Dholpur Tour Blog and Siddha Baba Mandir : धौलपुर की यात्रा (Dholpur Tours) कई मायने में दिलचस्प रही. यात्रा के दूसरे दिन हमने लौहमत्स ऋषि के आश्रम (Lauhmats Rishi Ashram) से अपनी यात्रा की शुरुआत की. हम सिद्ध बाबा के आश्रम (Siddha Baba Ashram) गए. धौलपुर में सिद्ध बाबा के आश्रम में कैंसर की दवाई (Free Cancer Medicine) दी जाती है. यहां ऐसा दावा किया जाता है कि इस प्राकृतिक औषधि से कई मरीज ठीक हुए हैं. रास्ते में हमने नेशनल मिलिट्री स्कूल (National Military School Dholpur) को भी देखा. हालांकि, यहां हम तस्वीरें नहीं ले सके.
धौलपुर में यात्रा के दूसरे दिन ही हम दमोह झरने (Damoh Waterfall Sarmathura) पर गए, वन्यजीव अभ्यारण्य के बीच महाराज उदयभानु की कोठी को भी देखा. ये पूरा क्षेत्र घने जंगल के बीच है. इन जंगलों में ही सेना के अफसरों की ट्रेनिंग भी होती है. रात में वापसी के रास्ते में हमने सेना के कई जवान देखे. ये सभी रात की ट्रेनिंग के लिए निकले हुए थे.
इससे पहले हम बाबू महाराज के मंदिर (Babu Maharaj Mandir Dholpur) भी गए. सुआ महाराज का किला भी देखा. भरिका धाम (Bharika Dham) नाम की एक जगह भी गए. ये पूरा क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य आबादी वाला क्षेत्र है. आइए चलते हैं धौलपुर के दूसरे दिन के सफर पर Travel Junoon के साथ जिसमें आप पढ़ेंगे Dholpur Tour Blog and Siddha Baba Mandir के बारे में
हम रात को लौहमत्स ऋषि के आश्रम में रुके थे. यहां लौहमत्स नाम के एक ऋषि ने सदियों पहले तप किया था. आज भी यह मंदिर बेहद महत्व रखता है. रात को ठहरने के बाद सुबह सुबह हम यहां से निकल चले थे.
हमें इसी मंदिर में देवेंद्र जी मिले. देवेंद्र जी नियमित रूप से मंदिर में भोजन देने आते हैं. उन्होंने भी दूसरे दिन हमारे साथ चलने की इच्छा जाहिर की थी, सो हम ले चले उन्हें भी अपने साथ.
हम सबसे पहले देवेंद्र जी के घर गए. वहां चाय पी. और फिर चल दिए सिद्ध बाबा के मंदिर में.
धौलपुर में जंगलों के बीच स्थित है केसरबाग. यहां किसी जमाने में उदयभानु नाम के राजा हुए थे. तब एक सिद्ध बाबा का मंदिर भी यहीं जंगल में हुआ करता था. उदयभानु महाराज ने सिद्ध बाबा की जमीन पर अपने किले का निर्माण शुरू किया था. सिद्ध बाबा ने किला बनवाने से रोका तो भी राजा ने निर्माण जारी रखा.
कहा जाता है कि सिद्ध बाबा के प्रताप से किला कभी पूरा नहीं बन पाया और महाराज का वंश भी आगे नहीं बढ़ सका. केसरबाग के जंगल में आज भी सिद्ध बाबा का मंदिर स्थित है. हालांकि यहां एक बाबा रहते हैं लेकिन लोग यहां नहीं आते हैं.
धौलपुर जिस एक बात के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, वह है यहां का नेशनल मिलिट्री स्कूल. इस स्कूल में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने पढ़ाई की है. यह मिलिट्री स्कूल घने जंगल में स्थित है. हमें बताया गया कि ये राजा की भूमि थी जिसका अधिग्रहण सरकार ने किया और फिर यहां मिलिट्री स्कूल बनाया गया.
