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कैसा होगा, Islamabad में बन रहा पहला Hindu Temple ?

Islamabad में बनने जा रहे पहले Hindu Temple की तरफ दुनिया भर के हिंदुओं की नजरें हैं। हर कोई जानना चाह रहा है कि पाकिस्तान की राजधानी में बनने जा रहे इस पहले हिंदू मंदिर में क्या कुछ अनोखा होगा। हालांकि इस मंदिर को निर्माण की प्रक्रिया में ही विवादों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन फिर भी इस शानदार शहर में बन रहे इस मंदिर की चर्चा को इतने भर से नहीं रोका जा सकता है। आइए इस लेख में जानते हैं कि पाकिस्तान की राजधानी  Islamabad में बनने जा रहा ये Hindu Temple होगा कैसा?

पाकिस्तान में कहां बनेगा मंदिर ?:  ये बड़ा सवाल है कि पाकिस्तान में मंदिर तो बनेगा लेकिन कहां पर तो चलिए हम आपको बताते हैं, मंदिर पाकिस्तान की राजधानी  Islamabad के H-9 इलाके में बनेगा। इस मंदिर में भगवान कृष्ण विराजमान होंगे। मंदिर निर्माण के लिए करीब 20 हजार वर्ग फुट जमीन ली गई है। मंदिर की आधारशीला रखी जा चुकी है। देवकीनंदन के लाल के मंदिर को बनाने में 50 करोड़ से ज्यादा पाकिस्तानी रूपये खर्च होंगे, इस मंदिर के निर्माण के लिए पाकिस्तानी सरकार 10 करोड़ रूपये देगी। यशोदा के लाल के पाकिस्तान में आने से इस्लामाबाद हिंदू पंचायत और वहां पर रह रहे लाखों हिंदुओं के लिए ये सपना सच होने जैसा है। हालांकि, भगवान कृष्ण के मंदिर के लिए साल 2017 में जमीन दी गई थी, लेकिन कई अड़चनों की वजह से मंदिर का काम चार साल अटक गया था।

मंदिर के अलावा और क्या ?:  Islamabad हिंदू पंचायत ने इस मंदिर का नाम श्रीकृष्ण मंदिर रखा है। मंदिर के अलावा परिसर में अंतिम संस्कार स्थल बनेगा, क्योंकि  Islamabad में अंतिम संस्कार के लिए जगह ना के बराबर है । मंदिर में पार्किंग, ऑडिटोरियम, लंगर खाना, सामुदायिक भवन और धर्मशाला बनाने का भी प्लान है।

पाकिस्तान में हिंदू जनसंख्या: पाकिस्तान मुस्लिम बहुल देश है। यहां की जनसंख्या 20 करोड़ के आसपास है। ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहां पर प्रमुख लैग्वेज उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो, हिन्दी हैं। बड़े शहर इस्लामाबाद, कराची, लाहौर और रावलपिंडी है। पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। वर्तमान में पाकिस्तान में 80 लाख हिंदू रहते हैं, दक्षिणी सिंध प्रांत के उमरकोट, मीरपुरखास, थारपारकर में अच्छी खासी हिंदुओं की संख्या है, वहीं इस्लामाबाद में हिंदूओं की आबादी लगभग 3,000 हैं, जिसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी, कारोबारी और बड़ी संख्या में डॉक्टर शामिल हैं।

पाकिस्तान में थे कई मंदिर: 1947 से पहले  Islamabad (इस्लामाबाद) और उससे सटे इलाकों में कई हिंदू मंदिर थे इसमें सैदपुर गांव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। एक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान में 428 हिंदू मंदिरों में से आज केवल 20 के आसपास ही बचे हैं।

