Ashok Vatika – जानें कहां है रावण की अशोक वाटिका, जहां पर हनुमान जी के पैरों के निशान आज भी हैं मौजूद
Ashok Vatika-25 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में दशहरा मनाया जाएगा, इस दिन हर दगह रावण का पुतला दहन किया जाता है. इसके साथ ही रावण दहन के साथ नवरात्रि के नौ दिनों का समापन हो जाएगा. इस अवसर पर हम आपको बताएंगे की रावण ने सीता अशोक वाटिका में रखा था. वह कहा मैजूद है.
Ashok Vatika- भारत में छोटे बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े तक सभी को रामायण की कहानी पता है. सभी जानते हैं राम और सीता के विवाह के बाद उन्हें 14 वर्ष के लिए वनवास पर जाना पड़ा था. वनवास पर रहने के दौरान राम और सीता को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. इसी दौरान लंका के राजा रावण ने सीता का हरण कर लिया था और अपने साथ लंका ले जाकर उन्हें अशोक वाटिका में कई दिन रखा था.
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लंका में आज भी यह अशोक वाटिका मौजूद है और यहां ऐसे कई निशान हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि यहां वाकई रावण ने सीता माता को रखा था. ऐसे में लोगों के अंदर यह जानने का क्रेज बढ़ गया है कि क्या सच में रावण की कोई अशोक वाटिका थी. अगर थी तो वह कैसी दिखती थी? अब वह कहां है? तो चलिए हम आज आपको रावण की अशोक वाटिका की झलक दिखाते हैं.
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Sita Mata lived in these places after Haran
रावण ने जब सीता माता का अपहरण किया था तब वह उन्हें सीधे अपने महल लंका ले गया. वह सीता माता को रानी बनाना चाहता था मगर, सीता माता इस बात के लिए तैयार नहीं हुईं और उन्होंने महल में रहने से इंकार कर दिया. तब रावण ने सीता माता को एक गुफा के अंदर रखा जिसका सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ था. इस गुफा के आसपार हल्की सी नक्काशी झलकती है. इसके बाद रावण ने सीता माता को अशोक वाटिका में रखा. यह रावण के महल में बनी हुई थी. सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्या के नाम से प्रसिद्ध है.
श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्टि की, कि सीता एल्या ही Ashok Vatika है. यह जगह आज भी वैसी की वैसी है. इतना ही नहीं सीता जी को लेने आए हनुमान जी ने जब लंका में आग लगाई थी उसके प्रमाण भी यहां मिलते हैं. हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था. पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी.
See footprints of Hanuman ji
रामायण में इस बात का वरण मिलता है कि जब राम को इस बात का पता चला कि सीता का हरण रावण ने किया है तो उन्होंने अपनी वानरों की एक सेना बनाई और हनुमान जी को आदेश दिया कि वह सीता को लंका से वापिस ले आएं. भगवान राम के आदेश पर हनुमान जी लंका पहुंच गए. Ashok Vatika में जिस वृक्ष के नीचे सीता माता बैठती थी उस पर चढ़ कर उन्होंने सीता माता को भगवान राम की अंगूठी फेंकी, जिससे सीता माता को अंदाजा हुआ कि हनुमान जी को भगवान राम ने ही भेजा है.
श्रीलंका में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां पर हनुमान जी के पैरों के निशान हैं. हनुमान जी के पैरों के निशान जिस जिस चट्टान पर पड़ें वहां पैर के आकार के गड्ढे बन गए है. यह निशान आज भी देखे जा सकते हैं.
Rare herbs of the Himalayas meet
रावण और राम के युद्ध में एक समय ऐसा भी आया था जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण बेहोश हो गए थे. वह केवल संजीवनी बूटियों से ही जीवित हो सकते थे. यह बूटियां केवल हिमालय में मिलती हैं और हनुमान जी इसे लेने के लिए वहां गए थे और संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ा उठा लाए थे. यह पहाड़ आज भी श्रीलंका में उपस्थित है और इसमें आज भी हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिलते हैं. दावा है कि इन जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्तविकता को प्रमाणित करता है
Ravana’s Palace
पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक ऐसा महल मिला है जिसे देख कर लगता है कि वह रामायण काल में बनाया गया होगा. रामायण इस बात का वर्णन है कि भगवान हनुमान ने रावण की लंका को जला दिया था. इस वजह इस जगह की मिट्टी काली हो गई थी और यह मिट्टी आज भी काली है.यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है. राम द्वारा रावण का वध करने के पश्चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था. विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था. यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था. नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं.