइबेरियन टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि थर्मामीटर इसलिए टूट गया क्योंकि वह हद से ज्यादा ठंडा हो चुका था.
इस गांव में करीब 500 लोग रहते हैं. 1920 और 1930 के दशक में यह गांव ( OYMYAKON Village ) हिरन के चरवाहों की शरणस्थली के रूप में भी चर्चित रहा है, जो यहां से पानी (बर्फ) ले जाया करते थे. यहीं से गांव का नाम ओइमाकॉन ( OYMYAKON Village ) पड़ा जिसका अनुवाद ‘पानी जो कभी जमता नहीं है’ के रूप में होता है. सोवियत सरकार ने बाद में इस स्थल को परमानेंट सेटलमेंट के रूप में बनाया. सरकार की कोशिश खानाबदोश आबादी को जड़ों से जोड़े रखने की थी..
1933 में, यहां माइनस 67.7 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर रिकॉर्ड किया गया. ये उत्तरी ध्रुव पर रिकॉर्ड किया गया सबसे न्यूनतम तापमान था. सबसे न्यूनतम तापमान अंटार्टिका में रिकॉर्ड किया जा चुका है लेकिन वहां किसी तरह की स्थानीय आबादी नहीं है.
अब जब सर्दी का हाड़ तोड़ सितम गांव पर है तो समस्याएं भी निश्चित ही होंगी. रोजमर्रा की समस्याओं में यहां के लोग पेन की इंक जम जाना, बैटरी का काम करना बंद कर देना और चश्मों का चेहरों पर चिपक जाना झेलते हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि वह इस डर से कहीं कार फिर रीस्टार्ट ही न हो, उसे दिन भर स्टार्ट करके रखते हैं.
चट्टानी जमीन में सबसे मुश्किल किसी को दफन करना होता है. मृतक के अंतिम संस्कार के लिए घंटो पहले जमीन को पिघलाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. इसके लिए घंटो पहले बॉर्नफायर जलाया जाता है. गर्म गर्म कोयला उसमें डाला जाता है और कुछ ही इंच दूरी पर धरती में एक सुराग किया जाता है. इस प्रक्रिया को कई दिन तक दोहराया जाता है. ऐसा तब तक किया जाता है जब तक ये सुराग किसी कॉफिन को दफनाने लायक नहीं बन जाता है.