पाकिस्तान में और कहां-कहां हैं मंदिर ? : रावलपिंडी में कृष्ण मंदिर 121 साल पुराना है। हालांकि पिछले कई सालों से खस्ता हाल में है। इस मंदिर का निर्माण 1897 में सद्दर में कांची मल और उजागर मल राम पांचाल ने कराया था। बंटवारे के बाद कुछ सालों के लिए ये मंदिर बंद भी कर दिया गया था। 1949 में इसे फिर खोला गया। पहले तो यहां रहने वाले हिंदू इसकी देख रेख करते थे। 1970 में इसे ईटीपीबी के नियंत्रण में दे दिया गया। 1980 तक इस्लामाबाद में रहने वाले भारतीय राजदूत यहां पूजा करने आते थे।

लाहौर और उसके आसपास 22 मंदिर हैं लेकिन पूजा केवल दो मंदिरों में होती है। पहला कृष्ण मंदिर और दूसरा वाल्मिकी मंदिर । वहीं, अगर पाकिस्तान में सबसे ज्यादा बचे मंदिरों की बात की जाए तो वो सिंध प्रांत में है। इसकी संख्या करीब 58 के आसपास है। जिसमें से कराची शहर में 28 मंदिर हैं, हालांकि ज्यादातर मंदिरों में पूजा- अर्चना नहीं होती है।

हिंगलाज मंदिर, : पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के किनारे बसे हिंगलाज मंदिर स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां पर देवी सती का ब्रह्मरंध्र गिरा था। इस मंदिर के भगवान श्रीराम ने भी दर्शन किए थे। मनोरथ सिद्धि के लिए गुरु गोरखनाथ, गुरुनानक देव जैसे आध्यात्मिक संत यहां आ चुके हैं।

कटासराज मंदिर: पाकिस्तान के पंजाब में स्थित कटासराज मंदिर हिदुओं के लिए पवित्र स्थल है। मान्यता है कि माता सती के वियोग में भगवान शिव जब रोए थे तब उनकी आंखों से दो बूंद आंसू गिरे थे। पहला आंसू कटास में और दूसरा आंसू अजमेर में टपका था। यहां जो मंदिर है, वह 900 साल पुराना बताया जाता है।

पंचमुखी हनुमान मंदिर, कराची : पाकिस्तान के कराची में स्थित 1500 साल पुराने पंचमुखी हनुमान मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह मंदिर भारतीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ पाकिस्तान में भी काफी मशहूर है। मान्यता है कि इस मंदिर में एक बार भगवान राम आ चुके हैं।

इस्कॉन मंदिर, क्वेटा:  इस्कॉन का पाकिस्तान में पहला मंदिर क्वेटा में साल 2007 में बनकर तैयार हुआ। ये मंदिर बलूचिस्तान प्रांत में है। इस मंदिर के लिए इस्कॉन को पाकिस्तान सरकार ने जमीन उपलब्ध कराई थी।

स्वामी नारायण मंदिर, कराची: ये हिंदू मंदिर कराची शहर के M. A. Jinnah Road पर है। ये मंदिर 32,306 वर्ग गज में फैला हुआ है। मंदिर ने अप्रैल 2004 में 150 साल की अपनी सालगिरह मनाई थी। यह माना जाता है कि न केवल हिंदू बल्कि इस्लाम के अनुयायी भी मंदिर जाते हैं

भगवान राम का मंदिर, इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास सैदपुर गांव में भगवान राम का एक मंदिर है लेकिन वहां हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति नहीं है। मारगल्ला पहाड़ी के तल में स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने सन 1580 के आसपास करवाया था। इस गांव से जुड़ी खास ये कि यहां पर गुरूद्वारा और मस्जिद भी है।

सूर्य मंदिर, मुल्तान : पाकिस्तान के मुल्तान शहर में एक प्राचीन सूर्य मंदिर है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के पुत्र सांब ने करवाया था।

वरुणदेव मंदिर, कराची:  वरुण देव को समर्पित यह मंदिर पाकिस्तान के कराची के मनोरा में है। 1,000 साल पुराना यह मंदिर पाकिस्तान में मौजूद सर्वाधिक प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।

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