उत्तर पूर्व भारत में बसा पेलिंग शहर समुद्र की सतह से 2150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढकी हुई पहाड़ों की चोटियों से दिखने वाला नजारा दिल छू लेता है। इसके साथ ही साथ पेलिंग का इतिहास और संस्कृति भी इसे गंगटोक के बाद सिक्किम का दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं। कई दशकों पहले तक पेलिंग जंगलों से भरी हुई भूमि थी जो कि अनेक वन्य प्राणियों का घर थी। ये क्षेत्र पूर्ण रूप से विकसित गांव के रूप में सामने आया क्योंकि ये 2 बौद्ध मठों पेमयांग्स्ते और संगाचोलिंग के बीच में स्थित था।
पेलिंग में जो जनजाति आम रूप से मिलती है वो लिम्बु समुदाय की है। उनके अलावा इस क्षेत्र में अन्य कई उपजातियां भी हैं जैसे कि खामधक, मुरिंगला, लिंगदेन और पघा। यहां के लोग खेती पर ज्यादातर निर्भर हैं। यहां पर पैदान होने वाली फसलों में इलायची, मक्का, धान, गेहूं और कुट्टू बड़ी मात्रा में शामिल हैं। हर साल पेलिंग में कंचनजंघा त्योहार मनाया जाता है जिसके लिए यहां के लोग काफी उत्सुक रहते हैं। इस त्योहार के दौरान कई तरह की मजेदार गतिविधियां भी होती हैं जैसे कि रनरंगित में व्हाईट वॉटर रॉफ्टिंग, पहाड़ों पर बाइकिंग और कई तरह के पारंपरिक खेल भी खेले जाते हैं। इस त्योहार के दौरान पारंपरिक लिम्बु डांस और उडिंग, छब–रंग (ड्रम) और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों को भी देखा जा सकता है। इस त्योहार में फूलों की प्रदर्शनी, खाने और कपड़ों के स्टॉल भी अलग से लगे होते हैं।
पेलिंग ऐसी जगह है, जहां का मौसम पूरे साल खुशनुमा बना रहता है, इसी वजह से आप साल में किसी भी वक्त इस जगह की यात्रा कर सकते हैं। लेकिन अगर आप कंचनजंगा त्योहार के वक्त यहां जाए तो मजा दोगुना हो जाता है। ये त्योहार अगस्त महीने में होता है।
पेलिंग में घूमने फिरने के लिए बहुत कुछ है कई तरह के मठ, मंदिर, वॉटर फॉल जो काफी पसंद किए जाते हैं, लेकिन पेलिंग में जो स्काईवॉक है उसे देखने का मजा ही कुछ और है। 137 फीट ऊंचे chenrezig statue जो कि सिक्किम का चौथा सबसे विशाल स्टेचू है पेलिंग में काफी मशहूर है। ये बुद्ध संस्कृति को दर्शाता है। इसके साथ ही एक ग्लास स्काईवॉक है जो कि पूरी तरह से ग्लास का बना है और पर्यतकों को काफी ज्यादा पसंद आता है। ये भारत का पहला ग्लास स्काईवॉक है।
इस पूरे कॉम्प्लेक्स के अंदर 20 रुपये का शुल्क पड़ोस के लोगों के लिए और गैर-स्थानीय लोगों के लिए 50 रुपये का शुल्क लगता है। लेकिन आप इस statue को बिना किसी शुल्क के देख सकते हैं। इसमें भारत सरकार के पर्यटन विभाग की तरफ से लगभग 500 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था। आपको बता दें कि ये USA के ग्रैंड कैन्यन में स्काईवॉक की तर्ज पर बना गया है। ये स्काईवॉक एक ट्रांस्पेरेंट संरचना है जो कि शीशे से बनी है। ये जुआन शहर से लगभग 6-7 किलोमीटर की दूरी पर chenrezig की प्रतिमा के पास बना हुआ है।
यहां पर आने के लिए आपको आसानी से कैब मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इतनी ज्यादा संख्या में कैब अभी चलती नहीं है। वहीं अगर बात करें बस की तो उसकी भी संख्या ज्यादा नहीं है, लेकिन कैब की संख्या बस की तुलना में ज्यादा है। अगर आपको बस मिलती है तो कोशिश करें कि उसी से जाएं क्योंकि वो आपको काफी पास में उतारेगी और किफायती भी पड़ेगी। जहां से आप पैदल जा सकते हैं। इस स्काईवॉक से आपको बहुत ही खूबसूरत नजारें देखने को मिलेंगे पहाड़ों की चोटियां आपका दिल छू लेंगी। यहां से कंचनजंगा पहाड़ी की खूबसूरत चोटियों का नजारा दिखेगा। आपको इस स्काईवॉक पर चलने से पहले अपने जूते उतारने होते हैं, क्योंकि ये पूरा कांच का बना है। यहां पर आप खूबसरूत बैकग्राउंड के साथ अच्छी फोटोज भी क्लिक करवा सकते हैं। साथ ही आपको प्रकृति के इस नजारे को देख कर हर चेहरा खुश और रिलैक्स ही दिखेगा।
यहां पर घूमने के बाद आप चाहे तो 300 साल पुरानी Sanga Choeling Monastery को भी देखने के लिए जा सकते हैं। वो इस स्काईवॉक के पास ही है, तो आप उसे भी देख सकते हैं, वो आपको इतिहास से रूबरू कराएगा।
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