Jaswant Thada – जसवंत थड़ा को मारवाड़ का ताजमहल कहा जाता है. जसवंत थडा का निर्माण महाराज जसवंत सिंह द्वतीय की स्मृति में उनके बेटे महाराज सरदार सिंह जी ने 1906 में कराया था. मेहरानगढ़ किले से बाहर निकलने के बाद पैदल चलते हुए आप जसवंत थड़ा पहुंच सकते हैं. किले के प्रवेश द्वार से इसकी दूरी कोई एक किलोमीटर है. Jaswant Thada को जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिए खास तौर पर बनाया गया है. इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार मंडोर में हुआ करता था. इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएं भी दीवारों में लगी है जिनमे सूर्य की किरणे आर-पार हो जाती हैं. यह भवन लाल घोटू पत्थर के चबूतरे पर बनाया गया है.
स्मारक के सामने बना बगीचा और फव्वारा बहुत ही मनोरम लगता है. इस स्मारक के निर्माण के लिए जोधपुर से 250 किलोमीटर दूर मकराना से संगमरमर के पत्थर लाए गए थे. बुद्धमल और रहीमबख्श सके आर्किटेक्ट थे. इसका नक्शा मंशी सुखलाल कायस्थ ने बनाया था.
तब इस स्मारक को बनाने में दो लाख 84 हजार 678 रुपये का खर्च आया था. ताजमहल की तरह ही जसवंत थड़ा को चांदनी रात में देखने का अपना अलग आकर्षण है. रात की रोशनी में इसका दूधिया सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है. जसवंत थडा में मारवाड़ के कुल 11 राजाओं की छतरियां बनी हुई हैं.
स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है. इस झील का निर्माण महाराजा अभय सिंह के कार्यकाल 1724-1749 के दौरान हुआ था. जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह, महाराजा सरदार सिंह, महाराजा उम्मेद सिंह जी और महाराजा हनवन्त सिंह के स्मारक भी बनाए गए हैं. मकबरे को संगमरमर की जटिल नक्काशीदार चादरों से बनाया गया है. ये चादरें बेहद पतली और पॉलिश की जाती हैं ताकि वे सूर्य द्वारा प्रदीप्त होने पर एक गर्म चमक का उत्सर्जन करें.
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पहले जसवंत थडा केवल मोक्षधाम के रूप में जाना जाता था. लेकिन अब यहां हर रोज सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं. दिन भर यहां चहल पहल रहती है. यहां भी राजस्थानी लोक संगीत के कलाकार धुन छेड़ते हुए नजर आते हैं. जोधपुर राज घराना सूर्यवंशी रहा है. संगमरमर से बने जसवंत थड़े में सूर्य किरणें पत्थर को चीरती हुई अंदर तक आती हैं. यह नजारा बड़ा मनमोहक होता है.
स्मारक की वास्तुकला अद्भुत है, एक पर्यटक के तौर पर आप यहां आकर्षक नक्काशियों को देख सकते हैं. आप संरचना के पास बनी झील को देख सकते हैं. स्मारक परिसर का भ्रमण कर आप भारतीय इतिहास के कई पहलुओं के समझ सकते हैं. जसवंत थड़ा परिसर में एक बड़ा लॉन भी है, जहां आप थोड़ी देर बैठ कर इस अद्भुत संरचना को निहार सकते हैं. स्मारक के पास एक श्मशान भी मौजूद है, जहां राज परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार किया जाता था. यहां आज भी जली हुई लकड़ियों के अवशेष देखे जा सकते हैं.
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जसवंत थड़ा के अंदर जोधपुर नरेशों की वंशावलियों के आकर्षक चित्र बनाए गए हैं. अंदर का हाल दो हिस्सों में विभाजित है. एक हिस्से में जोधपुर के मारवाड़ शासकों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं. अगले हिस्से में राजा जसवंत सिंह की समाधि बनाई गई है. जसवंत थड़ा का प्रबंधन मेहरानगढ़ फोर्ट ट्रस्ट देखता है. इसमें प्रवेश के लिए टिकट 30 रुपये का है. स्मारक के प्रवेश टिकट से प्राप्त आय को किले के रखरखाव में खर्च किया जाता है, ऐसा टिकट पर लिखा है. आजकल इस ट्रस्ट के मुख्य न्यासी गज सिंह (द्वितीय) हैं.
जसवंत थड़ा के अलावा आप यहां आसपास के आकर्षण भी देख सकते हैं. आप इस स्मारक से कुछ ही दूरी पर स्थित मेहरानगढ़ का किला देख सकते हैं. जिस पहाड़ी पर यह किला बना है आप उसके नीचे शहर का मुख्य बाजार भी देख सकते हैं. इसके अलावा आप यहां से खेजड़ला किला, गणेश मंदिर, उम्मेद भवन पैलेस पाल बालाजी मंदिर, गुलाब सागर झील आदि स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं.
जोधपुर राजस्थान का एक बड़ा शहर है जहां आप परिवहन के तीनों साधनों से पहुंच सकते हैं, यहां का नजदीकी हवाईअड्डा जोधपुर एयरपोर्ट है. रेल मार्ग के लिए आप जोधपुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं. अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों से जोधपुर उत्तर भारत के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.
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