सोने का गोला मिला अंतरिक्ष में, धरती के हर इंसान को बना सकता है करोड़पति
gold ball : अंतरिक्ष अपने-आप में काफी सारे रहस्यों (space mystery) से भरा है. अब यहां बेशकीमती सोना और हीरे-जवाहरात मिलने की बात भी हो रही है. असल में मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीचोंबीच एक ऐसा क्षुद्रग्रह यानी एस्टेरॉयड (asteroid) है, जो हाथ लग जाए तो धरती का हरेक इंसान करोड़पति बन जाएगा. 16-साइकी (16 Psyche) नाम के इस क्षुद्रग्रह पर अब नासा की नजर है.
What is this structure
साइकी-19 नाम के इस आलू की तरह आकार के क्षुद्रग्रह की संरचना सोने, बहुमूल्य धातु प्लेटिनम, आयरन और निकल से बनी हुई है. सोने-लोहे से बने इस एस्टेरॉयड का व्यास लगभग 226 किलोमीटर है. क्षुद्रग्रह पर खासतौर से लोहे की भरपूर मात्रा है. अंतरिक्ष विशेषज्ञों के मुताबिक एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की कुल कीमत करीब 8000 क्वॉड्रिलियन पाउंड है. यानी आसान तरीके से समझा जाए तो 8000 के बाद 15 शून्य और लगाने होंगे.
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How many crores will you get
द टाइम्स.को.यूके के मुताबिक अगर हम इसे लाने और बेचने या इसके इस्तेमाल में कामयाब हो सके तो धरती की मौजूदा आबादी में हरेक व्यक्ति को लगभग 9621 करोड़ रुपये मिल सकेंगे. विशेषज्ञों ने ये कीमत उस एस्टेरॉयड में मौजूद लोहे की लगाई है. अब तक उसके सोने और प्लेटिनम के बारे में तो गणना ही नहीं की गई है. फॉक्स न्यूज से बातचीत में वैज्ञानिक और खनन विशेषज्ञ स्कॉट मूर ने बताया कि यहां पर जितना सोना हो सकता है, वो दुनियाभर की सोने की इंडस्ट्री के लिए खतरा बन जाएगा.
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Asked for help from Elon Musk
नासा ने इस एस्टेरॉयड की कीमत को देखते हुए खुद ही स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क से सहायता की बात कही. नासा ने उम्मीद जताई कि एलन मस्क के जरिए इस आलू की तरह दिखने वाले छोटे तारे में आयरन और सोने की जांच हो सकेगी. बता दें कि अमेरिका की निजी कंपनी स्पेस एक्स (Space-X) ने दो लोगों को अपने रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष भेजकर इतिहास रच दिया है. इसके मालिक हैं एलन मस्क, जो वहां के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर भी हैं, जिसका मकसद इंसानों को दूसरे ग्रहों पर बसाना है.
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When will nasa go
टाइम्स के मुताबिक अगर स्पेस एक्स अपने अंतरिक्षयान से कोई रोबोटिक मिशन इस एस्टेरॉयड पर भेजेगा तो उसे वहां जाकर पूरी स्टडी करके वापस आने में सात साल लगेंगे. नासा अपनी तरफ से 2022 के मध्य में क्षुद्रग्रह की जांच करने के लिए एक मिशन शुरू कर रहा है, जिसे डिस्कवरी मिशन (Discovery Mission) नाम दिया गया है. ये साल 2026 में साइकी तक पहुंचेगा और जांच शुरू करेगा.
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No dig plans
फिलहाल नासा के अनुसार इसे धरती के पास लाने या किसी भी तरीके से इसे खरीदने-बेचने की कोई योजना नहीं है. इसकी वजह ये है कि ऐसी कोई भी चीज धरती की परिधि में भी आ गई तो सबसे पहले तो इसपर कब्जे के लिए देशों में खून-खराबे की नौबत आ जाएगी. दूसरी वजह ये भी है कि इतने मूल्य का तारा धरती पर आने के बाद जिसके हिस्से जाएगा, उससे धरती की अर्थव्यवस्था तितर-बितर हो सकती है. यही वजह है कि इसके खनन की कोई योजना हाल-फिलहाल तक नहीं बनी है.
इसके बावजूद भी दो स्पेस माइनिंग यानी स्पेस में खुदाई करने वाली कंपनियां इसपर कब्जे की होड़ में लग गई हैं. बता दें कि साल 2015 में स्टेरॉयड को खरीदा या बेचा जाना संभव हो गया, इसके बाद से दो निजी कंपनियां इसे भी खरीदने की फिराक में हैं.
Where did we sleep
वैसे 16-साइकी पर सोना होने की बात के बाद से एक और चर्चा जोरों पर है कि धरती पर सोना कहां से आया. बहुत से वैज्ञानिक मानते हैं कि हम जो सोना देख रहे हैं, वो धरती की प्रॉपर्टी नहीं, बल्कि अंतरिक्ष के उल्कापिंडों से आई धातु है. वैज्ञानिक जॉन एमस्ली का दावा है कि यह धातु अंतरिक्ष से उल्का पिंडों के रूप में धरती पर आया और इसी कारण यह धरती के बाहरी हिस्से में मिलता है. वैसे अब तक दावा करने वाले किसी भी वैज्ञानिक को इस बात का पुख्ता प्रमाण नहीं मिल सका है.
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