Monal Trek :अब तक गुमनाम रहे 12 किमी लंबे इस ट्रैक से गुजरते हुए आप हिमालय के सौंदर्य का अभूतपूर्व आनंद ले सकते हैं. समुद्र तल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस ट्रैक पर अभिभूत कर देने वाली सुंदरता बिखरी हुई है. (Monal Trek) दावा है कि सनराइज और विंटर लाइन का नजारा देखने के लिए इससे बेहतर ट्रैक शायद ही कहीं और है. उत्तराखंड के चमोली जिले में इस ट्रैक को हाल ही में दो स्थानीय युवाओं ने खोजा है। नाम दिया गया है.
लाहौल-स्पीती में जमने लगी झील और झरने
मोनाल ट्रैक, क्योंकि यहां मोनाल पक्षियों का बसेरा है. सीमांत चमोली जिले के देवाल ब्लॉक स्थित वाण गांव के इन युवाओं द्वारा ट्रैक के रूप में इसे खोजे या चिन्हित किए जाने से पूर्व अब तक स्थानीय ग्रामीण इसे मुन्याल थोक (जहां मोनाल पक्षी पाए जाते हैं) नाम से पुकारते थे.
वाण गांव से मोनाल टॉप तक पहुंचने के दो अलग-अलग रास्ते हैं. दोनों की लंबाई 12-12 किमी है. ट्रैक को पर्यटन के दृष्टिकोण से खोजने वाले युवा देवेंद्र पंचोली और हीरा सिंह गढ़वाली खुद भी पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. देवेंद्र बताते हैं कि पूरे ट्रैक पर एक से बढ़कर एक दृश्य देखने को मिलते हैं. यहां चहुंओर सुंदरता बिखरी हुई है. सूर्योदय (सनराइज) और विंटर लाइन का नजारा देखने के लिए इससे बेहतर ट्रैक उन्होंने अब तक नहीं देखा है। कहते हैं, विंटर लाइन का नजारा देखने के लिए पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं. लेकिन यहां से इसका दीदार अपने आप में अनूठा है.
Darjeeling Tour – जाने से पहले सरकार की नई गाइडलाइंस को एक बार ज़रूर पढ़ लें
विंटर लाइन अक्टूबर से दिसंबर तक देखी जा सकती है. ठंड के दिनों में शाम के समय जब वातावरण में नमी अधिक होती है और ढलते हुए सूर्य की किरणें आसमान में वाष्प कणों से टकराती हैं, तब क्षितिज पर यह रंगीन रेखा उभर आती है. ट्रैकर हीरा सिंह के अनुसार इस पूरे ट्रैक पर हिमालय के दुर्लभ पक्षी मोनाल का बसेरा है. यहां आकर ऐसा लगता है मानो हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं. जिधर भी नजर दौड़ाओ, हिमालय की केदारनाथ, चौखंभा, नंदा देवी, हाथी-घोड़ा व त्रिशूल सहित अनेक गगनचुंबी चोटियों और खूबसूरत बुग्यालों (मखमली घास के मैदान) का नजारा आनंदित कर देता है.
खास बात यह कि इस ट्रैक पर आप साल में कभी भी जा सकते हैं. युवाओं के अनुसार जैसे-जैसे हम 12,500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचते हैं, रोमांच चरम पर पहुंच चुका होता है. ट्रैक के एक ओर तातड़ा स्थित द्यो सिंह देवता का मंदिर, रामणी के बालपाटा व नरेला बुग्याल और दूसरी ओर कैल देवता का मंदिर व पिंडर घाटी का नजारा देखते ही बनता है.
पर्यटकों के लिए खुल गया है Uttarakhand, सरकार ने पाबंदियों को किया ख़त्म
नजरों के ठीक सामने एशिया के सबसे बड़े वेदनी व आली बुग्याल, रहस्यमयी रूपकुंड, ब्रह्मकमल की फुलवारी और भगुवाबासा की सुंदरता बिखरी हुई है. वाण से कुखीना खाल चार किमी, कुखीना खाल से हुनेल पांच किमी, हुनेल से मोनाल टॉप तीन किमी, यह इसका एक हिस्सा है, जबकि वाण से शुक्री खर्क चार किमी, शुक्री खर्क से मेडंफाडा पांच किमी और मेडंफाडा से मोनाल टॉप तक का तीन किमी का क्षेत्र इसका दूसरा हिस्सा है.
Maha Kumbh Mela in 2025 : कुंभ मेला हर 3 साल, अर्ध कुंभ मेला हर… Read More
Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan : उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन के साथ दिव्य आनंद… Read More
Kulgam Travel Blog : कुलगाम शब्द का अर्थ है "कुल" जिसका अर्थ है "संपूर्ण" और… Read More
Vastu Tips For Glass Items : बहुत से लोग अपने रहने की जगह को सजाने… Read More
Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए यात्रा करना मज़ेदार और सशक्त बनाने वाला… Read More
Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ एक फेमस हिल स्टेशन है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध… Read More