मैंने पहले बार कोई मिलिट्री स्कूल बेहद नजदीक से देखा. हालांकि यहां तस्वीरें क्लिक करने और वीडियो बनाने की मनाही है. मिलिट्री स्कूल के ठीक सामने हॉस्टल है. यहां से कुछ दूरी पर ग्राउंड है, जहां बच्चे खेलते हैं.
मिलिट्री स्कूल के बाद हम केसरबाग में स्थित सिद्ध बाबा के प्राचीन मंदिर गए थे. इसी जंगल में हमने काली पहाड़ी का परिक्रमा पथ भी देखा. अमावस और पूर्णिमा को यहां लोग परिक्रमा भी करते हैं.
सिद्ध बाबा के मंदिर को अब आगे मुख्य मार्ग पर एक नई जगह शिफ्ट कर दिया गया है, ताकि लोग आराम से पहुंच सकें. यहां हम नागा बाबा से मिले जो यहां के प्रमुख हैं.
हमें कुछ कैंसर पेशेंट भी मिले जो इलाज के लिए यहां आए हुए थे. कई मरीज यहां से जा चुके थे. एक शख्स यहां कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली जड़ीबूटी को पीसते दिखाई दिए. कुछ देर बाद वह दवा को चेहरे पर लगाने लगे. हमने उनसे बात की तो पता चला कि वह 3 महीने से यहां पर हैं.
कैंसर के इलाज के लिए सिद्ध बाबा के मंदिर पहुंचे इस शख्स ने यहां आने से पहले खुद को कई अस्पतालों में भी दिखाया था. हालांकि उसने दावा किया कि यहां आकर उसका कैंसर काफी हद तक ठीक हो चुका है.
हमने इसके बाद सिद्ध बाबा के मंदिर के साधु का इंटरव्यू लिया. आप इस पूरे वीडियो को हमारे Youtube Channel पर देख सकते हैं.
इसी मंदिर में सिद्ध बाबा का मंदिर भी है और उनकी मूर्ति भी. आगे एक रास्ते है जिसपर जलकर लोग पहाड़ी की परिक्रमा करते हैं. इसी पथ पर सिद्ध बाबा का चबूतरा और उनकी झोपड़ी भी है. हालांकि झोपड़ा अब खंडहर रूप में है.
यहां से थोड़ी दूर बढ़ने पर एक गुफा भी है जिसमें बैठकर सिद्ध बाबा ध्यान किया करते थे. यहां से दूर तक धौलपुर का एक बड़ा क्षेत्र दिखाई देता है.
सिद्ध बाबा के मंदिर (Dholpur Tour Blog and Siddha Baba Mandir) में न सिर्फ दवा फ्री मिलती है, बल्कि यहां रहने खाने का भी कोई खर्च नहीं देना होता है. हां, भोजन बनाना स्वयं पड़ता है. यहां कोई सेवादार नहीं है इसलिए दिनचर्या से जुड़े सभी कार्य खुद ही करने पड़ते हैं.
मंदिर में परिवारों को अनाज दिया जाता है और उसके बाद वह खुद ही भोजन बनाते हैं. कैंसर की दवा के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.
सिद्ध बाबा के मंदिर की यात्रा के बाद हम आगे बढ़ चले थे. आगे रास्ते में उर्मिला सागर नाम की जगह दिखाई दी. देवेंद्र जी ने बताया कि महाराज ने अपनी रानी के लिए इसे बनवाया था. Dholpur Tour Blog and Siddha Baba Mandir की यात्रा का ब्लॉग यहां पूरा हुआ.
धौलपुर के दूसरे दिन की यात्रा का यह ब्लॉग आपको कैसा लगा, हमें जरूर बताएं. इस ब्लॉग की अगली कड़ी भी हम जल्द लेकर आएंगे. अगर आप हमारे ब्लॉग अपडेट्स लगातार पाना चाहते हैं, तो वेबसाइट www.traveljunoon.com को फॉलो करें. हमारे दिलचस्प वीडियो को देखने के लिए Youtube Channel Travel Junoon को सब्सक्राइब करें.
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