Interesting Travel Facts

How Train Changes Track : जानें कैसे एक पटरी से दूसरी पटरी पर ट्रेन कैसे जाती है

How train changes it’s track:  कई बार आपके दिमाग मे ये सवाल आता होगा कि आखिर चलती ट्रेन अचानक ट्रैक कैसे बदल लेती है. अचानक से तेज गति से आ रही ट्रेन हमारे बिना पता चले ट्रैक कैसे बदल लेती है और एक पटरी से दूसरी पटरी पर पहुंच जाती है. दिन हो या रात बड़ी ही आसानी से ये ट्रैक बदलकर उसी गति से पटरी पर दौड़ती रहती है. असल में पहले आपको ये समझना होगा कि आखिर पटरी बदलने का काम होता कैसे है. असल में रेलवे स्टेशन के पॉवर रूम से ट्रैक बदलने के निर्देश लोको पायलट द्वारा दिये जाते हैं. ट्रेन को कौन से प्लेटफार्म पर जाना है उसको किस पटरी पर रोक कर अगले ट्रैक पर भेजना है, ये सारा काम लोको पायलट द्वारा कंट्रोल रूम से किया जाता है.

Top Ten Fastest Trains in India : जानें भारत की सबसे तेज चलने वाली Trains के बारे में

ट्रेन का पटरी बदलना || Train Track Change System

आपने देखा होगा कि जहां 3-4 या उससे अधिक ट्रैक एक साथ होते हैं. उनमें से कुछ अचानक दूसरी दिशा की ओर बढ़ जाते हैं. काफी देर से जहां केवल अप और डाउन रूट की ही पटरी थी वहां तीसरा ट्रैक कहां से आया. यह ट्रैक 2 पटरियों के बीच से ही शुरू कर दिया जाता है. इसे इंटरलॉकिंग कहा जाता है. जिसे आप नीचे वीडियो में देख सकते हैं.

इस तरह एक ही जगह पर कुल 4 पटरियां हो जाती हैं. अब ट्रेन को जिस दिशा उस तरफ वाली 2 पटरियों को आपस में चिपका दिया जाता है. यह भी आप ऊपर वीडियो में देख पाएंगे. इससे ट्रेन का पहिया दूसरी पटरी पकड़ लेता है. ध्यान रहे कि पहिया अंदर से पटरी को पकड़कर चलता है इसीलिए ऐसा हो पाता है. ट्रेन जब नई पटरी को पकड़ लेती है तो वह ट्रैक जहां जाएगा ट्रेन भी वहां चली जाएगी. ऐसा वहां किया जाता है जहां 2 लाइनें अलग-अलग दिशा में जा रही हों.

IRCTC Train Insurance: 35 पैसे का ट्रैवल इंश्योरेंस कराने पर मिलेंगे 10 लाख रुपये, जानें इसे कैसे खरीदें

पहले मैनुअली होता था काम || Earlier work was done manually

जहां पटरियों की इंटरलॉकिंग की जाती है उस जगह को प्वाइंट कहते हैं. पहले इसके लिए एक पॉइंटमैन या ट्रैकमैन नियुक्त किया जाता था जो मैनुअली ये काम करता था. इसके लिए स्टेशन से कुछ पहले केबिन बनाए जाते थे जहां से निर्देश दिया जाता था. आज भी आपको कुछ बड़े स्टेशनों से पहले पीले रंग से रंगे केबिन दिख जाएंगे जिस केबिन के साथ कोई दिशा लिखी होगी. हालांकि, अब यह काम नई तकनीक से किया जाता है. इंटरलॉकिंग की जगह पर एक छोटी मशीन लगी होती है जो कंट्रोल रूम में बैठे व्यक्ति के इशारे पर ट्रैक को किसी एक तरफ दूसरे ट्रैक से चिपका देता है.

Recent Posts

Maha Kumbh 2025: कुंभ मेले के लिए प्रयागराज जा रहे हैं? ठहरने के लिए जाएं इन किफायती जगहों पर

Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश का प्रयागराज इस समय देश के केंद्र में है… Read More

2 days ago

Christmas: Happy की बजाय क्यों कहते हैं Merry Christmas? Festival में कहां से हुई Santa Claus की एंट्री

Christmas : इस लेख में हम बात करेंगे कि क्रिसमस क्यों मनाया जाता है और इससे… Read More

3 days ago

Christmas Shopping 2024 : क्रिसमस की Shopping के लिए Delhi-NCR के इन बाजारों में जाएं

Christmas Shopping 2024 :  क्रिसमस आने वाला है.  ऐसे में कई लोग किसी पार्टी में… Read More

6 days ago

Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में किला घाट कहां है? जानिए क्यों है मशहूर और कैसे पहुंचें

Kumbh Mela 2025 : उत्तर प्रदेश का प्रयागराज इस समय देश के केंद्र में है… Read More

1 week ago

सर्दियों में खाली पेट गर्म पानी पीने के 5 फायदे

Hot water : सर्दियां न केवल आराम लेकर आती हैं, बल्कि कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं… Read More

1 week ago

Jaunpur Tour : जौनपुर आएं तो जरूर घूमें ये 6 जगह, यहां से लें Full Information

 Jaunpur Tour : उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर की यात्रा करना हमेशा एक सुखद अनुभव… Read More

1 week ago