Shrikhand Mahadev Yatra: हिमाचल प्रदेश को हमेशा से देवी-देवताओं की भूमि कहा गया है। हिमाचल को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई देवी-देवता विराजमान है। वैसे तो यहां पर बहुत से देवी-देवताओं का मंदिर है लोकिन कुल्लू जिले से 1850 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव का मंदिर जहां बहुत लोगों का जाने का सपना होता है। तो आज हम आपको श्रीखंड महादेव के बारे में कुछ रोचक और रहस्मय तथ्य बताएंगे ।
ऐसा कहा जाता है कि श्रीखंड यात्रा के आगे अमरनाथ और केदारनाथ यात्रा कुछ भी नहीं है
। यह मानना है उन लोगों का जो तीनों जगह की यात्रा करके के आ गए हैं। इसका नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं है । श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां पर साक्षात् भगवान् शिव का वास है । इस शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है।
श्रीखंड महादेव की चढ़ाई किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं
श्रीखंड महादेव की चढ़ाई किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है । इसके बावजूद भी देश-विदेश से श्रद्धालु भारी संख्या में श्रीखंड महादेव जाने के लिए कुल्लू आते हैं। मंदिर जाने के लिए 25 किलोमीटर तक खड़ी चढ़ाई करते हैं। कई बार चढ़ाई के दौरान श्रद्धालुओं की मौत भी हो जाती है। ऐसा भी कह सकते हैं कि इसकी चढ़ाई करना किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।
इतिहास श्रीखंड महादेव का
राक्षस भस्मासुर ने शिव की कड़ी तपस्या की थी । उसी से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उसे वरदान मांगने को कहा। भस्मासुर ने शिव जी से वरदान मांगा कि जिसपर वह हाथ रखे वह भस्म हो जाए। शिव जी ने भस्मासुर को वरदान दे दिया । वरदान पाने के बाद भस्मासुर घमंड से भर गया। उसने भगवान शिव को ही जलाने की तैयारी कर ली। इससे बचने के लिए भगवान शिव को निरंमंड के देओढांक में स्थित एक गुफा में छिपना पड़ा। कई महीनों तक भगवान शिव को यहां रहना पड़ा ।
वहीं भगवान् विष्णु ने शिव को बचाने और भस्मासुर का खात्मा करने के लिए मोहिनी नाम की एक सुंदर महिला का रूप धारण कर लिया। भस्मासुर भी इसके सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया। मोहिनी भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने को कहा, भस्मासुर भी तैयार हो गया। वह मोहिनी के साथ नृत्य करने लगा। इसी बीच चतुराई दिखाते हुए मोहिनी ने नृत्य के दौरान अपना हाथ सिर पर रखा। इसे देखकर भस्मासुर ने जैसे ही अपना हाथ अपने सिर पर रखा वह भस्म हो गया।
भगवन शिव फंसे गुफा में
भस्मासुर का नाश होने के बाद सभी देवी-देवता पहा़ड़ पर पहुंचे और भगवान शिव को यहां से बाहर आने की प्रार्थना की। मगर भोलेनाथ एक गुफा में फंस गए। यहां से वह बाहर नहीं निकल पा रहे थे। वह एक गुप्त रास्ते से होते हुए इस पर्वत की चोटी पर शक्ति रूप में प्रकट हो गए।
जब भगवान शिव यहां से जाने लगे तो यहां एक जोरदार धमाका हुआ जिसके बाद शिवलिंग आकार की एक विशाल शिला बच गई । इसे ही शिवलिंग मानकर उसके बाद पूजा जाने लगा। इसके साथ ही दो बड़ी चट्टाने हैं जिन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश के नाम से पूजा जाता है । श्रीखंड महादेव जाते वक्त रास्ते में खास तरह की चट्टानें भी मिलती हैं जिन पर कुछ लेख लिखे हैं । कहा जाता है भीम ने स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया था। मगर समय की कमी के कारण पूरी सीढ़ियां नहीं बन पाई ।
श्रीखंड महादेव की यात्रा पर जाने के लिए करवाना होगा पंजीकरण
इस प्राचीनतम यात्रा के दौरान हर यात्री का सिंहगाड में स्थापित होने वाले बेस कैम्प में मेडिकल चेकअप के बाद पंजीकरण किया जाता है । हर यात्री को 150 रुपये पंजीकरण फीस देनी होती है। पंजीकरण के दौरान श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट की स्मारिका भी दी जाती है।
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